अचानक हार्ट स्ट्रोक से जवान मौतों पर डॉ दीपक माहेश्वरी ने जताई चिंता
जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ दीपक माहेश्वरी ने अचानक हार्ट स्ट्रोक से जवान मौतों पर चिंता जताई है। विश्व हृदय दिवस के उपलक्ष्य में कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी और इंडिया राजस्थान चैप्टर की ओर से जयपुर में 5वीं कार्डियक प्रीवेंट 2023 कांफ्रेंस आयोजित की गई। इस सालाना कांफ्रेंस में हृदय रोगों यानी दिल की बीमारियों की रोकथाम और बचाव के उपायों के साथ ही लेटेस्ट उपचार की तकनीकों और दवाओं पर भी गहन चिंतन मनन किया गया।
देश भर से मशहूर हार्ट स्पेशलिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट जयपुर के होटल मैरियट में हुई 5वीं कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की कार्डियक प्रीवेंट 2023 कांफ्रेंस में शामिल हुए। हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की इस कांफ्रेंस के आयोजन सचिव जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के प्रोफेसर डॉ दीपक माहेश्वरी और ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन डॉ एसएम शर्मा रहे। जबकि जॉइंट ऑर्गेटाइनिंग सेक्रेट्री डॉ दिनेश गौतम, साइंटिफिक चेयरमैन डॉ राजीव गुप्ता और ट्रेज़रार सीएसआई राजस्थान डॉ गौरव सिंघल रहे।
मेरठ से आए सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ राजीव अग्रवाल ने एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल टारगेट्स फॉर इंडिया एंड इंपॉर्टेंस ऑफ स्टेटिन्स विषय पर अपना लेक्चर दिया। डॉ राजीव अग्रवाल ने बताया कि सीएसआई की जयपुर में हो रही यह अनोखी कांफ्रेंस है, जिसमें बीमारियों के इलाज से ज्यादा बीमारियों से बचने के बारे में बताया जा रहा है। किस तरह हम बीमारियों से बचा जा सके।
हार्ट की बीमारियां जीवन शैली के परिवर्तन से बढ़ रही हैं। यंग एज को एम्बीशन कैपेबिलिटीज़ हैं, दूसरी ओर स्पेस ऑफ लाइफ है। आज कल लोगों को ऑनलाइन वर्क करना होता है। ऑड ऑवर काम करना पड़ता है। 24 आवर अकाउंटेबिलिटी है। सीट पैटर्न बदल गया है। वर्किंग वीमन होने के कारण किचन कॉन्प्रोमाइज हो गया है। फास्ट फूड एक रियलिटी बन गया है। बच्चों को स्कूल में प्लेइंग ऑवर्स नहीं है। मोबाइल ने बच्चों की फिजिकल एक्टिविटीज का स्पेस ले लिया है। ये सब वजह दिल की बीमारियों की ओर ले जाती हैं।
आज कल बच्चे स्कूल में फास्ट फूड, बर्गर और सॉफ्ट ड्रिंग लेते हैं। टिफिन घर से लेकर नहीं जाते हैं। इन सब चीजों का बचपन से ही प्रभाव पड़ रहा है। हार्ट के लिए रिस्क फैक्टर्स निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। 30-40 साल की उम्र में युवा शुगर, ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों से घिर रहे हैं।
वर्किंग लोगों के लिए फूड का ऑर्डर करना आजकर बहुत आसान बात है। लेकिन खाना बनाने की प्रक्रिया एक फुल टाइम फिजिकल एक्टिविटी है। यह पूरा जॉब है, लेकिन डिस्पोजेबल डिब्बे में ऑर्डर करना फिजिकल एफर्ट को खत्म करता है। हम लोग आज जो प्रोसेस फूड खा रहे हैं। प्रोसेस फूड को लाइफ देने के लिए उसमें कैमिकल का लगना जरूरी है। कोई भी ऑयल हो वो घातक है, क्योंकि हम लोगों की इतनी फिजिकल एक्टिविटी नहीं रही है, जो ऑयल को डायजेस्ट कर सकें।
उन्होंने कहा, मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हूं, जहां चाय में इतनी चीनी डाली जाती है कि चम्मच खड़ी हो जाए और सब्जी में इतना घी डाला जाता है कि चम्मच खड़ी हो जाए। लेकिन उन लोगों को बीमारी नहीं होती थी, क्योंकि सारे दिन वॉक और लेबर करते थे। गांव में जाने के लिए पांच किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। आजकल हमारे किसान कार से खेत पर खड़े होते हैं। किराए की लेबर लेकर काम करते हैं। पहले रिक्शा चलाने वाले थे, अब इलेक्ट्रिकल रिक्शा शुरू हो गए हैं, जो टैक्सी ड्राइवर्स की तरह बढ़ गए हैं, उनके वजन और स्मोकिंग बढ़ गई है।
जब हम साइंस को लाते हैं तो उसके दुष्प्रभावों को छोड़ नहीं पाते हैं, उसके दुष्प्रभाव भी साथ-साथ आते हैं। इन सबको हम लाइफ स्टाइल डिजीज कहते हैं। इस कांफ्रेंस का मकसद यही है कि किसी भी तरह हम बीमारियों को आने से रोकें। कॉलेस्ट्रॉल आज भी उतना ही अहमियत का कारण है। जब कॉलेस्ट्रॉल एक-दो दशक तक बनता रहता है, तो उस पर कैल्शियम भी जम जाता है। कॉलेस्ट्रॉल नि:संदेह हार्ट की बीमारियों का बड़ा कारण है। बहुत सारी नई दवाइयां आई हैं। स्टैटिन्स की दवाइयां, बैम्पेडोइक एसिड, एजिटोमाइब आई है और इन्क्लीसिरान नाम की दवा भी आने जा रही है। सबसे अच्छी बात यह है कि भारत में ब्रांडेट तीनों दवाइयां 50-60 रुपये में मिल जाती हैं। जबकि किसी भी कंट्री में 1000-1500 रुपये से कम में ये दवाएं नहीं हैं। तो डॉक्टर्स और कम्युनिटी के लिए यह बहुत बड़ी अपॉर्च्युनिटी है। इन दवाइयों का लिबरल यूज करें, ताकि हमारा एलडीएल कॉलेस्ट्रॉल कम हो।
कोविड के बाद अचानक मौतें बढ़ीं
डॉ राजीव अग्रवाल ने बताया कि हम कोविड की पूरी स्क्रूटिनी नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि कोविड के बाद अचानक मृत्यु की प्रक्रिया लोगों में काफी बढ़ी है। सरकार की तरफ से ऐसा कोई प्रयास नहीं है कि कोविड के बाद लोगों की जो इस किस्म की अचानक मौत हो रही है, उनका पोस्टमॉर्टम करवाएं या उनकी कोई मेडिकल हिस्ट्री लें। कम्युनिटी हमसे चाहती है कि हम इस पज़ल की गुत्थी को सुलझाएं, लेकिन इस पज़ल को बिना इंवेस्टिगेशन और स्क्रूटिनी के नहीं सुलझा सकते।
निश्चित रूप से हम यह ऑब्जर्व कर रहे हैं। कोविड के टीके के कारण क्या इंफ्लेमेशन बढ़ा है यह कहना मुश्किल है। क्योंकि स्क्रूटिनी ही नहीं हो रही है। सरकार की ओर से ऐसा रेग्युलेशन होना चाहिए कि जहां अचानक मौत हो रही है। उन घरों में कोई हेल्थ वर्कर जाए और प्रोटोटाइप बेस्ड 10-20 सवालों का जवाब लें, कि क्या उन्हें मरने से पहले लक्षण थे, उनकी क्या जांचें हुईं, क्या उन्हें वैक्सीनेशन हुआ, क्या उन्हें कोविड हुआ। जब तक ऐसी इंटेरोगेशन नहीं करेंगे, जब तक इन बातों का सही जवाब नहीं मिल पाएगा।
अचानक हार्ट अटैक से मौतें रोकने की स्ट्रेटेजी पर चर्चा
एसएमएस मेडिकल कॉलेज जयपुर के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ दीपक माहेश्वरी ने बताया कि इस कांफ्रेंस का मकसद हार्ट की डिजीज को होने से पहले रोकना है। कार्डियक डिजीज होने से पहले रोकना और होने के बाद में इलाज लेने पर रोकना दोनों इसमें शामिल हैं। आज कल अचानक कार्डियक अटैक हो रहे हैं या जवान लोगों की मौत हो रही है। हमारे बहुत सारे डॉक्टर्स भी गए हैं, जो हेल्थ केयर करते हुए फील्ड में ही चले गए। हम सब चाहते हैं कि कोई ऐसी स्ट्रेटेजी निकले कि हम मौतों को जीरों नहीं कर पाएं तो कम से कम नैग्लीजिबल कर सकें। जितनी रिस्क कम कर पाएं, उसी की कोशिश की जा रही है। उसी के लिए यह कांफ्रेंस आयोजित की गई है।