अलविदा महारानी, नम आंखों के साथ एलिजाबेथ द्वितीय को दी गई अंतिम विदाई

अलविदा महारानी, नम आंखों के साथ एलिजाबेथ द्वितीय को दी गई अंतिम विदाई

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को सोमवार को अंतिम विदाई दी गई। उनके ताबूत को विंडसर कैसल स्थित सेंट जॉर्ज चैपल के शाही 'वॉल्ट' (शव कक्ष) में नीचे रख दिया गया। ब्रिटिश शाही परिवार में सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी लॉर्ड चैम्बरलैन ने 'राजदंड' तोड़ने की रस्म पूरी की। शाही परिवार और सैकड़ों की संख्या में लोगों ने दिवंगत महारानी को अंतिम विदाई दी। ब्रिटेन की घरेलू गुप्तचर सेवा 'एमआई5' के पूर्व प्रमुख एंड्रयू पार्कर ने 'सफेद राजदंड' को तोड़ने की रस्म पूरी की और इसे महारानी के ताबूत पर रख दिया। यह रस्म राजशाही के प्रति उनकी सेवाओं की समाप्ति का प्रतीक है। 

पति प्रिंस फिलिप के साथ दफनाया गया
महारानी को पति प्रिंस फिलिप के बराबर में दफनाया गया। विंडसर ने डीन ने कहा कि हम ईश्वर की सेवक महारानी एलिजाबेथ की आत्मा को उनके हाथों में सौंपने के लिए एकत्र हुए हैं। इससे पहले, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को राजकीय अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही वेस्टमिंस्टर एबे के भीतर ले जाया गया, बिग बेन थम गई और हवा में प्रार्थनाओं के स्वर गूंजने लगे। ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यों के साथ ही दुनियाभर के विभिन्न देशों से राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख नेता दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां पहुंचे। साथ ही लाखों लोग टेलीविजन पर महारानी की अंतिम यात्रा के साक्षी बने।

हॉल और वेस्टमिंस्टर एब्बे के बीच से शुरू हुए महारानी के अंतिम सफर में हजारों सैन्य कर्मियों ने हिस्सा लिया। सैनिकों ने महारानी को सैल्यूट कर विदाई भी दी।

 नवनियुक्त किंग चार्ल्स III ने अपनी दिवंगत मां के ताबूत के पीछे चलते हुए एक जुलूस का नेतृत्व किया। उनके साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी भी थे।

 

 वेल्स की नई क्वीन केट मिडलटन जिन्होंने अप्रैल 2021 में प्रिंस फिलिप के अंतिम संस्कार में हीरे-मोती का हार पहना था, वे उसे ही पारंपरिक रूप से पहने दिखीं

 

 अंतिम यात्रा के दौरान महारानी के ताबूत आखिरी बार बकिंघम पैलेस के सामने से गुजरा, इस दौरान कई लोग भावुक हो 

महारानी की अंतिम यात्रा में उनके निजी घोड़े और डॉग को भी शामिल किया गया, क्वीन का उनसे काफी लगाव बताया जाता था।

 

6- महारानी को अंतिम विदाई देने के दौरान उनके ताबूत के साथ हजारों की संख्या में सैनिकों को भी देखा गया।

7- इसके बाद दिवंगत महारानी का ताबूत वेस्टमिंस्टर एब्बे पहुंचा, जहां अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई।

 

 शाही परिवार के सदस्य और दुनिया के सैकड़ों नेता, राजनेता और अन्य गणमान्य व्यक्ति अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

महारानी एलिजाबेथ का ताबूत इसके बाद विंडसर कैसल में पहुंचा, जहां मौजूद लोगों ने उनके लिए अंतिम प्रार्थना की।

 

भारत की तरफ से राष्ट्रपति मुर्मू हुईं शामिल
अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में दुनियाभर के करीब 2000 मेहमान जुटे, जिनमें भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भाग लिया। महाराजा चार्ल्स तृतीय की अगुवाई में ताबूत यात्रा 11वीं सदी के ऐतिहासिक एबे पहुंची तो दिवंगत महारानी के नाम पर बने एलिजाबेथ टावर में लगी बिग बेन में एक-एक मिनट बाद 96 बार घंटा बजाया गया जो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवन काल को श्रद्धांजलि का प्रतीक था। प्रार्थना सभा के आयोजन में शामिल वेस्टमिंस्टर के डीन वेरी रेवरेंड डॉ डेविड होयले ने कहा कि जहां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की शादी हुई थी और उन्हें ताज पहनाया गया था, वहां देश और दुनिया से बड़ी संख्या में लोग दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने जुटे हैं।

शाही परिवार हुआ शामिल
स्थानीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजते ही शुरू हुई महारानी की इस अंतिम यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे। महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी तथा भाई-बहन प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड थे। इससे पहले ताबूत को पिछले बुधवार से वेस्टमिंस्टर हॉल में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में 9 वर्षीय प्रिंस जॉर्ज तथा सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं। दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे।

बड़ी संख्या में लोगों ने किए अंतिम दर्शन
देशभर में दो मिनट के मौन के साथ महारानी की प्रार्थना सभा समाप्त हुई और अंतिम संस्कार के पहले भाग के रूप में राष्ट्रगान 'गॉड सेव द किंग' की धुन बजाई गयी। सत्तर साल तक राजगद्दी पर आसीन रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को बाल्मोरल कैसल स्थित उनके आवास में निधन हो गया था। वह 96 वर्ष की थीं। बड़ी संख्या में लोग लंदन में सर्द रात की परवाह किए बगैर संसद के वेस्टमिंस्टर हॉल में 'लाइंग इन स्टेट' (अंतिम दर्शन के लिए रखा पार्थिव शरीर) में रखे महारानी के ताबूत के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे। शोक व्यक्त करने वाले लोग सोमवार सुबह साढ़े छह बजे के कुछ ही देर बाद वेस्टमिंस्टर हॉल से चले गए। 

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