भारतीय परंपरागत भोजन ही स्वस्थ रहने का आधार - डॉ. स्मिता शर्मा
निंबाहेड़ा। ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कूटू आदि मोटे अनाज हैं। इनमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होती है। मोटे अनाजों के फायदों को लेकर देश के शीर्ष मंचों से चर्चा हो रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है। मोटे अनाज को मिलेट्स या श्रीअन्न के नाम से भी जाना जाता है। ये बाते वेद ज्ञान सप्ताह के शुभारंभ में सोमवार को मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय अधिष्ठाता डॉ. स्मिता शर्मा बोल रही थी। विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान भारत सरकार उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में वेद ज्ञान सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। वक्ता ने वैदिक आहार पोषण की वर्तमान अनिवार्यता विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोटे अनाज भारत की पर्यावरण पारस्थितिकी के अनुसार भी ज्यादा अनुकूल हैं। ये प्रकृति के साथी हैं। इनकी पैदावार में धान या गेंहू के मुकाबले कम पानी की आवश्यकता होती है। श्रीअन्न को आकार के आधार पर दो भागो में रखा जाता है। बारीक श्रीअन्न, जिसमें कोदो, चीना, कंगनी, रागी, सांवा, कुटकी आदि शामिल हैं। ज्वार, बाजरा में फूड फाइबर की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। मोटे अनाजों में उपस्थित फाइबर की मात्रा मनुष्य के पाचन तंत्र को दुरस्त रखती है। इनमें आयरन और कैल्सियम की मात्रा भी भरपूर पाई जाती है। मुख्य अतिथि वेदपीठ के सचिव गोविन्द सहाय ने कहा कि भारतीय थाली में प्राचीन काल से ही मोटे अनाजों की व्यवस्था रही है। यह शरीर के लिए जरूरी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स, मिनरल्स का सही मिश्रण है। अध्यक्षता करते हुए चेयरपर्सन कैलाशचंद्र मूंदड़ा ने कहा कि जब भी अनाज की बात की जाती है, तो सबसे पहले हमारे मस्तिष्क में गेहूं, चावल और दाल का खयाल आता है, परंतु सही भोजन मोटा अन्न जैसे ज्वार, बाजरा आदि है। उन्होंने कहा कि बाजरा लौह लवण से भरपूर होता है। इसलिए शरीर में यह खून की कमी को दूर करने में सहायता करता है। वहीं ज्वार शरीर की हडिडयों के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम, खून के लिए फॉलिक एसिड के अलावा कई अन्य पोषक तत्व प्रदान करता है। इसी तरह से रागी एकमात्र ऐसा मोटा अनाज है। जिसमें कैल्शियम की मात्रा भरपूर मात्रा में पाई जाती है। कार्यक्रम संयोजक डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने संचालन किया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव, डॉ. लोकेश चौधरी, धर्मेंद्र चौबे, डॉ. सुनील शर्मा, देवीलाल कुम्हार, साक्षी मिश्रा, राकेश पारीक, डॉ चंद्रवीरसिंह राजावत सहित सभी कार्मिक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।