पुण्य कमाने में समय लगता लेकिन खत्म होने में नहीं लगती देर -समकितमुनि

पुण्य कमाने में समय लगता लेकिन खत्म होने में नहीं लगती देर -समकितमुनि
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 भीलवाड़ा,BHN.

 मन, लक्ष्मी व बच्चे चंचल होते है, इनका एक जगह टिकना मुश्किल होता है। बच्चें यदि माता-पिता की नहीं मानते तो इसके लिए बच्चों से ज्यादा जिम्मेदार अभिभावक है जो बचपन में उनकी हर बाते मानते आए। बच्चों का माइंड सेट हो गया कि मैं जो बोलूंगा वह पूरा होगा। जीवन का एडजस्टबल मोड समाप्त हो गया है। तुम हमेशा बच्चों का कहना मानते आए इसलिए अब बड़ा होने पर आपका कहना नहीं मानता। ये विचार श्रमणसंघीय सलाहकार सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने शांतिभवन में शुक्रवार को नियमित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि जीवन जीने की जो शैली थी उस दरकिनार करने से समस्याएं सामने आई। बचपन से ही ये बात समझ में आ जानी चाहिए कि उसका कौनसा कहना मानना है तो वह आगे भी कहना मानेगा। मन व लक्ष्मी भी टिकते नहीं घूमते रहते है। इनको नियंत्रित करने के लिए आगम में समाधान बताया गया है कि मन हमेशा मुनि जैसा होना चाहिए कुली जैसा नहीं। मन मुनि जैसा होगा तो एक जगह टिका रहेगा जबकि कुली जैसा होने पर घूमता रहेगा। मुनि का मन समय आने पर सारे कर्मो को खत्म कर देता है। मुनिश्री ने कहा कि हम पुण्य खर्च करके पाप लाते है जबकि पुण्य कमाने में समय लगता लेकिन खत्म करने में समय नहीं लगता। इसलिए पुण्य को बिना मतलब खर्च नहीं करे उसका सदुपयोग करें। धर्मसभा के शुरू में गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. ने प्रेरक गीत ‘शुभ कर्म कमा लो तुम ये जन्म सफल कर लो’ पेश किया। धर्मसभा में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा। धर्मसभा में पैरम्बुर, बेंग्लूरू, मैसूर, पूना, चित्तौड़गढ़, पाली आदि स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद रहे। अतिथियों का स्वागत शांतिभवन श्री संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़ ने किया। धर्मसभा का संचालन शांतिभवन श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना ने किया।

 बड़ी साधु वंदना पुस्तक एवं उत्तर पत्रक का विमोचन

 धर्मसभा में ओपन बुक एग्जाम के लिए बड़ी साधु वंदना पुस्तक एवं उत्तर पत्रका का विमोचन किया गया। विमोचन पुस्तक प्रकाशन में सहयोग देने वाले सेठी, बाफना एवं कोठारी परिवार के सदस्यों के साथ शांतिभवन श्री संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र चीपड़,श्रीसंघ के मंत्री राजेन्द्र सुराना, वित्त संयोजक मनोहरलाल सूरिया आदि ने किया। पुस्तक प्रकाशन में सहयोग देने वाले परिवारों के सदस्यों का शांतिभवन श्री संघ की ओर से सम्मान किया गया। इन परिवारों को श्रावक महावीर कच्छारा की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने इस कार्य में सहयोग करने वाले परिवारों के प्रति मंगलकामनाएं व्यक्त की। 

 

घर का झगड़ा सड़क पर ले जाना समझदारी नहीं

 पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि घर के एक सदस्य के सुधरने से घर नहीं सुधरता पर एक सदस्य भी बिगड़ गया तो पूरे घर का वातावरण बिगड़ जाएगा। उचित कारण होने पर भी गुस्सा करना मुश्किले खड़ी कर सकता है। गुस्सा व कटु शब्दों में दोस्ती होती है। गुस्से का साथ कटु शब्द देते है। घर का झगड़ा जो सड़क पर ले जाए वह समझदार तो नहीं हो सकता। मुनिश्री ने कहा कि भगवान महावीर के अनुसार एक श्रावक के लिए कटु शब्द बोलना उचित नहीं है। हमारे बोलना का तरीका सही नहीं होने पर बात सहीं होने पर भी सामने वाले को पसंद नहीं आएगी। हम सत्य कैसे परोस रहे यह भी मायने रखता है। 

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