सागर मंथन में गडकरी ने कहा- निर्यात बढ़ाना, आयात घटाना देशभक्ति का नया तरीका ,जानें सब कुछ
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि निर्यात बढ़ाना और आयात कम करना देशभक्ति और स्वदेशी को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने का नया रास्ता है। उन्होंने कहा कि वह दिन भारत के लिए नई आजादी की तरह होगा, जब देश पेट्रोल या डीजल की एक बूंद भी आयात नहीं करेगा।
पेट्रोल और डीजल के आयात को रोकना...
एक साप्ताहिक पत्रिका के कार्यक्रम ‘सागर मंथन 2.0’ में भाग लेने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के आयात को रोकना दुनिया में आतंकवाद को रोकने से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, 'जब तक यह आयात बंद नहीं होगा, दुनियाभर में आतंकवाद नहीं रुकेगा। मेरे जीवन का मकसद पेट्रोल और डीजल के आयात को रोकना है। मैं उस दिन को भारत के लिए एक नई आजादी मानता हूं, जब देश में पेट्रोल और डीजल की एक बूंद भी आयात नहीं की जाएगी।'
अगर हम इस आयात को कम करते हैं, तो...
गडकरी ने कहा कि पेट्रोल और डीजल का आयात बिल इस समय 16 लाख करोड़ रुपये है। अगर हम इस आयात को कम करते हैं, तो हम जो पैसा बचाएंगे, वह गरीबों के पास जाएगा। यही कारण है कि हम ईंधन का वैकल्पिक लेकर आए। आयात में कमी और निर्यात में वृद्धि देशभक्ति और स्वदेशी को अपनाने की दिशा में आगे बढ़ने का रास्ता है।
दुनिया में नंबर एक पर होगा ऑटोमोबाइल उद्योग
मंत्री ने कहा कि जब उन्होंने साल 2014 में कार्यभार संभाला था, तब भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग का आकार सात लाख करोड़ रुपये था। अब यह बढ़कर 12.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस क्षेत्र में 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। इसके अलावा ऑटोमोबाइल उद्योग सरकारों को सर्वाधिक जीएसटी राजस्व भी देता है। उन्होंने कहा कि देश का ऑटोमोबाइल उद्योग अगले पांच साल में दुनिया में नंबर एक होगा। अगर हम विश्वगुरु बनना चाहते हैं और पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं तो हमें निर्यात में नंबर एक बनना होगा।
सात से तीसरे स्थान पर पहुंचा
बता दें, तीन महीने पहले भारत ऑटोमोबाइल निर्यात क्षेत्र में सातवें स्थान से उछलकर जापान जैसे पावरहाउस को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर पहुंच गया था। उन्होंने दावा कर कहा, 'मैं आपको बता सकता हूं कि आत्मनिर्भर भारत और सुशासन जैसी हमारी पहलों के आधार पर हम अगले पांच साल में नंबर एक पर होंगे।'