वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया

वित्त मंत्री ने लोकसभा में पेश किया श्वेत पत्र, यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लोकसभा में 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक श्वेतपत्र पेश किया। इस श्वेतपत्र में यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है। यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में वर्तमान केंद्र सरकार की ओर से जारी श्वेत पत्र में बातया गया है कि तत्कालीन सरकार आर्थिक क्रियाकलावों को सुचारु रूप से चलाने में विफल रही। उसकी जगह पर सरकार की ओर से लिए गए निर्णय देश को और पीछे की ओर ले गए। श्वेत पत्र के अनुसार यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह विफल रही। इसके बजाय यूपीए सरकार ने ऐसी बाधाएं पैदा कीं जिससे अर्थव्यवस्था रुक गई। उस सरकार ने वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सुधारों के विलंबित प्रभावों और अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाया और दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों की अधिक चिंता किए बिना संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए परिणामी रूप से तेज आर्थिक विकास का शोषण करना शुरू कर दिया। 

नतीजा यह हुआ कि बुरे ऋणों का पहाड़ खड़ा हो गया। उच्च राजकोषीय घाटा, उच्च चालू खाता घाटा और पांच वर्षों के लिए दो अंकों की मुद्रास्फीति की स्थिति बनी। जिसने कई भारतीयों की जेब पर असर डाला और देश  "फ्रैजाइल फाइव" के क्लब में शामिल हो गया।

सरकार ने श्वेत पत्र में बताया कि यूपीए काल के शासक न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाने में विफल रहे, बल्कि अर्थव्यवस्था को इस तरह लूटा कि हमारे उद्योगपतियों ने रिकॉर्ड पर कहा कि वे भारत के बजाय विदेश में निवेश करना पसंद करेंगे। निवेशकों को भगाना आसान है लेकिन उन्हें वापस जीतना कठिन है। यूपीए सरकार ने यह भी प्रदर्शित किया कि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की तुलना में उसे नुकसान पहुंचाना आसान है।

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