रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ 3,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंध पर हस्ताक्षर किये

रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ 3,700 करोड़ रुपये के दो अनुबंध पर हस्ताक्षर किये
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पहला समझौता 2800 करोड़ रुपये अधिक है। यह वायुसेना के लिए मध्यम शक्ति रडार (एमपीआर) ‘अरुधरा’ की आपूर्ति का है। जबकि दूसरा अनुबंध करीब 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 डीआर-118 रडार चेतावनी प्राप्तकर्ता (आरडब्ल्यूआर) का है।

भारतीय वायुसेना की निगरानी, पहचान और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के साथ 3700 करोड़ रुपये से अधिक के दो करार किए।



इनमें पहला समझौता 2800 करोड़ रुपये अधिक है। यह वायुसेना के लिए मध्यम शक्ति रडार (एमपीआर) ‘अरुधरा’ की आपूर्ति का है। जबकि दूसरा अनुबंध करीब 950 करोड़ रुपये का है, जो 129 डीआर-118 रडार चेतावनी प्राप्तकर्ता (आरडब्ल्यूआर) का है। ये दोनों परियोजनाएं ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन विकसित और निर्मित श्रेणी के तहत हैं। ये अनिवार्य रूप से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना के प्रतीक हैं और देश को रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की सोच को साकार करने में सहायता करेंगे।

एमपीआर (अरुधरा) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इस रडार को स्वदेशी रूप से डिजाइन व विकसित किया है। इसका निर्माण बीईएल करेगी। पहले ही इसका सफल परीक्षण वायुसेना कर चुकी है। 

यह हवाई लक्ष्यों की निगरानी और पता लगाने के लिए दिगंश व उन्नयन, दोनों में इलेक्ट्रॉनिक स्टीयरिंग के साथ एक 4डी मल्टी-फंक्शन चरणबद्ध एरे रडार है। इस प्रणाली में एक साथ स्थित चिन्हित मित्र या शत्रु प्रणाली से पूछताछ के आधार पर लक्ष्य की पहचान होगी। यह परियोजना औद्योगिक वातावरण में विनिर्माण क्षमता के विकास के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। 

129 डीआर-118 आरडब्ल्यूआर : 129 डीआर-118 रडार वार्निंग रिसीवर सुखोई-30 एमकेआई विमान की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) क्षमताओं में काफी बढ़ोतरी करेगा। इसके अधिकांश उपसंयोजन और पुर्जे स्वदेशी निर्माताओं से हासिल किए जाएंगे। 

यह परियोजना एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के साथ उसे प्रोत्साहित करेगी। इसके अलावा यह साढ़े तीन साल की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोजगार पैदा करेगी। डीआर-118 आरडब्ल्यूआर स्वदेशी ईडब्ल्यू क्षमताओं को विकसित करने और देश को रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।

 

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