चौहान इसी प्रकार की विदाई के थे हकदार
कैलाश सिसोदिया इंदौर।
शिवराज सिंह चौहान ने अपने चार शानदार कार्यकाल पूरे किए। वे पहले से ही जानते थे कि इस बार भाजपा की चाहे कितनी ही प्रचंड जीत क्यों ना हो जाए, वे मुख्यमंत्री नहीं बनाए जायेंगे। कारण वे स्वयं ही जानते थे। वे जानते थे कि यह भाजपा है। यहां किसी एक ही खानदान या व्यक्ति को सदियों तक राज करने की छूट नहीं मिलती है। उन्होंने सबकुछ पता होते हुए भी जी तोड़ मेहनत की और मोदी जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भाजपा को मध्यप्रदेश में वो जीत दिलाई जो इससे पहले भाजपा को वहां कभी नहीं मिली थी।
इतनी भव्य विजय के साथ विदाई! वास्तव में शिवराज सिंह चौहान इसी प्रकार की विदाई के हकदार थे। अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ पर पहुंचकर अपनी नई पीढ़ी के लिए कुर्सी का त्याग कर देना। ऐसा त्याग केवल किसी दल के सच्चे और समर्पित कार्यकर्ता में ही हो सकता है। भाजपा आज जहां है, वहां केवल ऐसे ही समर्पित कार्यकर्ताओं की वजह से है। इसके उलट कांग्रेस जहां आज है, वह ऐसे मंदबुद्धियों के कारण है जो बीस बीस चुनाव हारने के बाद भी प्रधानमंत्री बनने का सपना पालकर बैठे हुए हैं....