अयोध्या से 2024 का सियासी महाकुंभ साधेगी सरकार, प्राण प्रतिष्ठा के बाद बहेगी भगवा बयार
रामनगरी में कैबिनेट बैठक कर योगी सरकार ने राष्ट्रवाद के एजेंडे से 2024 के सियासी महाकुंभ को साधने के अभियान का आगाज कर दिया है। अगले साल 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के साथ यह अभियान पूरे देश में भगवा बयार बहाएगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। इनमें हिंदी पट्टी के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। एक ओर जहां भाजपा के दिग्गज नेता और योगी सरकार के वरिष्ठ मंत्री इन राज्यों में चुनावी कमान संभाल रहे हैं।
वहीं, योगी ने अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से पहले वहां कैबिनेट बैठक में अयोध्या के धार्मिक और आध्यात्मिक विकास से जुड़े प्रस्तावों को मंजूर कर लोगों का ध्यान खींचा। इतना ही नहीं प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों से जुड़े मेलों को मान्यता देकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार श्रद्धा के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि कैबिनेट बैठक के बाद दीपोत्सव के आयोजन से एक बार फिर सरकार देश को अयोध्या की ओर आकर्षित करेगी। उसके बाद प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों से लेकर देश व प्रदेश में भगवा माहौल बनाया जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद सरकार रामलला की खड़ाऊ लेकर मिशन 2024 को पूरा करने के लिए चुनावी मैदान में उतर जाएगी।
प्राण प्रतिष्ठा की रिहर्सल भी
जानकार मानते हैं कि अयोध्या में कैबिनेट बैठक के जरिये सरकार ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह का पूर्वाभ्यास भी किया है। पूरी सरकार राम नगरी में होने से वहां की सड़कें, गलियां मोहल्ले चमक उठे। पूरा शासन, प्रशासन और पुलिस तंत्र सतर्क हो गया। अगला पडाव दीपोत्सव होगा। इसके जरिए दीप प्रज्जवलन का न केवल एक विश्व कीर्तिमान बनाने की तैयारी है बल्कि इसे भव्यतम स्वरूप देने का भी तैयारी है।
अयोध्या के इतिहास में दर्ज होगा 9 नवंबर
सरकार ने रणनीति के तहत कैबिनेट बैठक के लिए 9 नवंबर का दिन चुना। 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का शिलान्यास किया गया था। 9 नवंबर 2019 को श्रीराम जन्म भूमि विवाद में सर्वोच्च न्यायालय का फैसला रामलला के पक्ष में आया। अब 9 नवंबर को कैबिनेट का आयोजन कर इस तिथि को अयोध्या के लिए ऐतिहासिक बना दिया है।
अयोध्या हुई गुलजार
श्रीराम जन्मभूमि विवाद के चलते रामनगरी दशकों तक उपेक्षा का शिकार रही है। 2017 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद अयोध्या को अपनी प्राथमिकता में रखा। साढ़े छह साल में अयोध्या का कायाकल्प हो गया है। एक ओर श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बन रहा है। वहीं दूसरी ओर अयोध्या में विकास योजनाओं की बरसात कर चप्पा-चप्पा चमकाया जा रहा है।