अपने अंदर बैठे रावण को जलाने पर ही दशहरा मनाना सार्थक होगा – साध्वी डॉ चिंतन श्री मासा  भीलवाड़ा 

अपने अंदर बैठे रावण को जलाने पर ही दशहरा मनाना सार्थक होगा – साध्वी डॉ चिंतन श्री मासा   भीलवाड़ा 
X

 

 

दशहरा पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। रावण महाज्ञानी था, लेकिन अहंकार के चलते राम के हाथों मरना पड़ा। जो भी व्यक्ति अहंकार करता है उसकी पराजय निश्चित है। यह विचार आज महा साध्वी मधु कंवर मासा ने अहिंसा भवन में आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मंथरा की संगत ने कैकयी को खराब बना दिया। विभीषण की तरह सच्चाई का साथ देना चाहिए, झूठ अन्याय को छोड़कर विभीषण ने अपने भाई का त्याग कर राम का साथ दिया। राम की तरह आज्ञाकारी पुत्र बनना चाहिए। साध्वी प्रतिभा कंवर मासा ने फरमाया कि जब तक आत्मा में पाप का आचरण रहेगा, तब तक कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। चाहे गृहस्थ हो या साधु-साध्वी, जीवन का उदय नहीं हो सकता। मन के भंडारगृह में अशुभ का कचरा न भरें  मन में भरे हुए क्लेष और कसायों की चिंगारी अवसर मिलते ही भयंकर आग में बदल कर सब कुछ स्वाहा कर सकती है, इसीलिए मन में भरे कसायों के क्लेष रूपी कचरे की सफाई पहले करें। प्रभु परमात्मा ने तो इसे आत्मा के लिए भी जबदरस्त दुष्प्रभावी बताया है। जीवन में सदैव अच्छा सोचें, सकारात्मक सोच रखें। नकारात्मक बिंदु को हम अच्छाई की ओर, सकारात्मकता की ओर मोड़ दें। सकारात्मक बिंदुओं में भी यदि बुराई निकालते रहे तो हमें भव-भव में रोते-रोते जीना होगा। यदि संसार के भौतिक पदार्थों के प्रति राग-द्वेष की उलझन में उलझे रहेंगे तो जिस मनुष्य भव में आकर हमें कुछ हासिल करना था, वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर पाएंगे। साध्वी डॉ चिंतन श्री मासा ने फरमाया कि अपने अंदर बैठे रावण को जलाने पर ही दशहरा मनाना सार्थक होगा। राग-द्वेष, मोह, माया, छल-कपट व अंहकार रूपी रावण को खत्म करने की आवश्यकता है। जीवन मे अच्छाइयों कि कमी नहीं है। हमें सिर्फ बुराई देखने की आदत पड़ी है। हर वर्ष देश में दशहरे पर रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जबकि मन रूपी रावण को समाप्त करने की जरूरत है। बुराई तो सत्ययुग में भी थी। राम के घर के अंदर भी मंथरा थी। कलयुग और सतयुग को आत्मा की नजरों से ढूंढना होगा। अच्छा देखोगे तो अच्छा नजर आएगा। साध्वी श्री ने कहा कि यदि इस मनुष्य जन्म में अन्तरमन की गंदगी को सफाई करके नहीं हटाई और चले गए तो जन्म-जन्मांतर तक अधोगतियों में इस जीव को यातनाएं सहनी होंगी। मन के भंडारगृह, में अशुभ बातों का स्टाक भरा पड़ा हुआ है तो फिर मुक्ति कहां संभव है। मन के भंडारगृह को अशुभ से बातों-अशुभ सोच से नहीं अपितु शुभ सोच व सद्गुणों से भरें। पुण्य जब साथ होता है तो सारी प्रतिकूलताएं, अनुकूलताओं में बदल जाती हैं। प्रचार प्रसार समिति के संयोजक मनीष बंब ने बताया कि अहिंसा भवन में उत्तरा ध्यान सूत्र वाचन प्रातः 9:00 से 10:15 बजे तक किया जा रहा है। इस दौरान श्री संघ सरक्षक हेमंत आंचलिया अध्यक्ष अशोक पोखरना उपाध्यक्ष हिम्मत सिंह बापना मंत्री सुशील चपलोत, सहमंत्री दिनेश मेहता कोषाध्यक्ष जसवंत सिंह डागलिया आदि उपस्थित थे।

Next Story