कांग्रेस के पूर्व विधायक को 3 साल की जेल, 50 हजार जुर्माना... 22 वर्ष पहले एसपी को मारा था थप्पड़
अजमेर की PCPNDT कोर्ट की जज सीमा ढ़ाका ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को 3 साल जेल की सजा और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। बाबूलाल सिंगारिया ने कलेक्ट्रेट सभागार में 30 जून 2001 को एक बैठक में तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा और पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को थप्पड़ मार दिया था। इस मामले में बाबूलाल सिंगारिया के खिलाफ मामला दर्ज कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की गई थी। तब से इस केस की सुनवाई चल रही थी। शुक्रवार को कोर्ट ने पूर्व विधायक बाबूलाल सिंगारिया को दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई।
मामले में अभियोजन अधिकारी निर्मला कुमारी ने बताया कि अजमेर के तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी को पूर्व विधायक ने थप्पड़ मार दिया था। जज ने 20 गवाह और दस्तावेजों के आधार पर यह फैसला सुनाया है।इस मामले में आखिरी गवाही तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा की हुई थी। उषा शर्मा अभी प्रदेश की मुख्य सचिव पद पर हैं। जज ने फैसला सुनाते समय टिप्पणी करते हुए कहा- पूर्व विधायक बाबुलाल सिंगारिया जनता की ओर से निर्वाचित सदस्य थे। उनसे गरिमा पूर्ण व्यवहार की अपेक्षा थी। उन्होंने जिस प्रकार का कृत्य किया, यह निंदनीय है। इसलिए उनके साथ नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता।
बाबूलाल सिंगारिया को इन धाराओं में मिली सजा
पीसीपीएनडीटी कोर्ट की जज सीमा ढाका ने आईपीसी की धारा 332 में 3 की सजा, आईपीसी की धारा 353 के तहत 2 साल की सजा, 50 हजार रुपये का जुर्माना और आईपीसी की धारा 186 के तहत 3 माह का कारावास और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। कोर्ट में पूर्व विधायक बाबूलाल की मौजूदगी में उन्हें सजा सुनाई गई। सिंगारिया के वकील ने जमानत अर्जी पेश की है।
कोर्ट में 20 गवाह पेश हुए थे
22 साल पुराने इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से 20 गवाह पेश किए गए। इनमें पीड़ित तत्कालीन एसपी आलोक त्रिपाठी, तत्कालीन एडिशनल एसपी वासुदेव भट्ट, तत्कालीन कलेक्टर उषा शर्मा और अन्य प्रत्यक्षदर्शी के साथ जांच अधिकारी पुन्नू स्वामी सतबीर सिंह भी कोर्ट में पेश हुए थे। 3 नवंबर 2004 को चार्जशीट पेश हुए थी। इससे पहले तत्कालीन एडीएम अशफाक हुसैन ने सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था। सिंगारिया ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस प्रकरण और जांच को काफी समय पेंडिंग रखा। जिसके बाद 7 अप्रैल 2018 को कोर्ट में आरोप तय किए गए। 13 जनवरी 2021 को इस मामले में सबूत और गवाह अदालत में पेश हुए। 21 मार्च 2023 को अदालत में अंतिम बहस हुई। इसमें अभियुक्त बाबूलाल सिंगारिया को दोषी माना गया।
ये है पूरा मामला
30 जून 2001 को अजमेर कलेक्ट्रेट परिसर में जिला सतर्कता और जन अभियोग निराकरण समिति की बैठक हुई थी। बैठक में प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद थे। बाबूलाल सिंगारिया तब कांग्रेस के केकड़ी सीट से विधायक थे। बैठक में मौजूद एसपी आलोक त्रिपाठी और बाबूलाल सिंगारिया के बीच किसी बात पर कहासुनी हो गई। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक विधायक सिंगारिया ने गुस्से में त्रिपाठी के थप्पड़ जड़ दिया। मामले को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था। 22 साल से यह मामला अदालत में चल रहा था।
घटना के वक्त अशोक गहलोत थे मुख्यमंत्री
इस घटना के वक्त 2001 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। अशोक गहलोत उस समय भी मुख्यमंत्री थे। घटना के वक्त गहलोत पाली के एक कार्यक्रम में व्यस्त थे। सुरक्षा अधिकारियों ने घटना की सूचना सीएम गहलोत को दी थी। कार्यक्रम से ही गहलोत ने एसपी त्रिपाठी से बात की। जिसके बाद विधायक सिंगारिया को कांग्रेस पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। तब सिंगारिया के खिलाफ अजमेर के सिविल लाइन थाने में FIR दर्ज हुई थी। जबकि आलोक त्रिपाठी बाद में पुलिस महानिदेशक (एसीबी) के पद से रिटायर हुए थे।
बाबूलाल सिंगारिया का राजनीतिक करियर
- साल 1998 में बाबूलाल सिंगारिया ने केकड़ी (एससी) सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर जीता।
- साल 2003 में बाबूलाल सिंगारिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा प्रत्याशी गोपाल लाल धोबी जीते।
- साल 2008 में केकड़ी सीट सामान्य हुई। तो कांग्रेस ने रघु शर्मा को टिकट दे दिया। सिंगारिया बागी बने, लेकिन रघु शर्मा जीते।
- साल 2013 के विधानसभा चुनाव में सिंगारिया ने एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के शत्रुघ्न गौतम जीते।