देर तक कंप्यूटर के सामने ही बैठे रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है! रिसर्च में सामने आई हैरान करने वाली बात

देर तक कंप्यूटर के सामने ही बैठे रहते हैं, तो यह खबर आपके लिए है! रिसर्च में सामने आई हैरान करने वाली बात
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अगर आप लगातार कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं, मोबाइल चला रहे हैं या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जिसमें आंखों का उपयोग अधिक हो रहा है तो सावधान हो जाइये. आपकी आंखों में डिजिटल स्क्रीन टाईम बढ़ने से कई खतरे हो सकते हैं. कोटा के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि डिजिटल स्क्रीन टाईम के बढ़ने के कारण आंखों में ड्राई आई की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है.

डॉ. पाण्डेय ने बताया कि लम्बे समय तक डिजिटल डिवाइसेज, कंप्यूटर के उपयोग से आंखों में डिजिटल विजन सिंड्रोम होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आंखों के पारदर्शी पुतली (कॉर्निया) पर विद्यमान आंसू की पतली परत वाष्पीकृत हो जाती है. इससे टियर फिल्म ब्रेक अप होकर ड्राई स्पोर्ट्स बन जाते है एवं आंखों में ड्राई आई के लक्षण सामने आते हैं. कोविड-19 महामारी के समय और उसके बाद अधिकांश काम ऑनलाईन, वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर हो रहे हैं जिसके कारण अधिकांश लोगों का स्क्रीन टाईम बहुत अधिक बढ़ चुका है.

 

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क्या हैं इसके लक्षण
डिजिटल विजन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्तियों को आंखों में चुभन, जलन, थकान, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना (फोटोफोबिया), धुंधला दिखाई देना, आंखें बंद करने की इच्छा होना, आंखों में दर्द एवं सिरदर्द आदि लक्षण हो सकते हैं. जो लोग दिनभर में 2 घंटे से अधिक डिजिटल डिवाईसेज का उपयोग करते हैं उन्हें डिजिटल विजन सिंड्रोम का खतरा अधिक है.

बचने के लिए क्या करें
डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि अगर आप दिनभर में 2 घंटे से अधिक  डिजिटल डिवाईसेज, स्मार्टफोन, कम्प्यूटर आदि का उपयोग करते हैं, तो 20-20-20 रूल का पालन अवश्य करें. प्रत्येक 20 मिनट के बाद 20 सैकेंड के लिए 20 फीट दूर देखें. आप 20 कदम टहल भी सकते हैं. एयर कण्डीशन की हवा आंखों के सामने से न आकर साईड से या पीछे से आनी चाहिए. दिनभर में 10-12 ग्लास पानी पीते रहें.

डिजिटल विजन सिंड्रोम के लक्षण होने पर लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप का नियमित उपयोग करें. अपना चेहरा और आंखों को बिना हाथ धोएं न छुएं नहीं तो सेनिटाइजर लगे हाथ आंखों में एलर्जी का कारण बन सकते हैं. आंखों में ड्राईनेस या एलर्जी होने पर जरुरत पड़ने पर अपने नजदीकी नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें.

रिसर्च में सामने आई ये बात
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पांडे ने बताया कि, अधिक मोबाइल और कम्प्यूटर का प्रयोग करने वाले लोगों में यह बढ़ने लगा है. टेक्नोलॉजी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हमें शारीरिक रूप से भी बदल रहा है, साथ ही मानसिक रूप से भी परेशानियां उत्पन्न कर रहा है. एक शोध में यह भी बात सामने आई है. स्मार्टफोन, लैपटॉप और टेलीविजन के ज्यादा प्रयोग से मानव संरचना में संभावित बदलाव पर शोध किया गया. 3डी इमेज भी तैयार किया गया था.

एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठने से आंखों की रोशनी समय से पहले ही कम होती जा रही है. बच्चों की आंखों पर चश्मा चढ़ रहा है, आंखों में पानी आने लगा है, आंखों में थकावट होने लगी है. ऐसे में जो लोग इस स्थिति में ज्यादा काम करते हैं, उन्हें हर एक से दो घंटे में अपनी सीट से उठा जाना चाहिए, आंखों को रिलेक्स करना चाहिए, कम्प्यूटर से दूरी बनाए रखनी चाहिए, गर्दन को बार बार इधर से उधर घुमाना चाहिए, साथ ही आंखों की एक्सरसाइज करनी चाहिए. 

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