अल नीनो कमजोर पड़ रहा, भारत में मानसून की अच्छी बारिश होने की उम्मीद बढ़ी : मौसम विज्ञानी
मौसम विज्ञानियों ने रविवार को भविष्यवाणी की है कि 2023 में गर्माहट देने के बाद इस साल जून तक अल-नीनों की स्थिति कमजोर हो जाएगी। जिससे इस मौसम में भरपूर मानसूनी बारिश की उम्मीद बढ़ गई है।
पिछले हफ्ते दो जलवायु एजेंसियों ने कहा था कि प्रशांत महासागर के गर्म होने से अल नीनो कमजोर होना शुरू हो गया है। अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने की संभावना है। भारत के मौसम वैज्ञानिक भी घटनाक्रमों पर करीब से नजर रख रहे हैं। उनका कहना है कि जून-अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब है कि इस साल मानसून की बारिश पिछले साल की तुलना में बेहतर होगी।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा, जून-जुलाई तक ला-नीना विकसित होने की अच्छी संभावना है। उन्होंने कहा, अगर इस साल अल नीनो, ईएनएसओ (अल-नीनो साउदर्न ओस्सीलेशन) न्यूट्रल में बदल गया तो भी इस साल का मानसून पिछले साल से बेहतर रहेगा।
भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग सत्तर फीसदी दक्षिण-पश्चिम मानसून से आता है। यह कृषि क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 14 फीसदी है। 1.4 अरब की आबादी वाले देश में आधी से ज्यादा जनसंख्या को आजीविका देता है।
अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने पिछले हफ्ते कहा था कि अप्रैल-जून तक अल-नीनो के ईएनएसओ-न्यूट्रल में बदलने की 79 फीसदी संभावना है। इसके अलावा, जून-अगस्त तक ला नीना के विकसित होने की 55 फीदी संभावना है।
यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा ने भी अल नीनो के कमजोर पड़ने कीपुष्टि की है। वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डी शिवानंद पई ने कहा,, अभी हम निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते। कुछ मॉडल ला नीना का संकेत दे रहैं। जबकि, कुछ ईएनएसओ-न्यूट्रल की भविष्यवाणी कर रहे हैं। अल-नीनो खत्म होने की संभावना है। सभी मॉडल अल-नीनो के खत्म होने की ओर इशारा कर रहे हैं।