संगीत कलाकारों का स्नेह मिलन समारोह सम्पन्न

भीलवाड़ा(हलचल)। संगीतकारों की संस्था श्री संगीत संस्थान द्वारा हरणी महादेव में स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया, इसमें जिले के सैकड़ों संगीत कलाकार ने उत्साह व उमंग के साथ भाग लिया। संस्थान के मीडिया प्रभारी नारायण शर्मा ने बताया कि मां हंसा वाहिनी की तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर समारोह का आगाज किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि सुवाणा पंचायत समिति के उपप्रधान श्यामलाल गुर्जर थे। विशिष्ट अतिथि के रुप में सतत सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा, श्री राम मंडल सेवा संस्थान के अध्यक्ष शांति प्रकाश मोहता, साकेत रामायण मंडल के नवल किशोर भारद्वाज, जनसेवा महिला मंडल की रजवेंद्र कालरा, संत शिरोमणि मानस मंडल के अभय सिंह चुंडावत, बीएसएल सुंदरकांड परिवार के भगवती प्रसाद माहेश्वरी, लोक कलाकार संस्थान चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण रावल थे।श्री संगीत संस्थान संस्थान के अध्यक्ष बद्री लाल गाडरी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रणजीत सिंह नाथावत, कोषाध्यक्ष रामस्वरूप वैष्णव, भामाशाह चैनसुख जांगिड़ आदि मंचासीन थे। संस्थान के अध्यक्ष बद्री लाल गाडरी ने स्वागत उद्बोधन दिया जिसमें गांव-गांव, ढाणी-ढाणी से आए हुए कलाकारों का शब्दों के माध्यम से भावभिना अभिनंदन किया। संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश जागा ने संस्थान की प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत की।
समारोह के मुख्य अतिथि श्याम लाल गुर्जर ने अपने उद्बोधन में संस्थान द्वारा आयोजित स्नेह मिलन समारोह की सराहना करते हुए कहा कि उभरते हुए कलाकारों को पुराने कलाकारों से संगीत की सीख लेनी चाहिए। जिस प्रकार संगीत क्षेत्र से जुड़े हमारे पूर्वजों ने राजस्थान के संगीत को दुनिया में विशेष पहचान दिलवाई उस पहचान को बरकरार बरकरार रखने की जिम्मेदारी सभी युवा कलाकारों की है।
इस दौर के कलाकारों का झुकाव फूहड़ संगीत की ओर तेजी से बढ़ता जा रहा है, उसे रोकना होगा। कलाकार जैसा भी संगीत प्रस्तुत करता है श्रोता उसे सुनते हैं,इसलिए कलाकारों को अच्छे गीत संगीत ही प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि विरासत में मिली हमारी सांस्कृतिक धरोहर अक्षुण बनी रह सके।
समारोह के विशिष्ट अतिथि शांति प्रकाश मोहता ने अपने उद्बोधन में कहा कि सभी कलाकारों को एकजुटता रखनी होगी तभी यह संगठन मजबूत होगा व आगे बढ़ेगा। संगठित रहना बहुत जरूरी है, संगठन में ही शक्ति है। सभी कलाकारों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए, संगठन के लिए अच्छे कार्य करने वाले पदाधिकारियों टांग खिंचाई व निंदा नहीं करनी चाहिए। जीवन में कभी भी कोई समस्या आ सकती है किसके लिए अपनी आय की कम से कम दस प्रतिशत बचत करनी चाहिए। जो व्यक्ति संगठन के कार्य करने में सक्षम हो उन्हें ही संगठन के पदों पर मनोनीत करने चाहिए, ताकि संगठन और इससे जुड़े सभी लोगों का भला हो सके।
विशिष्ट अतिथि चंद्रशेखर शर्मा ने अपने उद्बोधन में श्री संगीत संस्थान द्वारा कलाकारों के चहुमुखी विकास के लिए किए जा रहे कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि संगीत में बहुत बड़ी शक्ति होती है। संगीत तन,मन और धन को शुद्ध करता है। संगीत सागर एक हॉस्पिटल है और संगीतकार उसके डॉक्टर हैं। नेतृत्व को मातृत्व का भाव रखना चाहिए तथा सदस्यों को नेतृत्व के प्रति भ्रातत्व का भाव रखना चाहिए, तभी कोई संस्था आगे बढ़ती है। मुझे आज इस संस्था के पदाधिकारियों में मातृत्व का भाव देखने को मिल रहा है।
श्री शर्मा ने कहा कि कलाकारों के लिए बने इस संस्थान का भीलवाड़ा में एक भवन अवश्य होना चाहिए, इसके लिए आप सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे, ताकि संस्थान के होने वाले आयोजन, गतिविधियां संस्थान के भवन में ही आयोजित हो सके।
समारोह के विशिष्ट अतिथि नवल किशोर भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि स्वर ही ईश्वर है। मां सरस्वती के साधक स्वर के माध्यम से ही ईश्वर की आराधना व पूजा अर्चना करते हैं। संगीतकारों की इस संस्था को ऊंचाइयां प्रदान करने के लिए जो भी निर्णय लिए जाते हैं उनके प्रति संकल्पित होकर पदाधिकारियों के निर्देशानुसार पूरा करने में भरकस प्रयास करें। इस संस्था के प्रति मैं अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं, साथ ही मेरे लायक कोई भी सेवा हो मुझे अवश्य बताएं मैं उसे पूरा करने का पूरा पूरा प्रयास करूंगा।
विशिष्ट अतिथि अभय सिंह चुंडावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि कोई भी कलाकार जिस किसी विधा में अपनी रुचि रखता है उसे उस विधा में पारंगत होने का पूरा प्रयास करना चाहिए, उस विधा की मन से साधना करनी चाहिए। एक दूसरे कलाकार को साथ लेकर निभाना चाहिए। कला और संगीत की पौराणिक परंपरा को बरकरार रखना चाहिए। संस्थान के प्रति हमेशा सहयोग एवं समर्पण की भावना रखनी चाहिए, तभी संस्थान ऊंचाइयां प्राप्त कर सकेगा।
विशिष्ट अतिथि रजवेंद्र कालरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्थान के सभी सदस्यों को पूरी निष्ठा के साथ संस्थान के विकास के लिए प्रयास करने चाहिए। केवल अध्यक्ष व पदाधिकारियों की जिम्मेदारी ही नहीं होती सभी सदस्यों की जिम्मेदारी भी होती हैं। सभी के मन में यही भाव होना चाहिए कि यह संस्थान हम सभी कलाकारों का है और हम सबको इस के हित में कार्य करना है।
विशिष्ट अतिथि भगवती माहेश्वरी ने उद्बोधन में कहा कि जिले के प्रत्येक कलाकार को श्री संगीत संस्थान से जोड़ने का जो प्रयास किया जा रहा है इसके लिए सभी पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं। भीलवाड़ा सुंदरकांड परिवार की ओर से मै संगठन के सभी सदस्यों के लिए मंगल कामना प्रेषित करता हूं।
इस मौके पर ममता बल्दवा ने अपने उद्बोधन में कहा कि कलाकारों के इस श्री संगीत संस्थान में महिला कलाकारों को भी अधिक से अधिक संख्या में जोड़ने का कार्य करना चाहिए। भीलवाड़ा में महिला कलाकारों की भी अच्छी खासी संख्या है।
श्रीमती बल्दवा ने स्नेह मिलन समारोह की प्रशंसा की।
संस्थान के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रणजीत सिंह नाथावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज पूरे देश में भीलवाड़ा के कलाकारों का नाम छाया हुआ है। भीलवाड़ा जिले में गायन, वादन व नृत्य कला के एक से बढ़कर एक कलाकार रहते हैं, यह अपने लिए बहुत ही गौरव की बात है। सभी कलाकारों को भाईचारे व प्रेम भावना के साथ मिल जुल कर रहना चाहिए। श्री नाथावत ने कहा कि समय ऐसा चल रहा है कि कब और कौन किस समय इस दूनियां से चला जाए कोई नहीं कह सकता। यह मानव जीवन मिला है इसको सबके साथ हिल मिलकर हंस खेलकर गुजारना चाहिए। इस धरा पर बड़े-बड़े शूरवीर, कला के मर्मज्ञ आए और चले गए किसी का कोई अता-पता नहीं है। क्या लेकर आया बंदा क्या लेकर जाएगा, दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला, भजन के माध्यम से अपनी बात रखी।
कार्यक्रम की शुरुआत में दीपेश ने मां सरस्वती की वंदना व स्वागत गान प्रस्तुत किया विक्रम ने तबले व दिलीप राव ने आर्गन पर संगत की। कार्यक्रम का संचालन उदघोषक विनोद शर्मा ने किया कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश अमरवासी, अमरीश पंवार चैनसुख जांगिड़ का विशेष सहयोग रहा व कैलाश सालवी, नारायण मेघवंशी, सूरज वैष्णव, देवीलाल मेघवंशी, रामस्वरूप वैष्णव, सुखदेव सालवी, महेंद्र सेन का भी सराहनीय सहयोग रहा।
स्नेह मिलन समारोह के इस आयोजन में संस्थान में सहयोग देने वाले भामाशाहों का माल्यार्पण व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया गया ।
जिसके अंतर्गत मेवाड़ी ब्रदर्स- रणजीत सिंह नाथावत, शैतान सिंह, राजू सिंह, श्याम लाल गुर्जर, चैनसुख जांगिड़, नवल किशोर भारद्वाज, संत शिरोमणि मानस मंडल के अभय सिंह चुंडावत, गोविंद बहेड़िया, नारायण मेघवंशी, भंवर लाल जाट, अमरीश पंवार, देवी लाल मेघवंशी, दिनेश अमरवासी, भीलवाड़ा सुंदरकांड मंडल परिवार, जगदीश जागा, राजवेंद्र कालरा, ममता बल्दवा, नीलू मेवाड़ी, प्रदीप मस्ताना, प्रकाश अलबेला, कैलाश सालवी, मनीष सोनी, गणेश सुराणा, भगवती प्रसाद माहेश्वरी, बुधराज, बद्री लाल गाडरी खायड़ा, अर्जुन राणा, राकेश सेन, दिलीपराव, रामस्वरूप वैष्णव, बद्री लाल गाडरी उदलियास, नवरतन गंधर्व, गोपाल राणा आदि भामाशाह का सम्मान किया गया।
इस मौके पर राजस्थान विश्वविद्यालय में संगीत विषय में सर्वाधिक नंबर लाने पर राजस्थान के राज्यपाल महोदय से गोल्ड मेडल से सम्मानित भीलवाड़ा के भजन गायक राघव दाधीच का माल्यार्पण कर व स्मृति चिन्ह देकर अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम के अंत में संस्थान की सह सचिव सूरज वैष्णव ने स्नेह मिलन समारोह में मंचासीन अतिथियों व गांव- गांव, ढाणी- ढाणी से आए हुए सभी कलाकारों का आभार व्यक्त किया।