पंच दिवसीय श्रीराम महायज्ञ प्रारंभ
चितौड़गढ़। अष्टादश कल्याण महाकुंभ के पंचम दिवस बुधवार को श्रीराम यज्ञशाला में पंच दिवसीय श्रीराम महायज्ञ वैदिक विधान एवं पारंपरिक अनुष्ठान के साथ प्रारंभ हुआ। जिसमें 325 से अधिक युगल यजमानों ने शाकल्य एवं गौघृत्य की आहूतियां देते हुए घर परिवार देश प्रदेश में चहूं ओर खुशहाली की कामना की। इस दौरान वेदपीठ के आचार्यों एवं बटुकों के मंत्रोच्चार के साथ यजमानों ने ब्राह्माण्ड के समस्त देवताओं, ग्रहों एवं भगवान श्रीराम के मंत्रों के साथ आहूतियां दी गई। प्रारंभ में यज्ञशाला में स्थापित देवताओं की वैदिक विधान के अनुसार पूजा अर्चना कर यज्ञ का शुभारंभ किया गया। यज्ञ मंडप में स्थापित देवताओं के साथ ही सर्वतो भद्र मंडल एवं श्रीराम भद्र मंडल यजमानों एवं दर्शनार्थियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा। जहां ठाकुर श्री को विराजित किया गया था। प्रथम दिवस के यज्ञ विश्राम के बाद बड़ी संख्या में मौजूद यजमानों एवं दर्शनार्थियों द्वारा यज्ञ की परिक्रमा की गई। जिसमें से कई श्रद्धालु 51 से लेकर 108 तक परिक्रमा करते हुए देखे गए। परिक्रमा उपरान्त सभी ने यज्ञाचार्य के रूप में ठाकुरजी को नमन कर आशीर्वाद के साथ यज्ञ का प्रसाद ग्रहण कर भोजन शाला में महाप्रसाद प्राप्त किया।
अरणी मंथन के साथ प्रकट हुए अग्निदेव
वेदपीठ की परंपरा अनुसार श्रीराम महायज्ञ का शुभारंभ करने से पूर्व ऋग्वेद के अग्निसूत्र की ऋचाओं एवं मंत्रों का आचार्यों एवं बटुकों द्वारा सहस्वर पाठ करते हुए अग्निदेव के आह्वान के साथ पौराणिक यज्ञ परंपरा अनुरूप अरणी मंथन का अग्नि देव को प्रकट करते हुए मुख्य कुण्ड सहित सभी 51 कुण्डों में स्थापित किया गया। अरणी मंथन का यह दृश्य लोगों के लिए अचरज भरा रहा तथापि अनवरत अरणी मंथन के दौरान जब अग्निदेव प्रकट हुए तो समूचा यज्ञ मंडप अग्निदेव एवं ठाकुर श्री कल्लाजी के जयघोष से गूंज उठा। इस दौरान श्रद्धालु यजमान राम नाम का जाप करते रहे।
हेमाद्री स्नान ने कराई गंगातट की अनुभूति
पारंपरिक यज्ञ व्यवस्था में हेमाद्री स्नान का विशेष महत्व रहा है, जिसका अनुसरण करते हुए वेदपीठ की ओर से यज्ञ में भाग लेने वाले पुरूष यजमानों को कम्युनिटी हॉल में 10 विधि हेमाद्री स्नान कराकर जब जनेऊ धारण कराई गई तो सामूहिक अनुष्ठान का यह दृश्य गंगातट की अनुभूति करा रहा था। वैदिक विद्वानों एवं आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ यजमानों को हेमाद्री स्नान करवाकर यज्ञ शाला में प्रवेश दिया गया।
एकादश द्रवों से हुआ ठाकुर जी का महारूद्राभिषेक
कल्याण महाकुंभ के प्रतिदिन ठाकुर जी का एकादश एवं 21 द्रव्यों से महारूद्राभिषेक कराया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को मंगला दर्शन के पश्चात ठाकुरजी का बिल्व फल सहित एकादश द्रवों से महारूद्राभिषेक किया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अनुष्ठान के भी साक्षी बनें।
पुरी के मदन मोहन स्वरूप में हुआ ठाकुरजी का मनभावान श्रृंगार
वेदपीठ पर विराजित कल्याण नगरी के राजाधिराज ठाकुर जी कल्लाजी सहित पंच देवों का महाकुंभ के दौरान नित्य नया श्रृंगार श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसी कड़ी में महाकुंभ के पंचम दिवस ठाकुर जी को जगन्नाथपुरी के मदन मोहन जी का स्वरूप धराया गया। स्वर्ण आभा के साथ ठाकुर जी के मनमोहक दर्शन कर हजारों श्रद्धालु आनन्दित होते हुए नजर आए। हर कोई अपने आराध्य के अनुपम दर्शन और झांकी को देखकर आचार्यों एवं कलाकारों की प्रशंसा करते हुए नजर आया। वेदपीठ को सुगंधित फूलों से सजाया गया था। जिसकी महक से समूचा वातावरण सुगंधित था।
ठाकुर जी को धराया जगन्नाथपुरी का छप्पन भोग
यूं तो प्रतिवर्ष प्रतिदिन कल्याण महाकुंभ के दौरान ठाकुर जी को छप्पन भोग लगाया जाता रहा है, लेकिन यह प्रथम अवसर था, जब जगन्नाथपुरी के पाक शास्त्रियों द्वारा तैयार किया गया। भगवान जगन्नाथ को लगाया जाने वाला छप्पन भोग ठाकुर जी के समक्ष धराया गया। इस छप्पनभोग को जगन्नापुरी से आए पिताम्बर, ताराशंकर मिश्र, रोहितकुमार, सनियादास, विभूतिदास, ऋषिकेश सहित अन्य लोगों द्वारा तैयार किया गया था। जगन्नाथपुरी की परंपरा अनुसार ठाकुर जी को मिट्टी के पावन पात्रों में धराए गए छप्पनभोग में खाजा, खिणी, चक्रपानी, लोडू, मगज लोडू, बुंदिया लढ्ढू, खिर गाजा, लक्ष्मी खुरमा, लविन लता, खिरा चिना, नमकीन चावल, सादे चावल, आलू जलेबी सहित कई पकवान शामिल थे। जिनकी झांकी देखकर नगरवासी भी गद गद होते हुए नजर आए, जिन्हें प्रथम बार जगन्नाथ स्वामी का भोग अपने आराध्य के समक्ष न्यौछावर होता नजर आया।