जागृत महिलाओं का हुआ महासम्मेलन
चित्तौड़गढ़। राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय सेवा प्रमुख संध्या टिपरे ने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन में महिलाओं का सदेव विशिष्ठ और सम्मानिय स्थान रहा हे इसी का प्रभाव रहा की मुगल और अंग्रेज साम्राज्य की गुलामी के लंबे काल खंड के बाद भी आज जी जीवंत भारतीय संस्कृति का दृश्य देख रहे है, जिसमे मातृ शक्ति की ही प्रमुख भूमिका रही है। यह विचार उन्होंने महिला समन्वय द्वारा आयोजित मातृ शक्ति सम्मेलन संवर्धिनी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप मे व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ के इतिहास से संपूर्ण विश्व प्रेरणा लेता है तो हमे तो इस धरा में जन्म लेने का अवसर मिला है तो हमारा दायित्व है कि समाज की आने वाली पीढ़ी को इस इतिहास से अवगत कराए ताकि भारतीय परंपराओं से सम्पूर्ण विश्व प्रेरणा ले सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए साध्वी निष्ठा गोपाल सरस्वती ने कहा कि चित्तौड़़ प्रांत में प्रत्येक जिला केंद्र पर मातृशक्ति सम्मेलनों के माध्यम से महिलाओं को अपने इतिहास से प्रेरणा लेने हेतु अभियान पूर्वक प्रयास किए जाने की आज जरूरत है ताकि भावी पीढ़ी इससे वंचित नही रहे और समाज को समृद्ध बनाने में योगदान कर गर्वानुभूति कर सके। कार्यक्रम में विशिष्ठ मंचासीन अतिथि राष्ट्र सेविका समिति की प्रांत कार्यवाहिका और अखिल भारतीय निधि प्रमुख वंदना वजीरानी, महिला समन्वयक की प्रांत संयोजिका रजनी डांगी ने कहा कि परिवार और समाज को बौद्धिक धरातल पर समृद्ध और संपन्न बनाने में मातृशक्ति अपनी शक्ति को पहचाने और स्वयं के कार्य के साथ साथ राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को भी महत्व दे। कार्यक्रम व सम्मेलन संयोजिका विमला सेठिया ने मंचासीन अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों ने भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर औपचारिक उद्घाटन किया। देशभक्ति की सांस्कृतिक रंगारंग प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को प्रारम्भ किया गया। तीन सत्रों में आयोजित चर्चा सत्र में ममता शारदा एवं ललिता खंडेलवाल, सुशीला लड्ढा, राधिका लड्ढा एवं लता पण्डया ने विभिन्न विषय पर चर्चा कर महिलाओ का दिशा बोध किया।