कृष्ण गोपियों और राम भरत मिलाप के वात्सल्य प्रेम से श्रोताओं को सराबोर कर दिया

शाहपुरा (किशन वैष्णव)बिलिया गांव में चल रहे पंच कुंडात्मक यज्ञ,चारभुजा नाथ,राधा कृष्ण,भगवान शंकर, गणेश,हनुमान जी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का 7 दिवसीय धार्मिक महोत्सव के छठे दिन भागवत कथा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्म हुआ।कृष्ण का जन्म होते ही महिलाओं ने कथावाचक पंडित हरिओम शास्त्री के साथ बधाई गाई।भजनों पर श्रोता जमकर झूमे।श्रोताओं को कथा का स्मरण कराते हुए कथा हरिओम शास्त्री ने कहा कि सत्कर्म ही मनुष्य को भगवान के दर्शन कराते है।भगवान प्रत्येक जगह विराजमान है, सिर्फ उन्हें पहचानने की जरूरत है। इसलिए सभी लोग अच्छे कर्म करें।इससे उन्हें भगवान की प्राप्ति अवश्य होगी। वह निरोगी काया के साथ जीवनयापन कर सकेंगे।संकीर्तन मंडली ने मधुर भजनों से सारा वातावरण भक्तिमय कर दिया।श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। कथा के दौरान जैसे भगवान का जन्म हुआ तो पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंज उठा। इस दौरान लोग झूमने-नाचने लगे। इस मौके पर कथा व्यास पंडित हरिओम शास्त्री ने कहा कि मनुष्य के जीवन में अच्छे व बुरे दिन प्रभु की कृपा से ही आते हैं। उन्होंने कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई। कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।उन्होंने फरमाया कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, जेल के ताले टूट गये,पहरेदार सो गये। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। प्रभु की कृपा से कुछ भी असंभव नहीं है। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। भगवान का जन्म होने के बाद वासुदेव ने भरी जमुना पार करके उन्हें गोकुल पहुंचा दिया। वहां से वह यशोदा के यहां पैदा हुई शक्तिरूपा बेटी को लेकर चले आये।अंत में उन्होंने बताया कि मनुष्य भगवान को छोड़कर माया की ओर दौड़ता है। ऐसे में वह बंधन में आ जाता है। मानव को अपना जीवन सुधारने के लिए भगवत सेवा में ही लीन रहना चाहिए।भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया गया।इस मौके पर कथाव्यास हरिओम शास्त्री महाराज ने संगीतमय कथा वाचन कर भगवान की बाल लीलाओं के चरित्र का वर्णन किया।श्रोताओं से कहा कि लीला और क्रिया में अंतर होती है। अभिमान तथा सुखी रहने की इच्छा प्रक्रिया कहलाती है। इसे ना तो कर्तव्य का अभिमान है और ना ही सुखी रहने की इच्छा, बल्कि दूसरों को सुखी रखने की इच्छा को लीला कहते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने यही लीला की, जिससे समस्त गोकुलवासी सुखी और संपन्न थे।उन्होंने कहा कि माखन चोरी करने का आशय मन की चोरी से है। कन्हैया ने भक्तों के मन की चोरी की।उन्होंने तमाम बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए उपस्थित श्रोताओं को वात्सल्य प्रेम में सराबोर कर दिया।
राक्षसी पूतना ने भगवान कृष्ण को स्तन से जहरीला दूध पिलाया
कथावाचक ने कथा में कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म लेने पर कंस उनकी मृत्यु के लिए राज्य की सबसे बलवान राक्षसी पूतना को भेजता है।राक्षसी पूतना भेष बदलकर भगवान कृष्ण को अपने स्तन से जहरीला दूध पिलाने का प्रयास करती है, परंतु भगवान उसका वध कर देते हैं। इसी प्रकार कार्तिक माह में ब्रजवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पूजन कार्यक्रम की तैयारी करते हैं, परंतु भगवान कृष्ण उनको इंद्र की पूजा करने से मना कर देते हैं और गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहते हैं। यह बात सुनकर भगवान इंद्र नाराज हो जाते हैं और गोकुल को बहाने के लिए भारी वर्षा करते हैं। इसे देखकर समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैं। भारी वर्षा को देखकर भगवान कृष्ण कनिष्ठ अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर सभी लोगों को उसके नीचे छिपा लेते हैं। भगवान द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर लोगों को बचाने से इंद्र का घमंड चकनाचूर हो गया।मथुरा को कंस के आतंक से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया।
रामलीला मंडली ने राम भरत मिलाप की सुंदर लीलाएं प्रस्तुत की
भीलवाड़ा की रामलीला मंडली संयोजक संध्या टेलर के नेतृत्व में मंडली द्वारा आकर्षक रामलीला का मंचन किया गया जिसमे सीता हरण और भरत मिलाप की सुंदर झांकी प्रस्तुत की गई साथ ही प्रमुख आकर्षण भरत मिलाप एवं सीता हरण रहा।जिसमें भरत एव शत्रुघ्न अपने ननिहाल से अयोध्या पहुंचते हैं तो वहा पर राम लक्ष्मण एवं सीता को ना पाकर बैचेन हो जाते हैं। उन्हें पता लगात है कि राम को वनवास दिया गया है जिस कारण उन्होंने भी राम के साथ वनों में रहने का निर्णय लिया और राज गद्दी को छोड़ दिया। वन-वन भटकते हुए राम के पास पहुंचते हैं तो लक्ष्मण कहता है कि भरत कहीं हम पर सेना लेकर हमला करने तो नहीं आ रहा है इस पर राम ने समझाया और कहा कि वह हमारी सुधी लेने आया होगा। भरत मिलाप का दृश्य देख सब की आखें नम हो गई।सूर्पनखा जंगल में घूम रही थी। उसी समय उसकी नजर राम और लक्ष्मण पर पड़ी उसका मन उनसे शादी करने को करने लगा और वह राम के पास गई तो राम ने टाल दिया कि वह उस को पटरानी नहीं बना सकते उन्होंने एक ही शादी का निर्णय लिया है। इस पर वह लक्ष्मण पर डोरे डालने लगी।लक्ष्मण ने कहा कि अगर बड़े भैया इजाजत दें तो ही शादी करुंगा। इस के बाद राम के पास गई और राम ने कुछ लिख कर दिया जिस के बाद लक्ष्मण ने उस की नाक काट दी। नाक काटने की दर्द से चिल्लाती हुई वह अपने भाइयों खर और दूषण के पास गई उन्होंने बदला लेने के लिये युद्ध किया दोनों का बध राम ने कर दिया। इसके बाद रावण के पास गई और बताया कि वन में राम लक्ष्मण और सीता आई हैं। सीता का नाम सुनते ही रावण सोचने लगा कि स्वयंवर में तो नहीं जीत पाया अब उसे अपनी पटरानी बनाकर रहूंगा। फिर सीता हरण का दृश्य दिखाया जाता है। रास्ते में सीता के राम-राम चिल्लाने की आवाज सुन कर जटायु गिद्ध सीता को छुड़ाने आता है तो उसका पंख रावण काट देता है और को लेकर लंका चला जाता है। राम-लक्ष्मण जब पंचवटी कुटिया में आये तो सारा मामला समझ आ गया। ढूंढते हुए उन्हें जटायु मिला, जिसने बताया कि रावण लंका में ले गया।
चारभुजा राधा कृष्ण सहित पंच मूर्तियों का महाअभिषेक किया
7 दिवसीय धार्मिक आयोजन में छठे दिन चारभुजा,राधाआई कृष्ण,शंकर,गणेश और भगवान हनुमान जी पंच परमेश्वर मूर्तियों का महाअभिषेक किया गया।तथा पंच कुंडात्मक यज्ञ में ग्रामवासियों द्वारा क्षेत्र के कल्याण, सेवा और गौ रक्षा के लिए विधि पूर्वक मंत्रोचार कर बारी बारी से जोड़े बैठकर आहुतियां दी जा रही है।वही चारभुजा समिति अध्यक्ष भंवर लाल गुर्जर ने बताया की पूर्णाहुति के मुख्य आयोजन की पूर्व संध्या को भजन कलाकार गोकुल शर्मा, साइड कलाकार राखी रंगीली,हंसा रंगीली व कॉमेडी कलाकार रमेश कुमावत द्वारा प्रस्तुतियां दी जाएगी।
राज्य मंत्री धीरज गुर्जर को दिया कार्यक्रम का न्योता
पूर्णाहुति और मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर समिति और ग्रामवासियों द्वारा बिज नीगम अध्यक्ष और राज्य मंत्री धीरज गुर्जर को निमंत्रण पत्र निमंत्रण पत्र भेट किया जिसको स्वीकार करते हुए राज्य मंत्री धीरज गुर्जर ने चारभुजा समिति अध्यक्ष ओम प्रकाश गुर्जर,उपाध्यक्ष परमेश्वर कुमावत, संचिव रामेश्वर जाट सहित समस्त ग्रामवासियों को बधाई संदेश भेजा गया तथा राज्य मंत्री धीरज गुर्जर भजन संध्या कार्यक्रम में शिरकत में कर सकते हैं।वही कार्यक्रम में पूर्णाहुति कार्यक्रम में यज्ञाचार्य रामधन शास्त्री द्वारा मंत्रोचार किया जा रहा है।