अच्छी आदतें सीढ़ी की तरह जो हमारे जीवन को ऊचाईयाँ देती हैं - राष्ट्र-संत ललितप्रभ सागर
राजसमन्द (राव दिलीप सिंह) राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि हमारी आदतें ही हमारा भविष्य तय करती हैं। कोई भी व्यक्ति अगर श्रेष्ठ जीवन का मालिक बनना चाहता है तो उसे अपने जीवन में अच्छी आदतों का मालिक बनना चाहिए। हमारा जीवन अच्छा होगा या बुरा - हमारी आदतें ही हमारा फ्यूचर तय करती है। अच्छी आदतें सीढ़ी की तरह हैं जो हमें ऊपर लेकर जाती है और बुरी आदतें भी सीढ़ी की ही भूमिका अदा करती है जो हमें ऊपर से नीचे ले आती है। जैसे होंठ फटने पर नाभि में तेल या घी की बूँद डाली जाती थी वैसे ही अच्छे जीवन का मालिक बनने के लिए अच्छी आदतों का होना जरूरी है। दुनिया में एक ही व्यक्ति है जो हमारे जीवन को बदल सकता है और वह हम खुद हैं। हर आदमी में कुछ खामियाँ होती हैं और कुछ खासियत होती हैं, खामियों को जीतना पड़ता है और खासियत को जीना होता है।
संतप्रवर सकल जैन समाज द्वारा जागनाथ महादेव मंदिर में आयोजित रात्रि कालीन प्रवचन सत्संग में श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी आदतों के प्रति सावधान रहना चाहिए। आदत लगने में वक्त नहीं लगता पर खत्म होने में पूरी जिंदगी लग जाती है। तभी तो कहते हैं कि यह आदमी आदत से मजबूर है। अगर घर के अभिभावक बचपन से ही अच्छी आदतों का बीजारोपण करना शुरू कर दें तो वे आदतें बड़े होने पर हमारे जीवन का संस्कार बन जाती हैं। जैसा पाणी-वैसी वाणी, जैसा आहार-वैसा व्यवहार, जैसा अन्न-वैसा मन और जैसी संगत वैसी ही- रंगत जीवन में आती है। हमें संगति के प्रति सावधान रहना चाहिए क्योंकि अच्छी संगत और अच्छी आदत हमारे जीवन को सँवार देती है।
राष्ट्र-संत ने कहा कि आदमी बीवी का गुलाम नहीं होता अपितु उससे भी ज्यादा अपनी आदतों का होता है। खुद की कमजोरियों को पहचानना इंसान की सबसे बड़ी विजय है। हम गौड न भी बन पाएँ पर गुड तो बन ही सकते हैं। संतश्री ने कहा कि हमें सबसे पहले दूसरों की कमियाँ निकालने की आदत को ठीक कर लेना चाहिए। अगर आपको एक में कभी नजर आए तो उससे बात कीजिए पर हर एक में कमी नजर आए तो खुद से बात कीजिए। उन्होंने सावधान किया कि जब भी किसी में कमी नजर आए तो ध्यान रखिए कमियाँ आप में भी है और जबान दूसरों के पास भी है। उन्होंने दूसरों की मजाक उड़ाने की आदत को भी अनुचित बताया और कहा कि अगर हम दूसरों का पानी उतारेंगे तो सामने वाला व्यक्ति हमारी आरती नहीं उतारेगा।
संतश्री ने कहा कि हमें कभी किसी की आलोचना भी नहीं करनी चाहिए। यह हमारी ऐसी गंदी आदत है जिस पर हम दूसरों की गलती पर अपनी जुबान गंदी करते हैं। हमें हमेशा दूसरों की विशेषताएँ देखनी चाहिए। हमेशा दूसरों की प्रशंसा करनी चाहिए। अच्छी किताबें पढऩे की आदत, किसी के सहयोग की आदत, भलाई की आदत, हर हाल में मुस्कुराने की आदत - ये सब वे आदतें हैं जो हमारे जीवन के स्तर को ऊचाँ उठाती हैं। उन्होंने सावधान करते हुए कहा कि हमें मोबाइल की आदत भी बहुत ज्यादा घेर रही हैं। जब तक फोन वायर से बंधा था तब तक आदमी आजाद था और जिस दिन फोन वायर से आजाद हुआ तब से आदमी फोन से बंध गया। सब टच मोबाइल में खोये हैं पर कोई किसी के टच में नहीं है। उन्होंने कहा कि मोबाइल का उपयोग करने से डिप्रेशन बढ़ जाता है, आँखे खराब हो जाती हैं, नींद की कमी हो जाती है, याददास्त कमजोर होने लगती और आँखों के नीचे निशान आने शरू हो जाते हैं।
राष्ट्र-संत ने कहा कि व्यसन मुक्ति पर विशेष जोर देते हुए कहा कि हर व्यक्ति और कोई सद्गुण अपनाए या न अपनाए पर सदा नशा मुक्त जीवन जीना चाहिए क्योंकि नशा नाश की निशानी होती है। उन्होंने कहा कि हर दिल की अब एक ही चाहत, व्यसन मुक्त हो मेरा भारत। नशा दाँत से आँत तक, दिल से दिमाग तक नुकसान करता है। शरीर में बीमारीयाँ पैदा होती हैं, भविष्य खराब होता है, परिवार टूट जाता है। व्यक्ति को गुटखा, तम्बाकू, शराब जैसे बुरी आदतों जैसे बचना चाहिए क्योंकि ये तन, मन, धन तीनों को नुकसान पहुँचाती है।
उन्होंने कहा कि सफलता का आधार हमारी अच्छी आदतों में छिपा रहता है। जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव आदतों का पड़ा करता है। जैसा अन्न वैसा मन, जैसा आहार वैसा व्यवहार, जैसा संग वैसा रंग, वैसे ही जैसी आदत वैसी किस्मत। हम नसीब को तो बदल नहीं सकते पर नेचर बदल लें तो नसीब अपने आप बदलना शुरू हो जाएगा। कोई भी व्यक्ति अगर श्रेष्ठ जीवन का मालिक बनना चाहता है, तो उसे अपने जीवन में अच्छी आदतों का समावेश करना होगा। हमारी अच्छी आदतें ही हमारा भविष्य तय करती हैं। अच्छी आदतें सीढ़ी की तरह हैं जो हमें जीवन में ऊपर लेकर जाती है और बुरी आदतें भी उस सीढ़ी की तरह हैं जो हमें ऊपर से नीचे की ओर लेकर आ जाती हैं।
जैसे होठ फटने पर नाभि में तेल या घी की बुंद डाली जाती थी वैसी ही अच्छी जीवन का मालिक होने के लिए अच्छी आदतों को जोड़ना जरूरी है। हमंे दूसरों की कमियाँ निकालने से बचना चाहिए और दूसरों की विशेषताएँ देखनी चाहिए। जब हम दूसरों में कमियाँ देखते हैं तो हम कमजोर हो जाते हैं पर हम अपनी कमियाँ देखनी शुरू कर दे तो हम जीवन की बाजी जीत सकते हैं। हम गॉड़ न भी बन पाएं पर गुड तो बन ही सकते है। संत प्रवर ने कहा है कि अगर आपको एक में कमी नजर आती है तो उससे बात कीजिए परन्तु हर एक में कमी नजर आती है तो खुद से बात करिये। हम किसी भी मजाक न उड़ाएं और न ही किसी की आलोचना करंे। हमें अपने मन को पॉजिटिव बनाना चाहिए, दूसरों की प्रश्ंासा करनी चाहिए। अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए और हमेशा दूसरों की भलाई करनी चाहिए।
संत प्रवर ने सावधान किया हमें मोबाइल की आदत भी बहुत ज्यादा घेर रही हैं। जब तक फोन वायर से बंधा था तब तक आदमी आजाद था और जिस दिन फोन वायर से आजाद हुआ तब से आदमी फोन से बंध गया। मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने से डिप्रेशन बढ़ जाता हैं, आँखें खराब हो जाती हैं, नींद की कमी हो जाती है, याददाश्त कमजोर होने लगती है और आँखों के नीचे निशान आने शुरू हो जाते हैं।
इस अवसर पर थानेदार ने राष्ट्रसंतों से आशीर्वाद लिया। शहर वासियों को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देकर राष्ट्र संतों ने जोधपुर की ओर मंगल प्रस्थान किया। जोधपुर के कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में 8 जनवरी से 14 जनवरी तक 7 दिन का ध्यान योग शिविर आयोजित होगा जिसमें केलवा के भाई-बहन बड़ी संख्या में भाग लेंगे। समारोह का सफल संचालन मुकेश कोठारी ने किया। प्रवचन में कमलेश कच्छारा, भूपेंद्र चौरडिया आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।