एमपी जीते तो छत्तीसगढ़ भी जीतेंगे
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम तीन दिसंबर रविवार को आ जाएंगे। लेकिन एग्जिट पोल में दिखाए गए संभावित चुनाव परिणामों ने राजनीतिक दलों की नींद उड़ा दी है। भाजपा के अपने नेता भी मान रहे हैं कि एग्जिट पोल के परिणाम ही अंतिम चुनाव परिणामों में बदले, तो यह उनके लिए भी आश्चर्यजनक होगा। विशेषकर मध्यप्रदेश में जिस तरह लैंड स्लाइड विक्ट्री दिखाई जा रही है, उसकी स्वयं पार्टी के नेताओं को भी उम्मीद नहीं थी।
भाजपा के ज्यादातर नेताओं को राजस्थान के चुनाव परिणाम एग्जिट पोल के अनुसार ही आने की संभावना है। यानी पार्टी नेता मान रहे हैं कि तीन दिसंबर के बाद उसे सरकार बनाने का अवसर मिलेगा। अभी से कई नेताओं ने संपर्क साधना भी शुरू कर दिया है। वहीं, मध्यप्रदेश के चुनाव परिणाम पार्टी के ही कई नेताओं को चकित करने वाले लग रहे हैं। मध्यप्रदेश चुनाव में सक्रिय रहे नेताओं का भी मानना है कि यहां के चुनाव परिणाम उनकी उम्मीद से बेहतर हैं।
भाजपा के महासचिव स्तर के एक नेता ने अमर उजाला से कहा कि शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली योजना महिलाओं के बीच लोकप्रिय हो रही है, यह तो हम जानते थे। लेकिन यह इतनी अधिक लोकप्रिय हो जाएगी, इसकी हमें स्वयं भी उम्मीद नहीं थी। विशेषकर यह देखते हुए कि यह बहुत अंतिम समय में लाई गई थी। यदि यह कुछ समय पहले लाई गई होती, तो यह ज्यादा कारगर हो सकती थी।
पार्टी नेता के मुताबिक, यदि यही चुनाव परिणाम आता है, तो इससे अमित शाह की करिश्माई क्षमता एक बार फिर सिद्ध हो जाएगी। जिस राज्य में पार्टी के लंबे शासन के बाद एंटी इनकमबेंसी फैक्टर ज्यादा मजबूत हो गया था, शाह की रणनीति ने न केवल उसको कमजोर करने का सफल प्रयास किया, बल्कि इसे बढ़त में भी तब्दील करने का काम किया। यह आश्चर्यजनक ही है।
उन्होंने कहा कि इसके पहले जब अमित शाह ने 2012 में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रभार संभाला था और 2014 के चुनाव में पार्टी को यूपी की 80 में से 73 सीटों पर सफलता मिली थी, तब वह भी किसी भी राजनीतिक दल या नेता के लिए आश्चर्यजनक था। मध्यप्रदेश में यदि पार्टी को एग्जिट पोल के अनुसार ही जीत मिलती है, तो यह उसी स्तर का अप्रत्याशित चुनाव परिणाम होगा।
भाजपा नेता ने कहा कि यदि मध्यप्रदेश के चुनाव परिणाम सही साबित होते हैं, तो हम छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम भी जीतेंगे। इसका बड़ा कारण है कि छत्तीसगढ़ की चुनावी हवा कई मायने में मध्यप्रदेश जैसी है। यदि मध्यप्रदेश में कोई साइलेंट लहर चल रही थी तो जनता के बीच इसका असर छत्तीसगढ़ तक अवश्य पहुंचा होगा। इसका परिणाम छत्तीसगढ़ में भी जीत के रूप में मिल सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, भाजपा की महिला केंद्रित योजनाएं और आदिवासी मतदाताओं के बीच मोदी की लोकप्रियता इसमें मददगार साबित हो सकती है।