गंभीर कोरोना संक्रमण के रहे हैं शिकार तो हो जाएं अलर्ट तुरंत चेक करिए अपने दिल की धड़कन

कोरोना संक्रमण ने शरीर को कई प्रकार से प्रभावित किया है। संक्रमण के दौरान होने वाली जटिलताओं के अलावा पोस्ट कोविड सिंड्रोंम में लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हुईं। डॉक्टर्स कहते हैं, संक्रमण का सबसे ज्यादा असर जिन अंगों पर देखा गया है उनमें हृदय-फेफड़े शीर्ष पर हैं। लॉन्ग कोविड वाले कई लोगों में इससे संबंधित जटिलाएं एक साल तक भी बनी रह सकती हैं।
इससे संबंधित हालिया शोध में भी विशेषज्ञों ने एक बार फिर से कोविड-19 के कारण बढ़ती हृदय की दिक्कतों को लेकर अलर्ट किया है। अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों में गंभीर कोविड-19 रोग रह चुका है, उनमें छह महीने के भीतर वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया नामक हृदय की बीमारी का जोखिम 16 गुना से अधिक बढ़ गया है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) के वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत इस शोध के अनुसार, कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले रोगियों में उसी दौरान के हल्के लक्षण वाले रोगियों की तुलना में हृदय के गंभीर रोगों का खतरा अधिक देखा गया है। हृदय के ये रोग कई रोगियों के लिए जानलेवा भी साबित हुए हैं।

वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया के बारे में जानिए
अध्ययन के बारे में जानने से पहले यहां ये समझ लेना जरूरी है कि आखिर वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया क्या बीमारी है?
डॉक्टर्स बताते हैं, यह समस्या असल में हार्ट के रिदम यानी दिल के धड़कने से संबंधित है। हार्ट के निचले कक्षों (वेंट्रिकल्स) में अनियमित विद्युत संकेतों के कारण यह बीमारी होती है। एक स्वस्थ हृदय आमतौर पर रेस्ट के समय एक मिनट में 60 से 100 बार धड़कता है जबकि इस बीमारी में धड़कन 100 से अधिक हो सकती है। इसके कारण हार्ट अटैक भी हो सकता है।

कोविड-19 का हृदय पर दुष्प्रभाव
कोविड-19 के कारण बढ़ने वाली वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया की समस्या के बारे में जानने के लिए किए गए इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 3,023 रोगियों को शामिल किया, ये सभी कोविड-19 के गंभीर रोग के शिकार रह चुके थे। इनमें से अधिकतर को संक्रमण के दौरान आईसीयू या फिर वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत हुई थी। प्रतिभागियों की औसत आयु 62 वर्ष थी और इसमें 30 फीसदी महिलाएं थीं।
कई अध्ययनों में इस बात पर भी जोर दिया जाता रहा है कि हृदय रोगों का खतरा पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है।

अध्ययन में क्या पता चला?
करीब नौ महीने तक इन प्रतिभागियों की सेहत का फॉलोअप किया गया। जिसके आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 के हल्के लक्षणों के शिकार लोगों की तुलना में गंभीर रोग वालों में वेंट्रीकुलर टैकीकार्डिया की समस्या विकसित होने का जोखिम 16 फीसदी अधिक पाया गया। वहीं एट्रियल फाइब्रिलेशन का जोखिम 13 फीसदी और ब्रैडीकार्डिया/पेसमेकर इंप्लांटेशन का जोखिम 9 गुना तक अधिक देखा गया।
एट्रियल फिब्रिलेशन अनियमित दिल की धड़कन की स्थिति है जिसके कारण ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है, वहीं ब्रैडीकार्डिया, दिल के धड़कनों के सामान्य से कम होने की स्थिति है। ये सभी स्थितियां गंभीर रोगों का कारण बन सकती हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अध्ययन के निष्कर्ष में प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक डॉ. मार्कस स्टालबर्ग कहते हैं, कोविड-19 के जिन रोगियों को वेंटिलेटर की आवश्यकता हुई थी, उनमें अक्सर हृदय रोगों की जटिलताएं अधिक देखी जा रही हैं। ऐसे लोग जो गंभीर कोविड के शिकार रह चुके हैं, उन्हें ठीक होने के बाद दिल की धड़कनों की जांच जरूर करानी चाहिए।
कुछ हल्के लक्षण वालों में भी लॉन्ग कोविड में हार्ट की समस्याएं विकसित होती देखी गई हैं। ऐसे में संक्रमण से ठीक होने के बाद एक बार एहतियातन हृदय की जांच जरूर करा लें। हृदय रोगों के मामले किसी भी उम्र वालों में हो सकते हैं।
