इंडिया गठबंधन की बैठक आज, सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं विपक्षी सांसद, बैठक में चर्चा संभव
जनता के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना हैं कि अगर सहमति बनी तो लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा जैसा कदम भी उठाया जा सकता है। जबकि अभी इस मुद्दे पर कोई विचार नहीं हुआ है, लेकिन जिस तरह सरकार विपक्ष के नेताओं और सांसदों को निशाना बना रही है, उसका जवाब किसी बड़े राजनीतिक कदम से ही देना होगा।
सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी
संसद में सरकार और विपक्ष के बीच जारी गतिरोध व कुल मिलाकर दोनों सदनों के 92 सांसदों के निलंबन से उत्पन्न स्थिति क्या साल 1989 का इतिहास दोहराने की तरफ बढ़ रही है। क्या तब राजीव गांधी की 400 से ज्यादा सांसदों की प्रचंड बहुमत की सरकार को बोफोर्स मुद्दे पर घेरते हुए तत्कालीन विपक्ष, जिसमें बीजेपी भी शामिल थी, के सांसदों ने लोकसभा से जिस तरह सामूहिक इस्तीफा दिया था, लगता है अब मौजूदा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने के लिए ऐसा कोई कदम उठा सकता है। यह सोच इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं के मन में चल रही है।
इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन की बैठक
मंगलवार को दिल्ली में इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन की बैठक है, जिसमें लोकसभा चुनावों की रणनीति, न्यूनतम साझा कार्यक्रम, साझा प्रचार, सीटों पर बीतचीत और संयोजक जैसे मुद्दों पर विचार होगा। लेकिन इस बैठक में संसद में जारी गतिरोध और विपक्ष के सांसदों के एक के बाद एक निलंबन पर भी चर्चा हो सकती है। दरअसल तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जबर्दस्त जीत से विपक्ष को झटका लगा था।
गठबंधन के नेता सीटों के तालमेल
संसद में सुरक्षा में सेंध के मुद्दे को लेकर उसमें फिर न सिर्फ आक्रामकता आई है बल्कि कुछ दिनों पहले अलग-अलग सुरों में बोल रहे गठबंधन के नेताओं के बीच अब एकजुटता भी बढ़ गई है। इसलिए इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन के नेता सीटों के तालमेल आदि के मुद्दों के साथ-साथ सांसदों के निलंबन के विरोध में भी कोई बड़ा कदम उठाने पर विचार विमर्श कर रहे हैं।
लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा
लोकसभा व राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य रह चुके केसी त्यागी बताते हैं कि साल 1989 में भी ऐसी ही परिस्थिति बनी थी, जब चार सौ से ज्यादा बहुमत वाली राजीव गांधी सरकार ने तत्कालीन विपक्ष को संसद में अपनी आवाज नहीं उठाने दी थी, तब पूरे विपक्ष ने लोकसभा से सामूहिक इस्तीफा दिया था। जिसके बाद साल 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी हारी और विश्वनाथ प्रताप सिंह की जनता दल के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चे की गठबंधन सरकार बनी थी जिसे बाहर से वाम मोर्चे और बीजेपी दोनों का समर्थन प्राप्त था।
1989 में हमने यही किया था
केसी त्यागी कहते हैं कि जब संसद में विपक्ष की आवाज को नहीं सुना जाता है तब उसे सीधे जनता के बीच जाना चाहिए। साल 1989 में हमने यही किया था और अब भी अगर सहमति बनी तो फिर विपक्ष सीधे जनता के बीच जाने के लिए लोकसभा से सामूहिक इस्तीफे का फैसला कर सकता है। कांग्रेस में कोई नेता इस मुद्दे पर खुलकर बोलने अभी तैयार नहीं है, लेकिन उनका यह कहना है कि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है, जो भी फैसला होगा इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन के सभी घटक आपस मे चर्चा और सहमति से लेंगे।