मुसलमानों के लिए हज सिर्फ छुट्टी नहीं मौलिक अधिकार है, हाई कोर्ट का सरकार को झटका
दिल्ली हाईकोर्ट ने हज समूह के कई आयोजकों के पंजीकरण प्रमाणपत्र और कोटा के निलंबन पर रोक लगाते हुए कहा, मुसलमानों के लिए हज केवल एक छुट्टी नहीं, बल्कि उनके धर्म और विश्वास का अभ्यास करने का एक माध्यम है जो एक मौलिक अधिकार है। तीर्थयात्रियों के लिए टूर ऑपरेटरों के रूप में काम करने वाले हज समूह आयोजकों (एचजीओ) के पंजीकरण प्रमाणपत्र व कोटे को केंद्र सरकार ने पिछले महीने स्थगित कर दिया था।जस्टिस चंद्र धारी सिंह की अवकाशकालीन पीठ ऐसे 13 से अधिक एचजीओ की याचिकाओं पर विचार कर रही थी। पीठ ने अपने बुधवार को दिए आदेश में कहा, हज यात्रा और उसके समारोह एक धार्मिक प्रथा के दायरे में आते हैं, जो भारत के संविधान में संरक्षित है और अदालत उस अधिकार की रक्षक है। पीठ ने केंद्र की ओर से 25 मई को जारी हज-2023 के लिए हज कोटा के आवंटन की समेकित सूची में पंजीकरण प्रमाणपत्र और कोटा को लेकर की गई टिप्पणियों पर मामले में कार्यवाही पूरी होने तक रोक लगा दी। पीठ ने स्पष्ट किया कि अधिकारी याचिकाकर्ताओं को उनकी कथित चूक के लिए जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के अनुसरण में जांच को आगे बढ़ा सकते हैं।