सदाबहार खुश रहना है तो अपने स्वभाव को मीठा और मधुर बनाएं - संत

सदाबहार खुश रहना है तो अपने स्वभाव को मीठा और मधुर बनाएं - संत
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राजसमन्द ( राव दिलीप सिंह) राष्ट्र-संत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है जो 1 मिनट के लिए आता है और जिंदगी भर मेहनत कर बनाए गए करियर को चौपट कर जाता है। अगर हम अपने जीवन को जीते जी स्वर्ग बनाना चाहते हैं तो हमें गुस्से को जीतना होगा। गुस्से के चलते अमीरों की कोठियाँ भी नरक की आग उगलना शुरू कर देती हैं, वहीं मिठास से जीने वाले लोगों को कुटियाओं में भी स्वर्ग के सुख नसीब हो जाते हैं।

संतप्रवर रविवार को संबोधि सेवा परिषद द्वारा स्टेशन रोड स्थित प्रज्ञा विहार में आयोजित रात्रि कालीन प्रवचन सत्संग में हजारों श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर आप 1 घंटे की खुशी चाहते हैं तो जहाँ बैठे हैं वहाँ झपकी ले लीजिए, 1 दिन की खुशी चाहते हैं तो शहर में घूम आइए, 1 सप्ताह की खुशी चाहते हैं तो किसी हिल स्टेशन या तीर्थ पर चले जाइए, 1 महीने की खुशी चाहते हैं तो किसी सुंदर लड़की से शादी कर लीजिए, 1 साल की खुशी चाहते हैं तो किसी बड़े पैसे वाले व्यक्ति के गोद चले जाइए, पर आप जीवन भर खुश रहना चाहते हैं तो अपने स्वभाव को शांत और मधुर बना लीजिए। जैसा होगा हमारा नेचर वैसा ही बनेगा हमारा फ्यूचर। जैसा हम रखेंगे अपना स्वभाव, वैसा ही पड़ेगा दूसरों पर प्रभाव। जो लोग क्रोध के वातावरण में भी शांत रहते हैं वे हीरे की तरह होते हैं, पर जो विपरीत वातावरण आते ही उग्र हो जाते हैं वे काँच के टुकड़े जितनी औकात के बन जाते हैं।

गुस्से को जीतने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर ने कहा कि गलती हो जाए तो झुक जाइए और गुस्सा आए तो रुक जाइए, आप सदा लाभ में रहेंगे। वैसे हममें से हर किसी को जैन धर्म की एक डिग्री अवश्य पास कर लेनी चाहिए वह है : एम. डी. अर्थात मिच्छामि दुक्कड़म्। जो लोग गलती होते ही माफी माँग लेते हैं और दूसरों के द्वारा गलती होने पर माफ कर देते हैं वे जीते जागते धरती के देवता हुआ करते हैं। अगर हम किसी की सोने से पहले दो गलतियों को माफ कर देंगे तो भगवान सुबह उठने से पहले हमारी सौ गलतियों को माफ कर देगा। जो गलती करके सुधर जाए उसे इंसान कहते हैं, जो गलती पर गलती करे उसे नादान कहते हैं, जो उससे ज्यादा गलतियाँ करे उसे शैतान कहते हैं, जो उससे भी ज्यादा गलतियाँ करें उसे पाकिस्तान कहते हैं, पर जो उसकी भी गलतियों को माफ कर दे उसे ही शेरे दिल हिंदुस्तान कहते हैं। याद रखें, जो काम रुमाल से निपट जाए उसके लिए रिवाल्वर मत चलाइए और जो काम प्रेम से हो जाए उसके लिए गुस्सा मत कीजिए।

इतिहास की मुख्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के पाँव के अंगूठे पर डसने वाला चंडकोशिक साँप पिछले जन्म में तपस्वी संत था, पर अपने शिष्य पर गुस्सा करने के कारण वह भयंकर विषधर साँप बन गया और जब वही साँप भगवान के उपदेश को सुनकर शांत हो गया तो मरकर देव बन गया। फैसला हमारे हाथ में है कि हम अगले जन्म में साँप बनना चाहते हैं या फिर स्वर्ग के अधिपति। क्रोध पर कंट्रोल करने के लिए हम बच्चों को डाँटें, मगर प्यार से। प्यार से समझाएँगे तो बच्चे सुधर जाएँगे और केवल गुस्सा करते रहेगे तो वे जिद्दी हो जाएँगे। बुरी बात को नेगलेट करने की आदत डालें, सप्ताह में 1 दिन गुस्से का उपवास करें और कोई हम पर क्रोध करे तो मुस्कान से पेश आने की आदत डालें।

मधुर बोलने की प्रेरणा देते हुए संत प्रवर ने कहा कि अच्छा जीवन जीना स्वयं में बहुत बड़ी कला है और मीठा बोलना उस कला का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि बोलने की कला में ही लोकप्रियता का राज छिपा हुआ है। कुछ लोग वाणी के कारण औरों के दिलों से उतर जाते हैं तो कुछ इसी वाणी के चलते औरों के दिलों में बस जाया करते हैं। हम इस तरह बोलें कि दूसरों का दिल आग-आग नहीं, बाग-बाग हो जाए। बहनों पर चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि अगर लिपिस्टिक लगाने से होंठ सुंदर नजर आते तो दुनिया के सारे पुरुष लिपिस्टिक लगाना शुरू कर देते। याद रखें, चेहरे की सुंदरता पाउडर लगाने अथवा होठों की सुंदरता लिपिस्टिक लगाने से नहीं मधुर मुस्कान और मीठी जुबान से होती है।

आदमी की पहचान परिधान से नहीं, जुबान से होती है। अगर जबान पर घाव लग जाए तो 24 घंटे में ठीक हो जाता है, पर जबान से घाव लग जाए तो ठीक होने में 24 वर्ष भी कम पड़ जाते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर में सबसे अच्छी चीज भी जबान है और बुरी चीज भी जबान है। यह जबान कैंची भी है और सुई-धागा भी। हम जबान से कैंची की तरह रिश्तों को काटे नहीं वरन सुई-धागे की तरह टूटे रिश्तों को सांधने की कोशिश करें। इतिहास इस बात का गवाह है कि जहाँ रावण ने कड़वे वचनों के कारण अपने प्रिय धर्मात्मा भाई विभीषण को खो दिया वहीं विभीषण ने मीठे वचनों से भाई के शत्रु राम को भी अपना बना लिया।

बच्चों को चलाने के साथ बोलना भी सिखाएँ - संतप्रवर ने माता-पिता को प्रेरणा देते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को केवल चलना ही न सिखाएँ वरन बोलना भी सिखाएँ। उन्होंने कहा कि दुनिया में होने वाली 80प्रतिशत आत्महत्याओं का कारण कड़वी जबान ही होती है। परिवार में सास-बहू, पिता-पुत्र, भाई-भाई, देवरानी-जेठानी के बीच होने वाले झगड़े धन-दौलत, जमीन-जायदाद के कारण कम, कड़वी जबान के कारण ज्यादा होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप काले हैं तो इस तरह बोलें कि आपका सांवलापन ढक जाए और आप गोरे हैं तो इस तरह बोलें कि आपके रंग में चार चाँद लग जाए। गोरा व्यक्ति भी अगर कड़वा बोलेगा तो दुत्कारा जाएगा, पर काला व्यक्ति भी अगर मीठा बोलेगा तो हर जगह आदर पाएगा।

जैसा बोलेंगे वैसा मिलेगा - दुनिया की सच्चाई उजागर करते हुए संतश्री ने कहा कि दुनिया एक अनुगूँज है। यहाँ व्यक्ति को वही मिलता है जैसा वह औरों को दिया करता है। यहाँ मिठास के बदले मिठास और खटास के बदले खटास लौटकर आती है। अगर हम सबसे मिठास पाना चाहते हैं तो सबको मिठास देना शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि हमसे धर्म-कर्म हो तो अच्छी बात है और न हो तो भी कोई दिक्कत नहीं, पर भूलचूककर भी किसी की जिंदगी में कड़वाहट न घोलें क्योंकि इससे बढ़कर कोई पाप नहीं होता।

सिखाई बोलने की कला - बोलने की कला सिखाते हुए संतश्री ने कहा कि जब भी बोलें आदर-अदब से बोलें, औरों की प्रशंसा करते हुए बोलें। उन्होंने सबको मिठास से व मुस्कुराते हुए बोलने की प्रेरणा दी।

इस अवसर पर प्रज्ञा विहार में भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी और राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी, पद्मश्री श्याम सुंदर पालीवाल, पूर्व विधायक बंशी लाल खटीक, पूर्व चेयरमैन सुरेश पालीवाल सहित अनेक प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रसंतों से आशीर्वाद लिया। शहर वासियों को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देकर राष्ट्र संतों ने जोधपुर की ओर मंगल प्रस्थान किया।  

मीडिया प्रभारी जितेंद्र लड्ढा ने बताया की जोधपुर के कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में आगामी 8 जनवरी से 14 जनवरी तक 7 दिन का ध्यान योग शिविर आयोजित होगा जिसमें राजसमंद के भाई-बहन बड़ी संख्या में भाग लेंगे।

समारोह का संचालन डॉ. वीरेंद्र महात्मा ने किया और परिषद सचिव कमलेश कच्छारा ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। परिषद अध्यक्ष सुनील पगारिया एवं भूपेंद्र चोरड़िया ने सभी मेहमानों का अभिवादन और उपरणा ओढ़ाकर स्वागत किया। अंत में अतिथियों द्वारा परिषद के सभी युवा कार्यकर्ताओं का उपरणा एवं साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया।

कार्यक्रम में सुरेश बोहरा, बाबू लाल कोठारी, सुरेंद्र टाक, मनोरमा टाक, आशा पालीवाल, मुकेश बाबेल, मुकेश गर्ग, अचल धर्मावत, चंद्र प्रकाश सियाल, आशीष वागरेचा, कुलदीप सोनी, ललित बाफना, जितेन्द्र लड्ढा, पंकज मेहता, महावीर बोल्या, दीपक हिंगड़, हिम्मत कटारिया, अनिल बोहरा, नवीन विश्वकर्मा, सत्यनारायण पालीवाल आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

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