वैचारिक वार्ता में माहेश्वरी समाज में पिछले कुछ वर्षों से नव दम्पत्तियों में बढते तलाक के पांच प्रमुख कारण उभर कर सामने आये

वैचारिक वार्ता में माहेश्वरी समाज में पिछले कुछ वर्षों से नव दम्पत्तियों में बढते तलाक के पांच प्रमुख कारण उभर कर सामने आये
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भीलवाड़ा (हलचल)| माहेश्वरी समाज में प्रबुद्ध नागरिकों एवं मध्यम वर्ग के बीच में विभिन्न विषयों पर वैचारिक आदान-प्रदान हेतु अन्तर्राष्ट्रीय माहेश्वरी कपल क्लब भारत की विभिन्न जिला शाखाओं के द्वारा विगत 7 वर्षों से नियमित रूप से वैचारिक वार्ताओं चर्चा चाय पर का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में 26 जून को क्लब के राष्ट्रीय महासचिव अनिता सोडाणी की अध्यक्षता एवं राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुमन सोनी के मुख्य आतिथ्य में तथा पूर्व भीलवाड़ा जिलाध्यक्ष कान्ता बी.एल. मेलाणा, जिला संगठन सचिव लीला राठी, जिला सचिव खुशी देवपुरा के विशिष्ठ आतिथ्य में आयोजित इस बार की वैचारिक वार्ता का विषय - ’’माहेश्वरी समाज में पिछले कुछ वर्षों से नव दम्पत्तियों में बढते तलाक के पांच प्रमुख कारण रखा गया जिसमें विभिन्न उपस्थित जनों ने अपने बहुमूल्य विचारों से एक दूसरे को अवगत कराया। वैचारिक वार्ता में  निम्न प्रमुख कारण उभर कर सामने आये - सोशल मीडिया, इंटरनेट, मोबाईल फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम ने नवदम्पत्तियों में आपसी विश्वास - अपनेपन तथा संयम की कमी  पैदा कर दी तथा कभी कभी छोटी सी बात भी बहुत बड़ी बन जाती है। लड़के लड़कियां दोनों शिक्षित, दोनो कमाने वाले, आर्थिक स्वावलंबन की चाहत में एक दूसरे के प्रति सम्मान, समर्पण, सहयोग व एक दूसरे पर निर्भरता की कमी हो गई तथा छोटी मोटी बात पर दोनों में से झुकने को कोई तैयार नहीं, आपसी अहम का टकराव व इगो के भाव अधिक हो गये हैं। घर परिवार से दूर रहकर स्वच्छंद वातावरण में नैतिक मूल्यों के अवमूल्यन के साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करते करते समाज के बाहर अफेयर्स हो जाना, अधिक उम्र में शादी होना, परिवार से पहले जॉब को महत्व देना। एकल परिवार एवं एक या दो संतान होने की वजह से मां बाप का बचपन से ही बच्चों में कठोर अनुशासन नहीं रख पाना तथा समाज के महत्व को अनदेखा कर  बच्चों की नाजायज मांगों पर भी झुक जाना। बच्ची की सुरक्षा और उसके हित के प्रति चिंतित होकर लड़कियों के मां-बाप का बहुत हस्तक्षेप करना, समाज में हर तरफ धन की प्रधानता वाला आर्थिक वातावरण होने की वजह से लड़कियों के लिए जॉब का बहुत महत्व रखना और अपने हैसियत से ऊपर के सपने देखना और पूर्ण न होने पर अपनी मनोवृति को काबू में न रख पाना तथा पारिवारिक कलह और अशांति हो जाना। नौकरी की वजह से बच्चे मां-बाप और परिवारजनों से दूरअलग रहते हैं, नव दंपतियों को आपस में एक दूसरे की कोई बात अच्छी नहीं लगती तो आपस में दोनों का मनमुटाव हो जाता है और समझाने वाला कोई होता नहीं है, छोटी छोटी बातें बढ़ते बढ़ते तलाक की ओर अग्रसर होने लग जाती हैं। जिला सचिव खुशी देवपुरा ने बताया कि क्लब के राष्ट्रीय महासचिव अनिता डॉ. अशोक सोडाणी एवं राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुमन सुरेश सोनी के नेतृत्व में इन सभी विचारों से हमारे माहेश्वरी समाज के प्रमुख मातृ संगठन अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के प्रबुद्ध पदाधिकारियों को अवगत कराया गया है।

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