19000 करोड़ की घातक मिसाइलों की खरीद से भारतीय नौसेना होगी मजबूत, सरकार ने दी मंजूरी
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 200 ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के सौदे को मंजूरी दे दी है. भारतीय नौसेना के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें खरीदी जाएंगी और इन मिसाइलों को भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा। यह डील 19 हजार करोड़ रुपये की है. बुधवार शाम को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई जिसमें इस डील को मंजूरी दे दी गई है.
मार्च के पहले हफ्ते में इस डील पर हस्ताक्षर हो सकते हैं
मार्च के पहले सप्ताह में ब्रह्मोस एयरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस सरकार का एक संयुक्त उद्यम है। जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का निर्माण करती है। इन मिसाइलों को पनडुब्बियों, युद्धपोतों, विमानों और जमीन से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय नौसेना का मुख्य हथियार है जिसका इस्तेमाल जहाज-रोधी और हमले के अभियानों में किया जाता है।
ब्रह्मोस मिसाइल को रूस की मदद से भारत में विकसित किया गया है और इसके कई हिस्से भारत में निर्मित हैं। भारत जल्द ही फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल निर्यात करने जा रहा है। दोनों देशों के बीच पहले ही एक समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली खरीदने वाला पहला विदेशी ग्राहक देश बन गया है।
भारतीय हथियारों का निर्यात बढ़ाने पर फोकस
अन्य दक्षिण एशियाई देशों ने भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अध्यक्ष अतुल राणे ने कहा कि फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल सौदा लगभग 375 मिलियन डॉलर का होगा और उनकी टीम 2025 तक हथियारों के निर्यात को 5 बिलियन डॉलर के लक्ष्य तक बढ़ाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने हथियारों के निर्यात को पांच अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है और प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ब्रह्मोस मिसाइल सौदे के बाद भारत में विकसित अन्य हथियार जैसे आकाश मिसाइल, होवित्जर तोप आदि के निर्यात की संभावना भी बढ़ सकती है।
रक्षा मंत्रालय हथियारों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपने हथियारों की हार्डवेयर गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके साथ ही भारतीय कंपनियों ने विदेशों में भी अपने कार्यालय खोले हैं ताकि निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके।