‘वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन’ सेमिनार का समापन

‘वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन’ सेमिनार का समापन
X

चित्तौड़गढ़,। वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन एवं शहद उत्पादन विषय पर चल रहा दो दिवसीय सेमिनार का समापन हुआ। जिला कलक्टर पीयूष समारिया ने मधुमक्खी उत्पादों की संजीव प्रदर्शनी का अवलोकन किया एवं उद्यान विभाग की विभिन्न योजनाओं से संबंधित पेम्प्लेट्स का विमोचन किया।


शरद निगम मधुमक्खी पालन एवं उद्यमी द्वारा मधुमक्खी से प्राप्त होने वाले शहद, पराग, प्रोपोलिस, मोम एवं मधुमक्खी आदि उत्पादों का प्रसंस्करण एवं वैल्यू एडिशन जैसे साबुन, फोर्टिफाइड शहद, मोम, आकर्षक पैकिंग  कर मधुमक्खी पालक अधिकतम लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी से शहद के अलावा अन्य उत्पादों से अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। मुख्य वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ. रतन लाल सौलंकी द्वारा शहद का आर्युवेदिक उपयोग पथ्य एवं अपथ्य रोगप्रतिरोधकता क्षमता बढ़ाने एवं दैनिक उपयोग से संबंधित जानकारी दी।


उप निदेशक, सीताफल उत्कृष्ठता केन्द्र राजाराम सुखवाल ने बताया कि मधुमक्खियों का फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। मधुमक्खियों द्वारा परपरागण से करीब 20 से 50 प्रतिशत उत्पादन में वृद्वि होती है। राज्य में सरसों की औसत उपज 880 किलो/हैक्टर है जो मधुमक्खी पालन करने पर 1056 किलो/हैक्टर तक बढ़ सकती है। मधुमक्खी पालन मोहन लाल खटीक द्वारा प्रायोगिक रूप से मधुमक्खी कॉलोनी, बॉक्स, बी किट एवं आवश्यक सामग्री से संबंधित तकनीकी जानकारी प्रस्तुत की।


प्रतिभागियों के लिए खुला सत्र रखा गया जिसमें किसानों की शंकाओं का समाधान सहायक निदेशक उद्यान डॉ. प्रकाश चन्द्र खटीक द्वारा किया गया। समापन सत्र में संयुक्त निदेशक कृषि दिनेश कुमार जागा, संयुक्त निदेशक उद्यान खण्ड भीलवाड़ा मुकेश वर्मा,   अंशु चौधरी, हीरा लाल सालवी, प्रशान्त जाटोलिया, जोगेन्द्र सिंह राणावत एवं डॉ. विमल सिंह राजपूत, गोपाल लाल शर्मा एवं  नोविना शेखावत आदि की उपस्थिति में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र एवं उपहार वितरित किए गए।

 
उपनिदेशक उद्यान डॉ. शंकर लाल जाट द्वारा प्रतिभागियों एवं अधिकारियों का आभार व्यक्त कर सेमीनार समापन की घोषणा की गई।  
 
Next Story