वेदपीठ पर श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया जन्माष्टमी पर्व
चित्तौड़गढ़। मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ पर जन्माष्टमी महोत्सव पूरी श्रद्धा एवं उत्साह के साथ मनाया गया। वेदपीठ प्रवक्ता ने बताया कि भाद्रपद कृष्णा अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र के योग के फलस्वरूप पर वेदपीठ पर बुधवार को मनाई गई जन्माष्टमी के अवसर पर समूचे वेदपीठ परिसर को गोकुल का स्वरूप दिया गया। ठाकुर जी जहां श्री कृष्ण के स्वरूप में भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहे वहीं यमुना तट के रूप में मंदिर में जल भराव कर नौका विहार के साथ दर्शकों को ऐसी अनुभूति कराई मानों वे वृद्धावन में बांके बिहारीजी के दर्शन कर रहे हो। इस दौरान कान्हा स्वरूप में मोर पंख के साथ श्यामवर्ण में ठाकुर जी की मनमोहिनी छवि लता पता के साथ मयूर की अठखेलियों के बीच नौका विहार का दृश्य देखते ही बनता था। जन-जन के आराध्य श्री ठाकुर जी के अनुपम स्वरूप और मनमोहक झांकी के दर्शन के लिए श्रंगार आरती से लेकर मध्यरात्रि तक भक्तों का तांता लगा रहा। इस दौरान कई महिलाएं एवं पुरूष श्री कृष्ण की भजनानन्दी स्वर लहरियों पर नृत्य कर अपने आराध्य को रिझाते हुए नजर आए। कई भक्तों ने ठाकुरजी से अनुनय आग्रह किया कि देश प्रदेश में खुशहाली के साथ रूठे हुए इन्द्र देव को मनाकर वर्षा की कमी दूर करने की कृपा करें। मध्यरात्रि को कृष्ण स्वरूप में ठाकुर जी की महाआरती के पश्चात 51 किलो से अधिक पंजेरी का प्रसाद वितरण किया गया। इस दौरान भक्तों ने हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की के साथ ठाकुर जी का जयघोष कर वातावरण को कृष्णमय बनाने में कोई कोर कसर नहीं रखी। जन्माष्टमी के पर्व को सुचारू से संचालित करने के लिए वेदपीठ के आचार्यों, बटुकों, वीर वीरांगनाओं, शक्ति ग्रुप की बालिकाओं, कृष्णा शक्ति दल की माता बहनों, पदाधिकारियों एवं कल्याण भक्तों का अनुकरणीय योगदान रहा। बडी संख्या में भक्तों ने भी विभिन्न पर्वों पर वेदपीठ की ओर से अलग अलग स्वरूपों में बनाई जाने वाली आकर्षक झांकियों के लिए प्रशंसा करते हुए व्यवस्थापकों एवं आचार्यों को बधाई दी।