अजमेर की विशेष न्यायालय में 1993 बम धमाकों को लेकर सुनवाई पूरी, 29 फरवरी को सुनाया जाएगा फैसला
जयपुर। छह दिसंबर, 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद और मुंबई की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों को लेकर अजमेर स्थित टाडा मामलों के विशेष न्यायालय में सुनवाई पूरी हो गई है। अब 29 फरवरी को फैसला सुनाया जाएगा। इस मामले में आरोपित आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा, इरफान एवं हमीमुद्दीन जेल में बंद हैं। पहले टुंडा उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद जेल में बंद था, जहां से उसे 24 सितंबर, 2023 को अजमेर लाया गया था । बम धमकों के बाद टुंडा फरार हो गया था, जिसे 2013 में नेपाल सीमा से पकड़ा गया था।जांच में सामने आया था कि विस्फोट के समय टुंडा आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का विस्फोटक विशेषज्ञ था। मुंबई निवासी जलील अंसारी, नांदेड़ के आजम गौरी और टुंडा ने तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन संगठन बनाकर बम धमाके किए थे। दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने 1996 में हुए बम धमाकों का आरोप भी टुंडा पर है। 2000 में टुंडा के बांग्लादेश में मारे जाने की सूचना सामने आई थी, लेकिन 2005 में दिल्ली में पकड़े गए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद ने टुंडा के जिंदा होने के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी दी थी।
2001 में संसद भवन पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उनमें टुंडा का नाम भी शामिल था। टुंडा के खिलाफ 33 मामले विभिन्न प्रकार के दर्ज हैं। 1997-98 में उस पर करीब 40 बम धमाके करने का आरोप है। टुंडा उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का रहने वाला है।
जानकारी के अनुसार वह 1980 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठनों के संपर्क में आया था। उसी दौरान वह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। टाडा कानून के तहत पकड़े जाने वाले आरोपितों की सुनवाई के लिए देश में केवल तीन विशेष न्यायालय हैं। ये न्यायालय अजमेर, मुंबई और श्रीनगर में हैं। उत्तर भारत से जुड़े अधिकांश मामलों की सुनवाई अजमेर स्थित टाडा न्यायालय में होती है।