चार अफसरों को सस्पेंड , बिना किसी पेशी आदेश के यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाने पर

चार अफसरों को सस्पेंड  ,   बिना किसी पेशी आदेश के यासीन मलिक को सुप्रीम कोर्ट लाने पर
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जम्मू-कश्मीर के आतंकी यासिन मलिक को दिल्ली के तिहाड़ जेल से लापरवाहीपूर्ण तरीके से सुप्रीम कोर्ट लाने के मामले में चार अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक डिप्टी सुपरिंटेंडेंट, दो असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट और एक अन्य अफसर को सस्पेंड कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में 21 जुलाई को कश्मीरी आतंकी यासीन मलिक को बिना किसी पेशी आदेश के कोर्ट में लाया गया था। कोर्ट ने इसे सुरक्षा में चूक माना था। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने होम सेक्रेटरी को लेटर लिखकर इस मामले की गंभीरता से अवगत कराया था।

 

यासीन मलिक को जम्मू अदालत के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था। सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल के साथ उसे अदालत लाया गया। हालांकि, कोर्ट ने व्यक्तिगत तौर पर मलिक की मौजूदगी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उसे व्यक्तिगत रूप से पेश करने का कोई आदेश ही जारी नहीं किया गया था। इसी के साथ यासीन मलिक के मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। बेंच ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश पारित नहीं था जिसमें यासीन मलिक को कोर्ट परिसर में लाने के लिए कहा गया हो। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बेंच को बताया कि अदालत के आदेश की गलत व्याख्या करने पर जेल अधिकारियों की ओर से मलिक को पेशी के लिए लाया गया। उन्होंने बेंच से आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि वे कोई आदेश पारित नहीं कर सकते क्योंकि वह मामले की सुनवाई नहीं कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर वर्चुअल पेशी के तरीके उपलब्ध हैं। अब मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

गृहसचिव को लिखा लेटर

मलिक के कोर्ट में पेश होने पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गृह सचिव को पत्र लिखते हुए इसे गंभीर सुरक्षा चूक करार दिया। उन्होंने पत्र में लिखा कि वह भाग सकता था या उसे जबरन ले जाया जा सकता था। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक के मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआरपी कोड की धारा 268 के तहत आदेश लागू है। जिसके तहत जेल अधिकारियों के पास मलिक को जेल परिसर से बाहर लाने की अनुमति नहीं थी और न ही उनके पास ऐसा करना कोई कारण था।

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