सोचने की क्षमता का विकास के लिए पुस्तकालय का होना एवं पुस्तकों का पढऩा अति आवश्यक 

सोचने की क्षमता का विकास के लिए पुस्तकालय का होना एवं पुस्तकों का पढऩा अति आवश्यक 
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चित्तोडगढ़। राज्य के सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को पुस्तकालय के माध्यम से आनंद के साथ पढने की आदत की विकास करने के उद्देश्य से जिले में नई पहल के रूप में चयनित 101 विद्यालयों के पुस्तकालय प्रभारी/शिक्षकों के 2 दिवसीय प्रशिक्षण 3 अलग अलग बैच में मॉडल बाल पुस्तकालय म. गा. रा. वि. प्रेमनगर, में आयोजित हो रहा है। प्रशिक्षण पुस्तकालय संवर्धन परियोजना के अंतर्गत शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार की राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद् एवं टाटा ट्रस्ट्स की सहयोगी संस्था सेंटर फॉर माइक्रो फाइनेंस जयपुर के मध्य राज्य में प्राथमिक कक्षाओं के लिए स्कूल पुस्तकालयों के संवर्धन एवं उपयोग को बढ़ावा देने के लिए साझा सहमति पत्र (एमओयू) अंतर्गत आयोजित किये गए। परियोजना के अंतर्गत राज्य के विद्यालयों में जीवंत एवं सक्रिय पुस्तकालयों की स्थापना एवं पुस्तकालयों की गुणवत्ता में सुधार के माध्यम से शिक्षक-शिक्षार्थी एवं पाठक समाज को लाभान्वित करने की एक पहल की जा रही है।
सोचने की क्षमता का विकास के लिए पुस्तकालय का होना एवं पुस्तकों का पढऩा अति आवश्यक है, यह बात पर विशेष पुष्टि करते हुए अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक प्रमोद कुमार दशोरा ने बताया कि परियोजना के अंतर्गत राज्य में पुस्तकालयों के माध्यम से बच्चों को समझ के साथ पढऩे, आनंद के साथ पढऩे का समर्थन और पठन संस्कृति के लिए वातावरण निर्माण के उद्देश्य से जिला स्तरीय मॉडल बाल-पुस्तकालयों की स्थापना कर पुस्तकालय कार्य की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का समावेश कर एक मॉडल प्रस्तुत करने का कार्य किया जा रहा हैं, साथ ही प्रत्येक जिले से चयनित 101 विद्यालयों के पुस्तकालय प्रभारी शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (आरएससीईआरटी) उदयपुर व राज्य के सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) के साथ मिलकर किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले के 101 विद्यालयों (कुल 3333) मे पुस्तकालय संवर्धन पर कार्य किया जा रहा है जिसका लाभ राज्य में प्राथमिक कक्षाओं के लगभग 3.4 लाख बच्चों को मिलेगा। प्रत्येक जिले की डाईट अथवा पास के एक विद्यालय तथा आरएससीईआरटी, उदयपुर में मॉडल पुस्तकालय (कुल 34) की स्थापना की गई है जिसका उपयोग बच्चों व शिक्षक प्रशिक्षण में गतिविधियों के प्रदर्शन के लिए किया जा रहा हैं। राज्य में पुस्तकालय संबलन एवं संवर्धन कार्य के लिए मुख्य सन्दर्भ व्यक्ति, प्रत्येक जिला स्तर पर दो-तीन राज्य सन्दर्भ समूह समेत कुल 82 एसआरजी सदस्यों का चयन कर प्रशिक्षित कर प्रत्येक जिले के 101 विद्यालयों सहित राज्य के कुल 3333 विद्यालयों के पुस्तकालय प्रभारी शिक्षकों का एसआरजी सदस्यों के सहयोग से प्रशिक्षण किया जा रहा हैं। पुस्तकालय शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों के लिए पुस्तकालय मैन्युअल, शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्युल, पुस्तकालय चेकलिस्ट एवं अन्य सन्दर्भ सामग्री विकसित गई हैं। पुस्तकालय कार्य को पाठ्यचर्या मॉड्युल से जोडऩे व बच्चों एवं शिक्षकों में पढऩे की आदतों का विकास करने पर कार्य कर 3300 विद्यालयों में जीवंत और सक्रिय पुस्तकालय का निर्माण और संचालन किया जा रहा हैं।
दशोरा ने बताया कि जिले में परियोजना अंतर्गत एक मॉडल लाइब्रेरी विद्यालय का चयन कर मगारावि प्रेम नगर में मॉडल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है हैं जिसमें 500 से अधिक बाल साहित्य की किताबें, रीडिंग टेबल, डिस्प्ले रैक सहित अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाए गए हैं साथ ही जिले के चार ब्लॉक से 100 विद्यालयों का चयन कर इन विद्यालयों के पुस्तकालय प्रभारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण, संस्थाप्रधान एवं पीईईओ का प्रशिक्षण मॉडल लाइब्रेरी में आयोजित हुए है।

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