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हरतालिका तीज व्रत की पूजा

हरतालिका तीज व्रत की पूजा

भीलवाड़ा हलचलहरतालिका व्रत में 4 प्रहर की पूजा का विधान बताया गया है.पंचांग के अनुसार प्रथम प्रहर की पूजा  रात्रि 9 बजकर 2 मिनट से शुरू हुई.  प्रथम प्रहर की पूजा  के बाद दूसरा, तीसरा और चौथा प्रहर की पूजा की।

महिलाओं  तीज के ओके पर शिव पार्वती झाकी सजाई और सामूहिक रूप से पूजा अर्चना की।

ये हे महत्व 

माता पार्वती का जन्म राजा हिमालय के यहां पुत्री के रूप में हुआ था. वह भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं और उन्हें पति के रूप में पाने के लिए पार्वती ने तपस्या की. माता पार्वती की हालत देख पिता को चिंता होने लगी और नारद जी को पूरी बात बताई. नारद जी ने देवी पार्वती का विवाह भगवान विष्णु से कराने का निश्चय किया. भगवान विष्णु और पार्वती के पिता भी इस विवाह के लिए राजी हो गए.

 

किंतु देवी पार्वती विष्णुजी से विवाह नहीं करना चाहती थीं, क्योंकि वो तो शिव को अपना पति मान चुकी थीं. तब उनसे अपनी सखी को अपने मन की बात बताई. इसके बाद पार्वती की सखियां उन्हें घने जंगल में लेकर चली गई. कहा जाता है कि, भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि के हस्त नक्षत्र में पार्वती जी ने रेत से शिवलिंग का निर्माण कर शिव की स्तुति की और रात्रि जागरण भी किया. इतना ही नहीं पार्वती वे अन्न-जल का त्याग भी कर दिया.

 

कठोर तप से प्रसन्न होकर महादेव ने पार्वती जी को दर्शन दिए और पत्नी के रूप में स्वीकार किया. बाद में पिता हिमराज भी शिव-पार्वती के विवाह के लिए मान गए और दोनों का विवाह कराया गया.