मैंने खुद CM को बताया था कि यह गैरकानूनी है , SC में कुलपति की पुनर्नियुक्ति रुकने पर राज्यपाल खान
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केरल सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए गोपीनाथ रवींद्रन को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त करने के फैसले को रद्द कर दिया है। इसके अलावा, अदालत ने कुलपति को दोबारा नियुक्त करने के कुलाधिपति और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आदेश में गलती भी पाई। इसपर खान ने पत्रकारों से बातकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो भी उनसे गैरकानूनी काम करवाया गया वो शिक्षा मंत्री ने नहीं बल्कि सीएम ने करवाया था।
मेरे पास शिक्षा मंत्री नहीं बल्कि...
कुलपति के रूप में पुनर्नियुक्ति रद्द किए जाने पर राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, 'मेरे कार्यालय में शिक्षा मंत्री नहीं आए थे। बल्कि एक ओएसडी और एक व्यक्ति, जो खुद को मुख्यमंत्री का कानूनी सलाहकार बताता है, वो कुलाधिपति के रूप में शिक्षा मंत्री का एक पत्र लाए, जिसमें प्रस्ताव दिया गया था कि गोपीनाथ को दोबारा नियुक्त किया जाए। इस पर मैंने कहा था कि आप जो करने के लिए कह रहे हैं वो गलत है। कानून के खिलाफ है। बाद में मैंने सीएम को पत्र लिखकर बताया था कि जो वो मुझे करने के लिए कह रहे हैं वो गलत है।'
मैंने इस्तीफा देने की बात भी कही
उन्होंने आगे कहा, 'मैंने यहां तक कहा था कि मैं चांसलर के रूप में काम नहीं करना चाहता। अपने पद से इस्तीफा देना चाहता हूं क्योंकि सीएम फिर मुझसे कुछ गैरकानूनी करने को कहेंगे।'
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि उनके पास शिक्षा मंत्री नहीं आए थे, बल्कि मुख्यमंत्री के कार्यालय से कानूनी सलाहकार आए थे। सारा दबाव मुख्यमंत्री की ओर से था। राज्यपाल नियुक्ति प्राधिकार हैं जिसे वे छीनना चाहते हैं। वे पांच लोगों की चयन समिति बनाकर कन्नूर विश्वविद्यालय को संस्थागत बनाना चाहते हैं, जहां निर्णय बहुमत से लिया जाएगा और बहुमत सरकार के नामितों का होगा।'
आदेश मिलने पर करेंगे व्यवस्था
यह पूछे जाने पर कि अभी कन्नूर विश्वविद्यालय में कोई कुलपति नहीं है, इस पर खान ने कहा, 'तुरंत व्यवस्था करेंगे। जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पास पहुंचेगा, हम आवश्यक व्यवस्था करेंगे।'
यह है मामला
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने रवींद्रन को पद पर दोबारा नियुक्त करने के कुलाधिपति और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के आदेश में गलती पाई। इसने पुनर्नियुक्ति को बरकरार रखने वाले केरल उच्च न्यायालय की एकल और खंडपीठ के फैसले को रद्द कर दिया।
पीठ ने, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, कहा कि राज्यपाल किसी राज्य में विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति होता है और कुलाधिपति के रूप में सभी विश्वविद्यालय मामलों पर निर्णय लेने में मंत्रिपरिषद से स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि हालांकि प्रतिवादी संख्या 4 (रवींद्रन) को कुलपति के पद पर फिर से नियुक्त करने की अधिसूचना कुलाधिपति (राज्यपाल) द्वारा जारी की गई थी, फिर भी पुनर्नियुक्ति का निर्णय बाहरी विचारों से प्रभावित था या कहें तो दूसरे शब्दों में, राज्य सरकार का अनुचित हस्तक्षेप इसमें शामिल था।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने कहा कि 23 फरवरी, 2022 को उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय और पारित आदेश को रद्द कर दिया गया है और इसके परिणामस्वरूप, 23 नवंबर, 2021 की अधिसूचना, प्रतिवादी संख्या 4 (रवींद्रन) को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त किया जाता है। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि शीर्ष अदालत ने कई सवालों का समाधान किया, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कार्यकाल तय होने पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है।
कांग्रेस नेता वीडी सतीशन बोले- शिक्षा मंत्री दें इस्तीफा
कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने पर केरल विधानसभा के नेता और कांग्रेस नेता वीडी सतीशन ने कहा, 'मैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले का स्वागत करता हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार का अनुचित हस्तक्षेप है। दुर्भाग्य से, राज्यपाल ने राज्य सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह हमारा आरोप था। अब हमारे आरोप को सुप्रीम कोर्ट ने रेखांकित किया है। सरकार विश्वविद्यालय के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। अब उच्च शिक्षा मंत्री को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना पड़ा है। यही हमारी मांग है।'