श्रावण मास में श्रावणी उपाकर्म रत्नेश्वर कुंड किले पर संपन्न
चित्तौड़गढ़। उपाकर्म करने से पापों का नाश होकर सब प्रकार से आध्यात्मिक उर्जा प्राप्त होती है। सब विप्र बंधुओं द्वारा ऐसे सामूहिक आयोजन निरंतर होने चाहिए। यह विचार गुरुदेव डॉ. गौरांग पानेरी द्वारा विगत दस वर्षों से निरंतर हो रहे सामूहिक श्रावणी उपाकर्म के दौरान व्यक्त किए। श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर दुर्ग स्थित रत्नेश्वर कुण्ड पर सामूहिक श्रावणी उपाकर्म का आयोजन किया गया। ज्योतिषाचार्य पं विकास उपाध्याय द्वारा वैदिक विधि से प्रायश्चित संकल्प सहित हेमाद्रि, ऋषि पूजन, दश विध स्नान, तर्पण करवा कर नयी यज्ञोपवीत धारण करवायी गयी। उपाध्यक्ष शास्त्री पं अनिल जोशी ने बताया कि इस कर्म के करने से सब प्रकार से प्रायश्चित होकर ब्रह्म तेज की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर समस्त कर्मकाण्डी विप्रजनों के ओम तत्सत् न्यास नामक पारमार्थिक ट्रस्ट का भी गुरुदेव एवं विप्र समाज द्वारा शुभारंभ किया गया। इस संस्था के तत्वावधान में भविष्य में परमार्थ हेतु विप्र बंधुओं द्वारा विविध धार्मिक सामाजिक आयोजन हेतु संकल्प लिया गया। इस आयोजन में पं.दिनेश तिवाड़ी, अशोक तिवारी, श्यामलाल गील, श्याम शर्मा, कौशल शर्मा, देवकिशन शर्मा, प्रह्लाद कृष्ण, सिद्धांत शर्मा, पीयूष धनेत, रतन पारलिया, रत्नेश केली, चंद्रकांत, कपिल शर्मा, पंकज, अनिल शर्मा, किशन चास्टा, मयंक शर्मा सहित श्रावणी कर्म का ब्रह्म समाज ने उपस्थित रहकर धर्म लाभ लिया।