हर साल होटलों में परोसा जा रहा लगभग 251.6 टन शार्क मांस, खतरे में प्रजाति

हर साल होटलों में परोसा जा रहा लगभग 251.6 टन शार्क मांस, खतरे में प्रजाति
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गोवा में सबसे अधिक रेस्तरां शार्क का मांस परोसते हैं। स्थानीय और पर्यटक दोनों द्वारा ‘बेबी शार्क’ का ज्यादा सेवन करने से इनकी मांग बढ़ रही है। इससे खतरे में पड़ी प्रजातियों छोटे शरीर वाली यानी बेबी शार्क और साथ ही किशोर शार्क के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं।

भारत में शार्क के मांस की खपत में भारी वृद्धि हुई है। तटवर्ती सैकड़ों रेस्टोरेंट के मुख्य मेन्यू में शार्क को शामिल कर लिया गया है। एक अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में शार्क और रे प्रजातियों में से एक तिहाई से अधिक विलुप्त होने की कगार में हैं। इसका मुख्य कारण लोगों द्वारा उपभोग के कारण उनका अत्यधिक शिकार किया जाना है।

कंजर्वेशन साइंस एंड प्रैक्टिस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि भारत में इन प्रजातियों की पकड़ दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा है। खासकर दक्षिणी क्षेत्रों में इनके मांस की खपत तेजी से बढ़ रही है। अध्ययन में समुद्र तटीय राज्यों में हजारों समुद्री भोजन रेस्तरां का सर्वेक्षण किया गया।

गोवा में सबसे अधिक रेस्तरां शार्क का मांस परोसते हैं। स्थानीय और पर्यटक दोनों द्वारा ‘बेबी शार्क’ का ज्यादा सेवन करने से इनकी मांग बढ़ रही है। इससे खतरे में पड़ी प्रजातियों छोटे शरीर वाली यानी बेबी शार्क और साथ ही किशोर शार्क के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं।


गोवा में सबसे अधिक खपत
अध्ययन में भारत के 10 तटीय क्षेत्रों में 2,649 होटलों में से 292 के मै मेन्यू में शार्क का मांस शामिल था। गोवा में शार्क और रे मांस बेचने वाले रेस्टोरेंट की संख्या सबसे अधिक 35.8% थी। इसके बाद तमिलनाडु 34.6 और महाराष्ट्र 4.6 फीसदी थी। कुल मिलाकर गोवा और तमिलनाडु में भारत के 70% रेस्तरां शार्क का मांस परोसते हैं। हर साल भारत के रेस्टोरेंटों में लगभग 251.6 टन शार्क मांस बेचा जाता है। यह लगभग 83,866 शार्क के बराबर है। इनमें से प्रत्येक का वजन तीन किलोग्राम होता है। यह आंकड़ा भारत में शार्क और रे की वार्षिक पकड़ का 9.8 फीसदी तक है।

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