पहली बार होली से पहले मनेगी कुम्हारों की दीपावली...दीयों की बढ़ी मांग, मिले एडवांस ऑर्डर

पहली बार होली से पहले मनेगी कुम्हारों की दीपावली...दीयों की बढ़ी मांग, मिले एडवांस ऑर्डर
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22 जनवरी को अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। देवभूमि उत्तराखंड भी रामभक्ति में डूबा है। प्राण प्रतिष्ठा की संध्या पर दीपोत्सव मनाया जाएगा। दीपोत्सव के लिए बाजार में अभी से दीयों की मांग होने लगी है।

 ऑफ सीजन में दीयों की एडवांस बुकिंग आने से कुम्हारों के चाक रात-दिन घूम रहे हैं और भट्टियां सुलग रही हैं। पहली बार कुम्हारों के लिए होली से पहले दिवाली जैसा माहौल है। रामभक्तों की ओर से अयोध्या से आए पूजित अक्षत वितरण के लिए शोभायात्रा निकाली जा रही हैं। गांव-मोहल्ले से लेकर शहर की गलियां श्री रामलला के जयकारों से गूंज रही हैं।

रामभक्त 22 जनवरी को अयोध्या पहुंचने का घर-घर निमंत्रण देने के साथ संध्या पर घरों को दीये जलाने का आह्वान कर रहे हैं। कई धार्मिक, सामाजिक और हिन्दू संगठनों के ओर से मिट्टी के दीये भी बांटे जा रहे हैं। समाजसेवी अमित कपूर ने बताया कि उन्होंने एक लाख दीयों का आर्डर दिया है। दीपोत्सव कुम्हारों के लिए ऑफ सीजन में रोजगार का नया अवसर लेकर आया है।

खुद ही दीये तैयार कर रहे
देहरादून की कुम्हार मंडी में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार गंगा शरण प्रजापति और उनके भाई रमेश प्रजापति काफी उत्साहित हैं। गंगा शरण प्रजापति बताते हैं दीपोत्सव के लिए मिट्टों की दीयों की एडवांस बुकिंग है। रात-दिन चाक चला रहे हैं, फिर भी बाजार की मांग पूरी करने में असमर्थ हैं। बताते हैं आमतौर पर आधा तैयार माल वह सहारनपुर और रुड़की से मंगवाते हैं। वहां घना कोहरा होने से दीये नहीं बन पा रहे हैं। ऐसे में खुद ही दीये तैयार कर रहे हैं।

उदल प्रजापति बताते हैं, दीपोत्सव के लिए दीपावली से अधिक दीयों की मांग है। दुकानों से लेकर कई संगठनों की ओर से एडवांस बुकिंग मिली है। बताते हैं कुम्हार मंडी में 250 से अधिक कुम्हारों के परिवार हैं। लेकिन 8-10 परिवार ही अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं। ऑफ सीजन में मिट्टी के दीयों की मांग आने से परिवार के साथ दीये बना रहे हैं। उषा प्रजापति दीयों की पकाने के लिए भट्टी को रात-दिन सुलगा रही हैं। बताती हैं, पति आनंद प्रकाश और बेटे दीये बना रहे हैं और वह उनको भट्टी में पका रही हैं। 15 जनवरी तक एडवांस बुकिंग वाले दीयों की डिलीवरी करनी है।
 

दीये तैयार करने के लिए प्रशासन कर रहा प्रोत्साहित
दीपोत्सव के लिए स्थानीय प्रशासन भी कुम्हारों को अधिक से अधिक दीये बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। गंगा शरण प्रजापति बताते हैं प्रशासन की टीम बीते दिनों उनके घर आई। प्रशासन को अपनी पीड़ा भी बताई। गंगा शरण बताते हैं, सभी कुम्हार बिंदाल पुल के पास सड़क किनारे दीयों और मिट्टी के बर्तन बेचते थे। स्मार्ट सिटी के कार्य होने से उनको हटा दिया। अब घर से ही बिक्री करते हैं। प्रशासन की ओर से दीयों की बिक्री के लिए उपयुक्त जगह उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।

मिट्टी हो गई महंगी और मोटर से घूमने लगी चाक
कुम्हार दीये बनाने के लिए मेहूंवाला से मिट्टी मंगवाते हैं। एक पिकअप मिट्टी का रेट दो हजार रुपये से बढ़कर चार हजार पहुंच गया है। भट्टी जलाने के लिए बुरादा और लकड़ी भी महंगी हो गई है। लेकिन दीपोत्सव के लिए कुम्हारों ने दीयों के रेट नहीं बढ़ाए हैं। फुटकर बाजार में दीये 20 रुपये के 25 और 80 रुपये के 100 बिक रहे हैं। जबकि थोक में आर्डर पर 20 रुपये के 30 और 60 रुपये के 100 दीये बिक रहे हैं। चाक अब हाथ के बजाय बिजली की मोटर से घूमती है।

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