हिम्मत की होती कीमत,डरने वाले जीवन में नहीं कर पाते प्रगति - समकितमुनि
भीलवाड़ा। मंगल को साहस का प्रतीक माना गया है। ज्योतिष के अनुसार मंगल यदि उचित स्थान पर हो तो व्यक्ति साहसी व चुनौतियों से लड़ने वाला होता है। साहसी व हिम्मती व्यक्ति किसी भी परिस्थिति का सामना कर लेता है। साधन है लेकिन साहस नहीं तो आप वस्तु होते हुए उसका उनका आनंद नहीं उठा सकते। मंगलवार को हनुमानजी का वार भी कहते है। हनुमानजी हिम्मत, निर्भयता एवं साहस का प्रतीक है। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में मंगलवार को सप्त दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘‘आपका वार आपसे क्या कहता है’’ के सातवें एवं अंतिम दिन मंगलवार को जन्मे व्यक्तियों का उस वार का उनके जीवन में महत्व के बारे में बताते हुए व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि हिम्मत समय पर नहीं दिखाते तो जो कीमत मिलनी चाहिए वह भी नहीं मिलती। बहुत से लोग इस डर से जीते है कि कल क्या होगा, इस कारण कई महत्वपूर्ण निर्णय भी नहीं कर पाते है। उन्होंने कहा कि डर का भूत यदि चिपक जाता है तो आदमी की प्रगति के जो चांस थे वह भी रूक जाते है। मंगलवार को युवा ग्रह माना जाता है। युवा साहसी व हिम्मत का प्रतीक माना जाता है।
मुनि ने कहा कि वैज्ञानिकों के अनुसार विचार चुंबकीय होते है एवं हमारे विचार सारे ब्रहांड में फैलते है। हमारे विचार सबसे बड़े मानवीय ट्रांसमीटर है। हमारी भावना हमारी फ्रिक्वेंसी बता देती है। बैठे-बैठे बुरे विचार आ रहे हो तो खड़े हो जाओ, दिशा में बदलाव कर लो विचारों की फ्रिंक्वेसी बदल जाएगी। उन्होंने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से समझाया कि किस तरह हमारे अच्छे-बुरे विचारों का असर सामने वाले के उपर वैसा ही होता है एवं उसके विचार भी हमारे प्रति वैसे ही हो जाते है। विचारों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है। दान देने वाले का पैसा कभी खत्म नहीं होता। देने की भावना होने पर देवता आकर्षित होते एवं वह लाकर अदृश्य रूप से वह खजाने में डालते रहते है।
मुनि ने कहा कि मंगलवार को जन्मे व्यक्ति को णमो सिद्धाणं एवं सिद्धा सिद्धी मम दिसंतु की साधना करनी चाहिए। इस साधना के साथ अपकाय के जीवों की विराधना से जितना संभव हो बचना चाहिए। मंगलवार को जन्मे व्यक्तियों को लाल रंग की भी आराधना करनी चाहिए। इसका अंक 9 माना जाता है। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत ‘‘जिसे तू खोज रहा बंदे वह मालिक तेरे अंदर है’’ पेश किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। संचालन शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया।
संकल्प कराया नहीं करेंगे पूरे दिन ‘दंगल’
पूज्य समकितमुनि ने कहा कि मंगल का संदेश है कि सप्ताह में एक दिन में मंगल को ‘दंगल’ नहीं करूंगा। मंगल के दिन मंगल की शरण में रहूंगा। चार तरह के मंगल होते है अरिहन्त मंगल, सिद्ध मंगल, साहू मंगल एवं केवली पणंते धम्म मंगल। जो इनकी शरण में रहता उसके जीवन में दंगल नहीं होता है। दंगल होने पर घर कुश्ती का मैदान हो जाता है इससे बचना होगा। उन्होंने धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को संकल्प कराया कि आज पूरे दिन ‘दंगल’ नहीं करूंगा। ज्ञानीजन कहते है कोई हमारा बुरा न करे इसके लिए मंगल विचार रखे। ‘दंगल’ विचारों से खुद को बचाने पर जीवन आनंदमय बनेगा। जब तक कलह के मूड में रहते है दुर्गति में जाने की तैयारी होती है एवं सुलह के मूड में रहने पर सद्गति की तैयारी रहती है। झगड़े के मूड में आयु बंध हो गया तो दुर्गति पक्की है भले ही प्रत्यक्ष झगड़ा न किया हो। मूड खराब करना यानि अपनी गति को खराब करना है।
मंगल की शरण लेने पर सारे दुर्भाग्य खत्म
पूज्य समकितमुनि ने मंगल को तीर्थंकर का रूप बताते हुए कहा कि इसकी शरण लेने से जगत के सारे दुर्भाग्य खत्म हो जाते है। हमेशा अरिहन्तों व मंगल की शरण में रहे। सुबह उठते ही नवकार मंत्र गिने एवं मंगल की शरण लेकर उसे ग्रहण करें, जिनवाणी श्रवण करें। मंगलभावना होना बहुत जरूरी है। इसके नहीं होने पर किसी को मारे या गाली दिए बिना भी नरक में जा सकते है। मंगल संगति में रहने पर मूड फ्रेश रहता है और थोड़ा सा भी करने पर आनंद आता है। मंगल प्रेरणा देता है कि हमेशा अच्छे विचारों में जीना है। मूड मंगलमय रहने पर सबकुछ मंगलमय रहेगा। मंगलवार साहस को बढ़ाता है ओर कभी भी मैदान छोड़कर भागने की भावना नहीं आती है।