भगवान ने नरसी मेहता का रूप धारण कर तलाजा गांव के लोगांे को भोजन कराया

भगवान ने नरसी मेहता का रूप धारण कर तलाजा गांव के लोगांे को भोजन कराया
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भीलवाडा-   नानीबाई रो मायरो महोत्सव सेवा समिति सदस्य रामपाल शर्मा ने बताया कि  नानीबाई रो मायरो महोत्सव सेवा समिति के तत्वावधान में शिव मंदिर पुलिस लाईन भीलवाड़ा में शुरू हुई नानी बाई रो मायरो की कथा के दूसरे दिन व्यास पीठ से बोलते हुए राष्ट्रीय कथा वाचिका सुश्री दीपा दाधीच ने बताया कि जब नरसी जी ने भगवान के नाम हूण्डी लिखी तो दो वैष्णव जन द्वारिका नगरी में पहुंच गये और साँवल नाम के मुनीम को ढूंढने लगे। पूरी द्वारिका नगरी में घूम गये तो भी साँवल नाम का मुनीम नहीं मिला। वे वैष्णव जन थक हारकर उची पीढ़ी की दुकान को देखकर वहीं सो गये। नरसी मेहता की करूण पुकार सुनकर भगवान सांवरिया सेठ साँवल नाम के मुनीम का वेशधारण करके उची पीढ़ी की दुकान पर आये। दोनों वैष्णवजनों को जगाया और उनकी कुशलक्षेम पूछी। भगवान ने उन दोनों को नरसी मेहता द्वारा लिखी गई हूण्डी के अनुसार रूपयें लौटाये। वैष्णव जन वहां से चले गये। जब ये बात नरसी मेहता के गांव तलाजा में लोगों को पता चली तो लोगों ने कहा नरसी मेहता तो जादूगर है। उस तलाजा गांव मंे भवानी नाम का मशकरा रहता था, उस मशकरें ने नरसी मेहता की बेईज्जति करने की सोची। भवानी मशकरा ने गांव के लोगांे से कहा कि आज नरसी मेहता के पिताजी का श्राद्ध है। आप सभी को सपरिवार भोजन पर आमंत्रित किया है। गांव के लोग निमंत्रण के अनुसार नरसी मेहता के घर भोजन करने पहुंचने लगे। जब नरसी मेहता को पता लगा तो नरसी मेहता नगर सेठ के पास गये और कहा कि मुझे कुछ रूपयें चाहिये जिससे मैं मेरे पिताजी का श्राद्ध करके गांव के लोगों को भोजन करा सकूं। नरसी मेहता ने धन के बदले नगर सेठ के पास केदारों राग गिरवी रखी और रूपयंे लेकर अपने घर आये। भोजन सामग्री की व्यवस्था करने लगे तो उनको पता चला कि ठाकुर जी स्वयं नरसी मेहता का रूपधारण करके गांव के लोगों को भोजन करा रहे है। जब गांव के लोगों को पता चला कि नरसी मेहता तो अब भोजन सामग्री लेकर आये तो गांव के लोगों को बहुत आश्चर्य हुआ। भवानी मशकरा ने राव मण्डली के राजा को कहा कि नरसी मेहता बहुत बड़ा जादूगर है। राव मण्डली के राजा ने नरसी मेहता को अपने यहां बुलाया और कहा कि ठाकुर जी के गली की माला 24 घण्टे में तेरे गले में नहीं आयी तो तुम्हें बड़ी सजा मिलेगी। इधर ठाकुर जी को चिन्ता हुई कि मेरा भक्त संकट में है। भगवान स्वयं नरसी मेहता का रूपधारण करके रात को नगर सेठ के घर गये। नरसी जी द्वारा लिये गये रूपयंे लौटाकर भगवान ने नगर सेठ से केदारों राग छुड़वाई और ठाकुर जी स्वयं राव मण्डली के राजा की पत्नी का रूप धारण करके पानी का लौटा करके नरसी मेहता के पास गये व कहा कि नरसी जी आप पानी पियो, नरसी जी ने कहा कि जब तक मेरा सांवरिया नहीं आ जाता तब तक मैं पानी तो क्या थूक भी नहीं निकल सकता। जब नरसी मेहता को पता चला कि भगवान स्वयं आये है तो नरसी मेहता ने पानी पिया और ठाकुर जी ने नरसी मेहता को केदारों राग दी। नरसी मेहता के द्वारा केदारों राग गाने पर ठाकुर जी की गले की माला नरसी जी के गले में आ गई। राव मण्डली के राजा ने नरसी मेहता को छोड़ दिया। भगवान ने नरसी मेहता का रूप धारण कर तलाजा गांव के लोगांे को भोजन कराया। अन्त में भगवान की आरती करके भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
                           इस अवसर पर राजस्थान ब्राहा्रण महासभा के जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा, कवि रामनिवास रॉनीराज, सुरेन्द्र सिंह राठौड़, गणपत माली, शंकर लाल सुथार, तेज सिंह चौहान, नीरज तिवारी, द्वारिका प्रसाद दाधीच, पीयूष दाधीच, वीरेन्द्र सिंह, कैलाश तिवाड़ी, मथुरालाल माली, सुरेन्द्र बन्ना, जगदीश दाधीच, पण्डित रमेशचन्द्र दाधीच, चन्दा सोनी, प्रवीण सोडाणी, अनिल टेलर, राकेश कुमार, नन्दलाल तेली, किशनलाल माली, महेश झालीवाल आदि उपस्थित थे।
 

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