कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय में पंचांग पूजन कर मनाया नया वर्ष

कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय में पंचांग पूजन कर मनाया नया वर्ष
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 श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग द्वारा नए वर्ष का स्वागत ठाकुर श्री एवं पञ्चांग पूजन कर मनाया गया। विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि प्राचीन काल से ही नए संवत्सर पर पञ्चांग पूजन एवं श्रवण करवाया जाता रहा है। इस वर्ष पञ्चांग पूजन कर पिंगल नामक संवत्सर का वर्ष फल ठाकुर श्री को सुनाया गया। भारतीय पंचांग का आधार विक्रम संवत है। जिसका सम्बंध राजा विक्रमादित्य के शासन काल से है। ये पञ्चांग विक्रमादित्य के शासनकाल में जारी हुआ था। इसी कारण इसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है। डॉ तिवारी के अनुसार पांच अंगो को पञ्चांग की संज्ञा है। जिनमें तिथि, वार,नक्षत्र, योग तथा करण समाहित हैं। इन्ही काल के पांच विभागों पर कालचक्र चलता है, हर मनुष्य को जीवन में शुभ फलों की प्राप्ति के लिए प्रतिदिन पंचांग को देखना और बोल कर पढ़ना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिथि के पठन, पाठन और श्रवण से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। वार के पठन, पाठन और श्रवण से आयु में वृद्धि होती है। नक्षत्र के पठन, पाठन और श्रवण से पापों का नाश होता है। योग के पठन, पाठन और श्रवण से प्रियजनों का प्रेम मिलता है। उनसे वियोग नहीं होता है ।  करण के पठन, पाठन और श्रवण से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस कार्यक्रम में कल्याण लोक स्थित यज्ञशाला पर ज्योतिष विभागाध्यक्ष सहित योग विभाग से डॉ लोकेश चौधरी, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अशोक शर्मा, संस्कृत विभाग से शिवानी शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ चंद्रवीरसिंह राजावत, वित्त विभाग से मोहित शर्मा, हरिशंकर जोशी, मनीष चांदना, विष्णु शर्मा तथा ग्रन्थालय से साक्षी मिश्रा सहित अमरीश त्रिपाठी, ओम पांडेय, चंद्रदेव पाण्डेय, विपुल दूबे, राघव चौबीसा आदि उपस्थित रहे।

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