चीतों पर संकट गहराया, बढ़ते तापमान से शिकार का समय बदला; दूसरे जानवरों से बढ़ सकती है मुठभेड़
जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से न सिर्फ इंसान बल्कि बड़े शिकारी जीव भी सुरक्षित नहीं है। बढ़ते तापमान के चलते बड़ी बिल्लियां अपने शिकार का समय सुबह या दिन की जगह शाम या रात के समय शिफ्ट कर रही हैं। इसकी वजह से चीतों, शेर एवं तेंदुओं जैसे जीवों के बीच संघर्ष की आशंका बढ़ सकती है। यह स्थिति पहले ही संकट में पड़े चीतों के लिए ज्यादा खतरनाक है।
शोधकर्ता जीव वैज्ञानिकों ने ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बायोलॉजिकल साइंस’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में दावा किया है कि बढ़ती गर्मी की वजह से ये शिकारी जीव दिन में शिकार करने की बजाय सुबह सूरज उगने का नहीं बल्कि शाम ढलने के बाद रात में शिकार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। चीते आमतौर पर दिन के समय शिकार करना पसंद करते हैं। इस तरह उनके और दूसरे बड़े शिकारियों के बीच शिकार को लेकर होने वाली मुठभेड़ का खतरा कम हो जाता है, लेकिन अब इस समयसारणी में बदलाव हो रहा है।
संघर्ष से डरते हैं चीते और छोड़ देते हैं अपना शिकार तक
शोध के अनुसार चीते केवल ताजा मांस खाते हैं। वहीं शेर और तेंदुए जैसे शिकारी खुद शिकार करने के साथ-साथ मौकापरस्त भी होते हैं, जो चीते जैसे दूसरे शिकारियों से मौका मिलने पर उनका शिकार छीन लेते हैं। वहीं दूसरी तरफ चीते इन दूसरी बड़ी बिल्लियों से होने वाले संघर्ष से डरते और बचते हैं। इनका सामना होने पर वे अपना शिकार तक छोड़कर चले जाते हैं।
कई समस्याओं से जूझ रहे चीते
चीतों को जलवायु परिवर्तन, मनुष्यों द्वारा शिकार और निवास स्थान के विनाश के कारण विलुप्त होने के दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी आबादी का आकार कम हो रहा है। चीतों के अपने जीन भी उनके निरंतर अस्तित्व के लिए चुनौती पैदा करते हैं। चीतों में प्रजनन सफलता की दर कम है, जिसका अर्थ है कि एक प्रजाति के रूप में वे हमेशा प्रजनन करने में सक्षम नहीं होते हैं। कम संतानों के साथ, जनसंख्या न तो बढ़ सकती है और न ही पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के अनुकूल ढल सकती है। यही वजह है कि जहां 1975 में इनकी वैश्विक आबादी 15 हजार थी, वह अब घटकर 7 हजार से भी कम रह गई है।
53 बड़े शिकारी जीवों पर किया अध्ययन
अपने इस बहुआयामी अध्ययन में शोधकर्ताओं ने चीता, शेर, तेंदुए और अफ्रीकी जंगली कुत्तों जैसे 53 बड़े शिकारियों पर जीपीएस ट्रैकर लगाए थे। जिन्हें उन्होंने आठ वर्षों तक कठिन परिश्रम करके लगातार ट्रैक किया। इसके बाद उन्होंने दर्ज जानकारी को प्रत्येक दिन रिकॉर्ड किए गए उच्चतम तापमान के आंकड़ों के साथ मिलान करके देखा। शोधकर्ताओं का दावा है कि एकांत प्रिय चीते अब दिन की वजह रात में ज्यादा शिकार करने लगे हैं। यह उनके अस्तित्व के लिए भी खतरे की घंटी है।