स्टाफ के खिलाफ होगी अनुशासनात्मक कार्रवाई
श के प्रतिष्ठित 'अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान' (एम्स) के नए निदेशक ने वहां लग रही 'सेंध' पर नकेल कसने की तैयारी कर ली है। एम्स के डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने मरीजों और स्टाफ के बीच घूम रहे लुटेरों को पहचान लिया है। मरीजों का शोषण करने वाले निजी अस्पतालों एवं प्रयोगशालाओं के कथित एजेंटों को संस्थान से बाहर निकालने की तैयारी की जा रही है। हैरानी की बात ये है कि ये लुटेरे, ओपीडी कार्ड बनवाने से लेकर सभी तरह के टेस्ट एवं दवाएं मुहैया कराने का काम करते हैं। इस तरह के लोगों के हाथ मरीजों को लुटने से बचाने के लिए डॉक्टर, नर्स व दूसरे स्टाफ को सचेत कर दिया गया है। संस्थान ने ऐसे लोगों की शिकायत के लिए एक व्हाट्सएप नंबर-9355023969 जारी किया गया है।
स्टाफ के लिए तय वर्दी पहनना जरूरी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एम श्रीनिवास द्वारा सात अक्तूबर को जारी आदेशों के मुताबिक, स्टाफ के सभी सदस्यों के लिए अपनी तय वर्दी पहनना जरूरी किया गया है। साथ ही स्टाफ के सभी सदस्यों के लिए पहचान पत्र प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया है। निजी कंपनियों, अस्पतालों एवं लेबोरेटरी संचालकों के एजेंटों के संस्थान में प्रवेश पर सख्ती से रोक लगाई गई है। ये एजेंट ऐसे होते हैं, जो भोले-भाले मरीजों को गुमराह कर से उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं। ये एजेंट केवल टेस्ट या दवाएं मुहैया कराने का काम ही नहीं करते, बल्कि वे नए मरीजों के लिए ओपीडी का कार्ड बनवाने का काम भी करते हैं। ये एजेंट सर्जिकल आइटम और प्रत्यारोपण से जुड़े सामान का भी सौदा करते हैं। इसके लिए वे मनमर्जी की फीस वसूलते हैं। इस बाबत मरीजों और एजेंटों के झगड़े भी होते हैं। ऐसे अनेक मरीज सामने आए हैं, जो एजेंट के हाथ लुट चुके होते हैं।
एम्स के सभी कर्मचारियों से कहा गया है, वे सुनिश्चित करें कि कोई भी अनाधिकृत व्यक्ति, संस्थान परिसर में प्रवेश न कर पाए। संस्थान में ड्यूटी के वक्त सभी कर्मचारी नेम प्लेट लगाएं। अगर ऐसा कोई एजेंट संस्थान के भीतर पाया जाता है, तो उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाए। निदेशक के आदेशों में यह कहा गया है कि कोई अनाधिकृत व्यक्ति या एजेंट, संस्थान के जिस किसी हिस्से में पाया जाएगा, वहां के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर, फैकल्टी, नर्सिंग अधिकारी व अन्य दूसरे क्षेत्र के संबंधित प्रभारी को जिम्मेदार माना जाएगा। ऐसे में यह समझा जाएगा कि वे एजेंटों की मदद करते हैं। उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।