धर्मांतरण विरोधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन फरवरी को सुनवाई, केंद्र ने दी यह दलील

धर्मांतरण विरोधी कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन फरवरी को सुनवाई, केंद्र ने दी यह दलील
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सुप्रीम कोर्ट राज्य सरकारों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तीन फरवरी को सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को गौर किया कि इस मामले में आज सुबह ही एक स्थानांतरण याचिका का उल्लेख किया गया। पीठ ने कहा कि हम सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध कर सकते हैं, नोटिस जारी कर सकते हैं और सुन सकते हैं। तब तक तबादला याचिका भी दर्ज की जाएगी। अटॉर्नी जनरल भी जांच कर सकते हैं। शुक्रवार को इस पर सुनवाई करेंगे।



समाजसेवी तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ 'सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस' की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि राज्य के इन कानूनों के कारण लोग शादी नहीं कर सकते हैं, इसलिए स्थिति बहुत गंभीर है। वहीं, अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने अदालत के समक्ष कहा कि ये राज्य के कानून हैं, जिन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी गई है, जबकि संबंधित हाईकोर्ट को इन मामलों की सुनवाई करनी चाहिए। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कई राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा था कि वे इस मुद्दे पर विभिन्न हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में मामलों को स्थानांतरित करने के लिए एक आम याचिका दायर करें।

केंद्र ने सीतलवाड़ की एनजीओ के अधिकार क्षेत्र पर उठाए सवाल
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ 'सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस' के अधिकार क्षेत्र को लेकर सवाल उठाया। इस एनजीओ ने राज्य सरकारों के धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती दी है। सरकार ने आरोप लगाया है कि यह एनजीओ कुछ चुनिंदा राजनीतिक हित के लिए अपने नाम का उपयोग करने की अनुमति देता है। सरकार ने अदालत को बताया कि तीस्ता सीतलवाड़ दंगा प्रभावित लोगों की आड़ में पैसों की हेराफेरी करने की आरोपी हैं।

गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव ब्रह्म शंकर द्वारा दायर किए गए हलफनामे में कहा गया है कि याचिकाकर्ता सार्वजनिक हित में कार्य करने की बात करता है, जिसमें वह चुनिंदा रूप से सार्वजनिक हितों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक कारणों को उठाता है। न्यायिक कार्यवाही की श्रृंखला से, अब यह स्थापित हो गया है कि याचिकाकर्ता कुछ चुनिंदा राजनीतिक हित के इशारे पर अपने दो पदाधिकारियों के माध्यम से अपने नाम का उपयोग करने की अनुमति देता है और इस तरह की गतिविधि से कमाई भी करता है।

 

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