अर्न्तराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष पर जिलास्तरीय कार्यशाला का आयोजन
चित्तौड़गढ़, । भारत सरकार की ओर से वर्ष 2023 को "अर्न्तराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष" घोषित किया गया है। इसके तहत पोषक अनाजों के उत्पादन में वृद्धि, मूल्य संवर्धन, मूल्य संवर्धित उत्पादों के घरेलू उपभोग में वृद्धि के सम्बन्ध में जागरूकता लाने के उद्येश्य से वर्ष 2023-24 में खाद्य एवं पोषक सुरक्षा पौष्टिक अनाज योजनान्तर्गत जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन गुरूवार को सुबह 10.00 बजे कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) जिला परिषद् चित्तौडगढ़ के प्रशिक्षण सभागार में गौरव अग्रवाल, जिला कलक्टर की अध्यक्षता आयोजित की गई। संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दिनेश कुमार जागा ने श्रीमान् जिला कलक्टर का स्वागत उपरान्त कार्यशाला के महत्व एवं उदेश्य के बारे में जानकारी दी।
कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को जिला कलक्टर ने आह्वान किया कि प्राचीनकाल से चली आ रही परम्परगत भोजन जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कागणी आदि मिलेट्स फसलों का मानव आहार में महत्तवता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि दैनिक भौजन में मिलेट्स का अधिक से अधिक उपयोग करे जिससे स्वास्थ्य में भी सुधार के साथ-साथ परिवार सदस्यों को कुपोषण से बचाया जा सके। जिला कलक्टर ने कृषि विभाग एवं कृषि से संबधित विभाग द्वारा संचालित योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभान्वित करने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार करने के उपस्थित जिला स्तरीय अधिकरियों को निर्देशित किया। उप निदेशक उद्यान डॉ. शंकर लाल जाट, उप निदेशक सीताफल उत्कृष्टता केन्द्र के राजाराम सुखवाल, उप निदेशक आईपीएम डॉ. ओम प्रकाश शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर गृह विज्ञान मेवाड युनिर्वसीटी से नीलू जैन, कृषि विज्ञान केन्द्र से डॉ. रतन लाल सौलकी एवं श्रीमती दीपा इन्दोरिया, कृषि उपज मण्डी सचिव संतोष कुमार मोदी, नाबार्ड के डीडीएम महेन्द्र डुडी द्वारा भाग लेने वाले प्रतिभागियों को पावर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन के माध्यम से मिलेट्स फसलों की पौषक तत्वता, उन्नत खेती तथा उनसे बनने वाले व्यजनों आदि का प्रस्तुतीकरण किया गया। प्रस्तुतीकरण पश्चात् प्रतिभागियो की जिज्ञासाओं को अधिकारियो द्वारा चर्चा कर जानकार दी गई।
कार्यशाला में 170 प्रगतिशील कृषक एवं कृषक महिलाऐं स्वयं सहायता समूह, एफ.पी. ओ., जनप्रतिनिधि, कृषि उद्यमी एवं कृषि तथा कृषि से सम्बन्धित विभागीय अधिकारीयों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन रमेश आमेटा, कृषि अनुसंधान अधिकारी (शष्य) द्वारा किया गया।