मेवाड़ यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा पर अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस प्रारम्भ

मेवाड़ यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा पर अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस प्रारम्भ
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चित्तौड़गढ़। मेवाड़ यूनिवर्सिटी में शनिवार से दो दिवसीय बौद्धिक संपदा अधिकार एवं नवाचार विषय पर इंटरनेशनल कांफ्रेंस शुरू हुई। यह कांफ्रेंस डीआरडीओ के सहयोग से आयोजित की जा रही है। कांफ्रेंस के पहले दिन मुख्य अतिथि डीआरडीओ के सहायक निदेशक डॉ. के.पी सिंह ने बताया कि रिसर्चर्स को पहले पेटेंट कराना चाहिए और उसके बाद में रिसर्च के पेपर का प्रकाशन कराना चाहिए ताकि उनका कंटेंट कोई चोरी न कर सकें। आमतौर पर देखा जाता है कि रिसर्चर्स पहले पेपर का प्रकाशन कराते है उसके बाद में पेटेंट, जिससे उनके कंटेट चोरी होने के चांसेस ज्यादा होते है। इसलिए पेटेंट को फाइल करते समय सिर्फ शीर्षक और ड्राफ्ट आदि की जानकारी का वर्णन करना चाहिए और जिस कंप्यूटर में इंटरनेट न हो उस कंप्यूटर पर डाटा सेव रखना चाहिए। इससे आपका डाटा पब्लिसर्स के पास नहीं पहुंच सकेगा। उन्होंने बताया कि भारत में रिसर्च को ज्यादा से ज्यादा बढावा मिले इसलिए प्राइवेट सेक्टर को रिसर्च की ओर आकर्षित करने के लिए कई नियमों में संशोधन भी किए गए है। यदि आपके पेटेंट का कंटेट कोई चोरी करके उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है तो आपके पास उसके खिलाफ कानूनी प्रावधान का भी एक विकल्प है। प्रो यू.एस शर्मा ने कॉपीराइट एक्ट, पेटेंट एक्ट, ट्रेडमार्क, ट्रेड सीक्रेट्स, रायल्टी, समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से दी। प्लेसमेंट सेल के डायरेक्टर हरीश गुरनानी ने मेवाड़ यूनिवर्सिटी के चेयरमेन डॉ. अशोक कुमार गदिया का संदेश भी प्रेषित किया, जिसमें उन्होंने कहा कि बौद्धिक संपदा ऐसा विषय है कि जिससे हर व्यक्ति प्रभावित होता है। डॉ. आलोक कुमार मिश्रा ने बताया कि हमारे संविधान में रिसर्च के लिए कई प्रावधान मौजूद है लेकिन हमें उनका ज्ञान नहीं होता है इसलिए हमें अपनी रिसर्च के साथ-साथ उसके पेटेंट और उसके कानूनी पक्ष को भी जानना बेहद जरूरी है ताकि सही अर्थों में आपका रिसर्च सुरक्षित रह सकें। प्रो. वीसी आनंदवर्धन शुक्ल ने कहा कि कॉपीराइट एक्ट ऐसा एक्ट है जिसमें पूरा साहित्यिक, फिल्में, गाने समेत कई अन्य विषय शामिल है लेकिन हमें कानूनी जानकारी नहीं होने की वजह से इस एक्ट का हमेशा से उल्लंघन होता रहा है। कांफ्रेंस में कई शोधार्थी छात्रों ने अपने पेपर प्रस्तुत किए। इस मौके पर अतिथियों का स्वागत राजस्थानी रूप में पारंपरिक ढंग से किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में कन्वेनर डॉ. मायाधर बारिक, ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. डी. के वर्मा, को-ऑर्गनाइजर डॉ. मनोहर लाल, डॉ. गुलजार अहमद, वंदना चुंडावत, शालिनी, मृदुला और लोन फैजल का काफी सहयोग रहा।
 

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