सीमेंट उत्पादन में भारी कमी, 25 से नौ हजार मीट्रिक टन पहुंचा उत्पादन, बढ़ सकते हैं दाम

सीमेंट उत्पादन में भारी कमी, 25 से नौ हजार मीट्रिक टन पहुंचा उत्पादन, बढ़ सकते हैं दाम
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हिमाचल प्रदेश के दो प्लांट पर ताला लगने से सीमेंट उत्पादन में भारी कमी दर्ज की गई। आगामी दिनों में इसके दाम भी बढ़ सकते हैं। प्रदेश के तीन सीमेंट प्लांट में तीन दिन पहले तक प्रतिदिन 25 हजार मीट्रिक टन सीमेंट का उत्पादन होता था। जैसे ही एसीसी और अंबुजा प्लांट पर अदाणी समूह ने ताला जड़ा तो यह सीधे घटकर नौ हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन पहुंच गई है। आगामी समय में ऐसा ही रहा तो पंजाब और हरियाणा को तो दूर प्रदेश में भी सीमेंट की आपूर्ति कर पाना मुश्किल हो जाएगा। 

 प्रदेश में तीन सीमेंट प्लांट में प्रतिदिन आठ हजार मीट्रिक टन सीमेंट और 17 हजार मीट्रिक टन क्लींकर का उत्पादन होता था। अदाणी ग्रुप की अंबुजा और एसीसी कंपनी में यह आंकड़ा पांच हजार मीट्रिक टन सीमेंट और 11 हजार मीट्रिक टन क्लींकर उत्पादन का रहा था। क्लींकर को हिमाचल से ले जाकर नालागढ़ और रोपड़ प्लांट में सीमेंट में बदला जाता था। वहीं से आगे सीमेंट सप्लाई होता था।

अब अदाणी ग्रुप ने दोनों कंपनी में क्लींकर और सीमेंट उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है। अब प्रदेश में सीमेंट उत्पादन का सारा जिम्मा अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी पर आ गया है। अगर एसीसी और अंबुजा सीमेंट फैक्ट्री के मसले को जल्द नहीं सुलझाया गया तो आने वाले समय में सीमेंट के संकट का बड़ा सामना प्रदेश को करना पड़ सकता है।

एसीसी में सितंबर माह से पहले की बात करें तो अदाणी के टेकओवर करने से पहले तक छह हजार मीट्रिक टन सीमेंट और चार हजार मीट्रिक टन क्लींकर का उत्पादन होता था। इसके तुरंत बाद यह आंकड़ा कुल चार हजार मीट्रिक टन पर सिमट गया। वर्तमान में एसीसी में तीन हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन क्लींकर और एक हजार मीट्रिक टन सीमेंट का उत्पादन होता है। वहीं, अंबुजा में आठ हजार मीट्रिक टन क्लींकर, चार हजार मीट्रिक टन सीमेंट प्रतिदिन बनता है।

अब यह उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया है। प्रदेश में अब एकमात्र अल्ट्राटेक कंपनी ही सीमेंट का उत्पादन कर रही है। यह कंपनी हिमाचल में केवल चार हजार मीट्रिक टन का ही उत्पादन करती है। वहीं, छह हजार मीट्रिक टन क्लींकर भगेरी प्लांट भेजा जाता है। वहां पर सीमेंट बनाकर इसकी सप्लाई फिर पंजाब और हरियाणा के लिए दी जाती है। ऐसे में केवल तीन हजार मीट्रिक टन सीमेंट ही प्रदेश के हिस्से में आएगा। इससे यह भी संभव है कि सीमेंट का संकट होने पर प्रदेश में इसके दाम भी बढ़ सकते हैं।

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