पिछली बार से भी 30% कम खर्च में चंद्रयान भेज रहा है भारत, जानिए अपने साथ क्या-क्या ले जा रहा है चंद्रयान-3

पिछली बार से भी 30% कम खर्च में चंद्रयान भेज रहा है भारत, जानिए अपने साथ क्या-क्या ले जा रहा है चंद्रयान-3
X

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) 14 जुलाई को अपने महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को लॉन्च कर दिया है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से दोपहर 2.35 बजे लॉन्च किया गया। इस बार के मिशन पर पिछली बार से भी 30 प्रतिशत कम खर्च आया है।

दरअसल, चंद्रयान 2 के दौरान जो ऑर्बिटर भेजा गया था, वह अब भी चांद की ऑर्बिटर में घूम रहा है। इसलिए चंद्रयान 3 के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है। चंद्रयान-3 पिछले वाले ऑर्बिटर का ही इस्तेमाल करेगा। इससे ऑर्बिटर पर आने वाले पूरा खर्च बच गया है। इसरो ने ज़्यादातर तकनीक भी खुद ही डेवलप किया है। जाहिर है इन-हाउस तकनीक के इस्तेमाल की वजह से भी मिशन की लागत और कम हो गई है।

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 करीब 615 करोड़ रुपये के बजट पर बनाया गया है। जनवरी 2020 की एक रिपोर्ट में, इसरो के अध्यक्ष के हवाले से कहा गया था कि मिशन के लिए लैंडर रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की लागत लगभग 250 करोड़ रुपये होगी, जबकि लॉन्च की लागत 365 करोड़ रुपये होगी।

 

क्या है चंद्रयान-3 का उद्देश्य?

चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के सतह और उपग्रह का अध्ययन करना है। इसरो बताता है कि इस मिशन के उसके तीन लक्ष्य हैं, पहला: चांद की सतह पर लैंडर की सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना, दूसरा: रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना, तीसरा: चांद पर मौजूद एलिमेंट्स का वैज्ञानिक परिक्षण करना।

आसान भाषा में कहें तो चंद्रयान-3 चांद पर खनिज, पानी आदि का भी पता लगाएगा। खोजबीन का यह काम चंद्रयान के साथ जा रहा एक रोबोट करेगा, जिसे रोवर कहा जाता है। शिव नादर यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले अंतरिक्ष, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोट्स और ड्रोन्स विशेषज्ञ डॉ आकाश सिन्हा ने बीबीसी हिंदी को बताया है कि इस मिशन का लाभ भविष्य में उस वक्त मिलेगा, जब चांद पर कॉलोनी बसाने की कोशिश होगी।

 

Rover

रोवर की विशेषताएं  

महत्वाकांक्षी चंद्रयान-3 मिशन इस वर्ष की सबसे बहुप्रतीक्षित घटनाओं में से एक है। इसकी सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, सोवियत संघ और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला चौथा देश बना जाएगा। 2019 में चंद्रयान-2 मिशन विफल होने के बाद यह भारत का दूसरा मिशन है। इसके अलावा, चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारत के लिए एक बड़ी जीत होगी, क्योंकि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला मिशन होगा।

 

चंद्रयान-2 की विफलता से सीख

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) को चंद्रयान-2 की विफलता के बाद विकसित किया है। साल 2019 में चंद्रयान-2 सफल नहीं रहा था। मिशन के दौरान लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पायी थी। इस बार उन लैंडर की तकनीक में बहुत बदलाव किया गया है।

 

वैज्ञानिकों का कहना है कि चंद्रयान-3 में पहले के मिशन से सीख लेकर त्रुटियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। ISRO ने चंद्रयान-3 के लिए कई नई टेक्नोलॉजी तो डेवलप की ही है। साथ ही पुरानी टेक्नोलॉजी में बदलाव भी किये हैं। जैसे री-प्रोग्रामिंग, संचार प्रणाली में सुधार, तापमान नियंत्रण और वैद्युतिक प्रणाली को और मजबूत किया गया है।

 

क्या-क्या ले जा रहा है चंद्रयान-3?

इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 इन सात चीजों को अपने साथ चांद की सतह तक लेकर जाएगा।

  1. मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर और एटमॉस्फियर (रंभा) की रेडियो एनाटॉमी
  2. चंद्र का सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट)
  3. चंद्र भूकंपीय गतिविधि के लिए उपकरण (ILSA)
  4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) रोवर
  5. अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस)
  6. लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) प्रणोदन मॉड्यूल
  7. निवासयोग्यग्रह पृथ्वी (शेप) की स्पेक्ट्रो-ध्रुवीयमिति
Next Story