दूरसंचार विधेयक के इस प्रावधान से एलन मस्क की स्टारलिंक को मिल सकता है फायदा, जानें कैसे
सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के 11वें दिन टेलीकम्युनिकेशन बिल लोकसभा में पेश कर दिया। यह विधेयक भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम 1933 और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम 1950 की जगह लेगा। इस बिल में एक ऐसा प्रावधान है, जिससे एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को फायदा मिल सकता है। दरअसल सरकार ने इस बिल में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं के स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय लाइसेंस देने का प्रावधान किया है।
लाइसेंस देगी सरकार
बता दें कि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं प्रदान करती हैं और कंपनी ने स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी करने के बजाय लाइसेंस देने की ही मांग की थी। साथ ही कई अन्य विदेशी कंपनियां भी लाइसेंस प्रक्रिया की ही मांग कर रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विदेशी कंपनियों का तर्क था कि भारत में स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी होने से उनकी लागत और निवेश बढ़ जाएगा। वहीं देश के सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर कंपनी रिलायंस जियो के लिए यह प्रावधान झटका माना जा रहा है। दरअसल रिलायंस जियो ने सरकार से अपील की थी कि स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए नीलामी ही सही तरीका है।
36 प्रतिशत सालाना की दर से ग्रोथ कर रही भारत की ब्रॉडबैंड सर्विस मार्केट
सैटेलाइट इंडस्ट्री के विशेषज्ञ ने बताया कि पारंपरिक नीलामी प्रक्रिया की जगह लाइसेंस प्रक्रिया एक व्यवहारिक पद्धति है और इससे सैटेलाइट सेवाएं ज्यादा बेहतर तरीके से लागू हो सकेंगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस मार्केट 36 प्रतिशत सालाना की दर से ग्रोथ कर रहा है और साल 2030 तक इसके 1.9 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
नए बिल में क्या हैं प्रावधान
बता दें कि टेलीकम्युनिकेशन विधेयक के लागू होने के बाद सरकार के पास राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से किसी भी देश या व्यक्ति के टेलीकॉम सेवा से जुड़े उपकरणों को निलंबित या प्रतिबंधित करने का अधिकार मिल जाएगा। आपात स्थिति में सरकार मोबाइल सेवाओं और नेटवर्क पर प्रतिबंध भी लगा सकेगी। सरकार का कहना है कि नए विधेयक से टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा बढ़ने, टेलीकॉम नेटवर्क की बेहतर उपलब्धता और निरंतरता सुनिश्चित हो सकेगी। नए बिल में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम के एडमिनिस्ट्रेटिव एलॉकेशन को बायपास करने का भी प्रावधान किया गया है, जिससे सर्विसेज की शुरुआत में तेजी आएगी।
टेलीकम्युनिकेशन बिल में प्रावधान है कि टेलीकॉम सर्विस देने वाली कंपनियों को उपभोक्ताओं को सामान, सेवाएं और प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले उनकी सहमति लेनी होगी। साथ ही ऐसा मैकेनिज्म भी बनाना होगा, जहां उपभोक्ता शिकायत भी कर सकें। नए बिल में ओटीटी सेवाओं जैसे ई-कॉमर्स, ऑनलाइन मैसेजिंग को टेलीकॉम सर्विसेज की परिभाषा से बाहर रखा गया है।