फर्जी गन लाइसेंस में डीलर व क्लर्क पर आरोप तय, डोडा जिले से बाहर के लोगों को दे दिए थे लाइसेंस
फर्जी गन लाइसेंस घोटाले में सीबीआई मामलों की विशेष न्यायाधीश की अदालत में न्यायिक क्लर्क साजिद इकबाल और गन हाउस डीलर विजय कुमार खजूरिया के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि दोनों पक्षों को अच्छे से सुना गया है। सभी आरोपों को पढ़ लिया गया है और आरोपियों को इसे समझा दिया गया है।
आरोपियों ने अदालत से कहा कि वह दोषी नहीं हैं। उन्होंने ट्रायल चलाने का अनुरोध किया है। तदनुसार, पीसी एक्ट एसवीटी की धारा 120-बी, आर/डब्ल्यू 420 आरपीसी , धारा 5(1)(डी) आर/डब्ल्यू 5(2) पीसी एक्ट एसवीटी 2006 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
गौरतलब है कि 2012 से 2016 तक डोडा जिला उपायुक्त कार्यालय में रहते हुए साजिद ने उन लोगों को लाइसेंस जारी कर दिए थे जो डोडा के रहने वाले ही नहीं थे। 2018 में सीबीआई जम्मू ने आरोपी के खिलाफ फर्जी गन लाइसेंस मामले में केस दर्ज किया था।
राजस्थान का फर्जी बंदूक लाइसेंस का मामला जम्मू-कश्मीर से कैसे जुड़ा
राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड ने 2017 में एक गन रैकेट का खुलासा किया था। राजस्थान के एटीएस ने 2017 में ऑपरेशन जुबैदा के तहत दलाल ग्रोवर को गिरफ्तार किया था। दलाल ग्रोवर जम्मू कश्मीर के जिलाधिकारियों और हथियार बेचने वाले लोगों के बीच दलाल का काम करता था। उस समय एटीएस ने उससे 565 लाइसेंस जब्त किए थे। जिनमें से 93 लोग ऐसे थे जिन्होंने कभी जम्मू कश्मीर में नौकरी नहीं की थी।
उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस सीबीआइ के हवाले कर दिया था। सीबीआइ ने 17 मई, 2018 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 2012 और 2016 के बीच की अवधि के दौरान हथियार लाइसेंस जारी करने के आरोपों पर दो प्राथमिकी की जांच का जिम्मा संभाला था। फरवरी 2020 में सीबाअई ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।
सीबीआइ ने 2020 में 2 आइएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्तार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले सीबीआइ ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी।
कई जिलों के उपायुक्तों के नाम भी इसमें शामिल थे। तब डोडा जिला उपायुक्त का नाम भी इसमें शामिल था। मामले की जांच में पाया गया कि डीसी कार्यालय डोडा में बतौर क्लर्क रहते हुए साजिद ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कई लोगों को लाइसेंस दिए।
गन हाउस डीलर विजय कुमार खजूरिया और साजिद इकबाल जरगर (न्यायिक क्लर्क) ने डीएम डोडा के कार्यालय में काम करते हुए पैसे लेकर अयोग्य व्यक्तियों को अवैध रूप से शस्त्र लाइसेंस जारी करने की आपराधिक साजिश रची।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायाधीश ने कहा कि आरोपों के खिलाफ पेश रिकार्ड को पढ़ लिया गया है। इसमें यह लोग दोषी पाए गए हैं। बता दें कि इस मामले में लाइसेंसिंग प्राधिकारी (डीसी) की अब मृत्यु हो चुकी है।