बैन के बावजूद बिहार में PFI का खतरनाक अभियान, कश्मीरी आतंकियों की तर्ज पर रची बड़ी साजिश!
केंद्र सरकार ने पिछले साल कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)पर देश-विरोधी गतिविधियों की वजह से पाबंदी लगा दी थी। पूरे देश में कार्रवाई करके इसके सूरमाओं को जेलों में डाल दिया गया था। लेकिन, लगता है कि बिहार में यह भारत-विरोधी संगठन फिर से सिर उठाने लगा है। वहां पिछले दिनों नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी और बिहार पुलिस ने जो कार्रवाई की है, उससे इनके खौफनाक मंसूबों का खुलासा हुआ है। इसके गुर्गे चोरी-छिपे हथियारों की ट्रेनिंग दे रहे हैं और कश्मीर आतंकी संगठनों की तर्ज पर बिहार में बड़ा कांड करने की साजिश रच चुके हैं।
बैन के बावजूद बिहार में PFI का खतरनाक अभियान
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)ने कथित तौर पर बिहार में फिर से युवाओं का भर्ती अभियान शुरू कर दिया है। फिलहाल इस प्रतिबंधित संगठन इस तरह की गतिविधियों को पूर्वी चंपारण और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में अंजाम दे रहा है, जो कि नेपाल से सटे सीमावर्ती इलाके हैं। केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक नफरत पैदा करने की साजिश रचने के आरोप में इसे पिछले साल बैन कर दिया था। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 36 घंटे के ऑपरेशन में पीएफआई के कुछ गुर्गों को पकड़ा है, जिसने उसके सामने इस तरह की बातें कबूल की हैं और इसको लेकर मंगलवार को मुजफ्फरपुर के बरुराज थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई है।
नई भर्तियां करने में जुटा है PFI-रिपोर्ट
मुजफ्फरपुर के एसएसपी राकेश कुमार के मुताबिक पकड़े गए पीएफआई ऐक्टिविस्ट ने खुलासा किया है कि कुछ समय तक परसौनी गांव में एक ट्रेनिंग कैंप भी आयोजित किया गया था। इस संबंध में कुल 8 पीएफआई गुर्गों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, 'भारत-नेपाल सीमा के नजदीकी जिलों में भर्तियां की जा रही हैं।' उनके अनुसार एनआईए की जांच में बिहार एटीएस को भी सहायता के लिए शामिल किया गया है। प्रतिबंधित संगठन की ऐसी गतिविधियों के चलते मुजफ्फरपुर के परसौनी गांव को संदिग्ध नजरों से देखा जाने लगा है। परसौनी बरुराज थाने में आता है, जिसकी सीमाएं पूर्वी चंपारण जिले से लगती हैं।
हथियारों की ट्रेनिंग दे रहा है पीएफआई
इस बीच रविवार को पूर्वी चंपारण जिले से जिस इरशाद उर्फ बिलाल को गिरफ्तार किया गया था, उसने जांचकर्ताओं से कहा है कि वह दो प्रशिक्षकों याकूब उर्फ सुल्तान उस्मान और रियाज मारूफ के कहने पर परसौनी गांव के ट्रेनिंग कैंप में सक्रिय रूप से शामिल हुआ था। याकूब को फिजिकल ट्रेनिंग के नाम पर युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग का जिम्मा दिया गया है, जो कि सघन छापेमारी के बावजूद गिरफ्तारी से भाग रहा है। उसकी तलाश में पूर्वी चंपारण के मेहसी और चकिया इलाकों में विभिन्न ठिकानों पर दबिश दी जा रही है। पकड़े गए एक संदिग्ध ने पूछताछ में माना है कि वह पटना के फुलवारीशरीफ स्थित अहमद पैलेस में हुए फिजिकल ट्रेनिंग में भाग ले चुका है।
संदिग्धों के ठिकानों से आपत्तिजनक चीजें बरामद
पीएफआई पहले पटना के उसी कुख्यात अहमद पैलेस से अपनी नापाक गतिविधियों को पूरे बिहार में अंजाम देता आया था, लेकिन बाद में वहां पटना पुलिस और एनआईए ने छापेमारी की थी। परसौनी गांव से छापेमारी के दौरान पीएफआई के प्रिंटेड बैनर और लोहे की तलवारों भी बरामद हुई हैं। यह छापेमारी इरशाद की निशानदेही के आधार पर ही की गई। यही नहीं शुक्रवार को ही छापेमारी के दौरान भी कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद की गई हैं।
कश्मीर की तर्ज पर बिहार में टारगेट किलिंग की साजिश!
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जो कि छापेमारी करने गई टीम में शामिल थे, उन्होंने कहा है कि पूर्वी चंपारण जिले के मेहसी थाने के बहादुरपुर से तनवीर रजा उर्फ बरकाती और मोहम्मद आबिद उर्फ आर्यान को गिरफ्तार किया गया है। उनके ठिकाने से कई तरह की डिजिटल-डिवाइस भी बरामद किए गए हैं। अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर खुलासा किया है कि दोनों दहशतगर्दों ने कबूल किया है कि उन्होंने बिहार में जम्मू और कश्मीर की तर्ज पर टारगेट किलिंग को अंजाम देने की पीएफआई की साजिश के लिए हथियार और दूसरे सामान जुटाए हैं, ताकि समाज में नफरत और दुश्मनी फैलायी जा सके।
टारगेट किलिंग के लिए रेकी भी की गई ?
उस अधिकारी के मुताबिक पीएफआई के दोनों पकड़े गए दहशतगर्दों ने खुलासा किया है कि जगहों की पहचान कर ली गई है और राज्य में टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए रेकी भी की जा चुकी है। अधिकारी ने उसे कोट करते हुए बताया कि 'हमने इस काम के लिए हथियार और गोला बारूद पहले ही ट्रेनर याकूब तक पहुंचा दिए हैं। ' पिछले साल झारखंड पुलिस से रिटायर एक अफसर समेत पीएफआई के चार लोगों को पटना के फुलवारीशरीफ से पकड़ा गया था। यह केस 12 जुलाई 2022 को दर्ज की गई थी और बाद में जांच एनआईए के हवाल कर दिया गया था। हाल में याकूब ने सोशल मीडिया पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिसके बाद एनआईए फिर से सक्रिय हुई है। (सारी तस्वीरें- फाइल)