श्रीनगर में कांग्रेस को मिलेगा कोई बड़ा समर्थन! ऐसे बन रही कांग्रेस के भीतर एक नई रणनीति

श्रीनगर में कांग्रेस को मिलेगा कोई बड़ा समर्थन! ऐसे बन रही कांग्रेस के भीतर एक नई रणनीति
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सियासी जानकारों का मानना है कि कश्मीर में 30 जनवरी को अगर कांग्रेस पार्टी के साथ बुलाए गए राजनैतिक दल जुड़ते हैं तो उससे 2024 में विपक्ष की एक बड़ी भूमिका का आकार दिखना शुरू हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक रजनीश पांडे कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के साथ विपक्षी दल नहीं जुड़े हैं। वह कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ पहले भी कई विपक्षी दल इस यात्रा में शामिल हो चुके हैं।

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त हो रही है इसके लिए पार्टी ने 21 अलग अलग राजनीतिक दलों को श्रीनगर में समर्थन देने के लिए बुलाया है। सियासी गलियारों से लेकर कांग्रेस के भीतर चर्चा इस बात की हो रही है अगर यह राजनैतिक दल साथ आकर सियासी समर्थन देते हैं तब तो इस निमंत्रण को सफल माना जाएगा अन्यथा सियासी दलों को बुलाने का यह निमंत्रण सिर्फ और सिर्फ दिखावा साबित होगा। जिसका 2024 के लोकसभा चुनावों में कोई विशेष योगदान नहीं होगा। फिलहाल कांग्रेस के भीतर आगे की रणनीति पर बैठकों का सिलसिला शुरू हो चुका है।


 
सियासी जानकारों का मानना है कि कश्मीर में 30 जनवरी को अगर कांग्रेस पार्टी के साथ बुलाए गए राजनैतिक दल जुड़ते हैं तो उससे 2024 में विपक्ष की एक बड़ी भूमिका का आकार दिखना शुरू हो जाएगा। राजनीतिक विश्लेषक रजनीश पांडे कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के साथ विपक्षी दल नहीं जुड़े हैं। वह कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ पहले भी कई विपक्षी दल इस यात्रा में शामिल हो चुके हैं। अब एक बार फिर सभी विपक्षी दलों को 30 जनवरी को कश्मीर में शामिल होने का न्योता भेजा गया है। पांडे कहते हैं कि अब देखने वाली बात यह है कि जिन राजनीतिक दलों को निमंत्रण भेजा गया है क्या वह सभी लोग कश्मीर पहुंचेंगे भी या नहीं और अगर श्रीनगर पहुंचते भी है तो क्या यह माना जाए कि कांग्रेस को सभी राजनीतिक दलों का 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी समर्थन मिल रहा है।
 
सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की भी हो रही हो कि क्या कांग्रेस अपनी भारत जोड़ो यात्रा के बाद 2024 में लोकसभा के चुनावों से पहले के सियासी गठबंधन का स्वरूप देने के लिए तैयार हो गई है या नहीं। कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा की समाप्ति के बाद से ही 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों की ऐसी तस्वीर उकेरने का वक्त आ गया है। वह कहते है कि जिस तरीके से भारत जोड़ो यात्रा के दौरान तमाम विपक्षी पार्टियों का उनको सहयोग मिला और पार्टी के बड़े नेता उनके साथ चले, उससे यह उम्मीद बनती है कि देश को जोड़ने के लिए सभी विपक्षी प्रमुख राजनीतिक दल एक साथ आएंगे। पार्टी के नेताओं को उम्मीद है कि श्रीनगर में शामिल होने वाले सभी प्रमुख विपक्षी दलों के साथ बात बनते ही 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा शुरू की जाएगी।
 
प्रमुख विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की बात पर कांग्रेस से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि गठबंधन तो संभव है। लेकिन यह सोचना कि कांग्रेस पार्टी अब किसी दूसरे राजनीतिक दलों के पीछे चले तो यह अब मुश्किल सा है। इसके पीछे तर्क देते हुए कांग्रेस के नेता कहते हैं जिस तरह से राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की यात्रा की है। देश के लाखों करोड़ों लोगों ने उनको समर्थन दिया है। ऐसी दशा में पार्टी अपने नेता का खून पसीना किसी दूसरे विपक्ष के पीछे तो नहीं जाया करेगी। राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात को मानते हैं कि कांग्रेस की इतनी बड़ी भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब चुनाव के लिए कांग्रेस किसी दूसरे दल को आगे कर दे और खुद पीछे हो जाए ऐसा संभव नहीं लग रहा है। 
 
राजनीतिक विश्लेषक हिमांशु शितोले कहते हैं कि दरअसल कांग्रेस ने जिन राजनीतिक दलों को श्रीनगर में आने का निमंत्रण दिया है उनमें से ज्यादातर पार्टियों के नेता खुद प्रधानमंत्री पद की रेस में हैं। हालांकि उनका कहना है यह बात अलग है कि किसी नेता का प्रधानमंत्री पद की रेस में होना और गठबंधन का एक नेता होना अलग बात होगी। लेकिन सियासी समीकरण तो कुछ इसी तरीके के बन रहे हैं। बात जब प्रधानमंत्री पद के एक उम्मीदवार की होगी तो उसने कांग्रेस पार्टी को कैसे पीछे किया जा सकेगा। हिमांशु कहते हैं कि इसमें अब कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि इस वक्त देश में बड़े विपक्ष के तौर पर कांग्रेस पार्टी का ही सबसे बड़ा चेहरा सामने है।

 

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