बजट में महिलाओं को टैक्स में छूट दे सकती है सरकार, 12 साल बाद मोदी फिर लौटा सकते हैं ये सुविधा
देश में करीब 12 साल पहले तक महिलाओं के लिए अलग टैक्स की सुविधा थी। इसमें महिला करदाताओं के लिए इनकम टैक्स में बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक होती थी। यानी महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम टैक्स चुकाती थीं। लेकिन कांग्रेस सरकार ने वित्त वर्ष 2012-13 ने इस प्रणाली को खत्म कर दिया था। तब सरकार ने महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए समान टैक्स स्लैब पेश किया था। तब से महिलाओं के लिए कोई अलग आयकर स्लैब नहीं है। हालांकि इस बार महिलाओं को मोदी सरकार से उम्मीद है कि महिलाओं के लिए अलग से टैक्स स्लैब आएगा।
सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि महिला वोटर को ध्यान में रखते हुए सरकार महिला करदाताओं के लिए अलग से टैक्स स्लैब ला सकती है। यानी उन्हें अलग और ज्यादा छूट बजट में मिल सकती है। अभी नई कर व्यवस्था में 7 लाख तक कोई टैक्स नहीं देना होता है। अब सरकार इसे 8 लाख रुपये तक कर सकती है।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रैक्टिशनर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष नारायण जैन ने कहा कि मोदी सरकार यह एक अंतरिम बजट होने जा रहा है, लेकिन कम से कम इसमें पूर्ण-बजट बेनिफिट के कुछ संकेत हो सकते हैं। धारा 87ए के तहत टैक्सपेयर्स को कुछ रियायत दी जा सकती है, जिसके तहत कुल कर छूट सीमा को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 8 रुपये किया जा सकता है।
जबकि फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (कोलकाता चैप्टर) की चेयरपर्सन राधिका डालमिया ने कहा, महिला उद्यमियों के लिए कर में छूट और कामकाजी माताओं के लिए पेड हॉलिडे बढ़ने की उम्मीद है। इस बजट में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भत्ता बढ़ाना और लड़कियों के लिए शिक्षा लाभ बढ़ाना महत्वपूर्ण कदम हैं। भारत के लिए विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता देने के साथ-साथ वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।